जब से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एंटी-सैटेलाइट मिसाइल के परीक्षण की घोषणा की, तब से सोशल मीडिया पर इसकी खूब चर्चा है. भारत ने 27 मार्च को 'मिशन शक्ति' के तहत उपग्रह भेदी मिसाइल परीक्षण (ए-सैट) को छोड़कर एक कीर्तिमान स्थापित किया था. इसी को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट का दावा है कि 2012 में चीन ने भारत का एक मौसम उपग्रह मार गिराया था.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने अपनी जांच में पाया कि ये दावा गलत है.
फेसबुक पर “अमित शाह फैन्स” नाम का एक पेज है. इस पेज के 612,163 फोलॉअर्स हैं. इस पेज पर 1 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फोटो के साथ ये दावा किया गया कि “2012 में चीन ने भारत का एक मौसम सैटेलाइट मार गिराया था कल स्पेस सुपर पावर बनते ही चीन ने शांति की अपील की. मोदी हैं तो मुमकिन हुआ.”
इस पोस्ट को स्टोरी के फाइल होने तक 1700 फेसबुक यूज़र्स ने शेयर किया और 137 लोगों ने कमेंट कर के प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम ने सच्चाई जानने के लिए इंटरनेट पर पड़ताल कि तो पाया कि चीन ने एक मौसम उपग्रह को मार गिराया था पर वो उपग्रह भारतीय नहीं था. दरअसल, चीन 2007 में एंटी सैटेलाइट मिसाइल की जांच कर रहा था और इसके लिए उसने अपने ही निष्क्रिय मौसम उपग्रह को मार गिराया था जिसका नाम फेंगयून – 1सी था. इसको लेकर उस समय खबरें भी छपी थी जिसको यहां पढ़ा जा सकता है. उस समय नासा के वैज्ञानिकों ने इस पर चिंता भी जताई थी जिसे यहां पढ़ा जा सकता है.
दावे के अनुसार अगर चीन ने वाकई भारत के मौसम उपग्रह को मार गिराया होता तो इसका ज़िक्र ज़रूर होता. सरकारी रिकॉर्ड, सरकारी वेबसाइट या किसी प्रतिष्ठित मीडिया साइट पर ऐसी घटना का जिक्र नहीं है. अगर ऐसा कुछ होता तो भारतीय सरकार ने इसका विरोध ज़रूर किया होता, जिसका रिकॉर्ड होना चाहिए था,लेकिन इंटरनेट पर इसका कोई ज़िक्र नहीं है. इससे ये साफ है की 2012 में चीन ने किसी भारतीय मौसम उपग्रह को नहीं मार गिराया था.