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कई सोशल मीडिया यूजर्स ऐसा आरोप लगा रहे हैं कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कांग्रेस के 85वें महाधिवेशन में आए कांग्रेस नेताओं का स्वागत असली सोने की माला पहनाकर किया.
वीडियो में कई नेता बारी-बारी से आकर भूपेश बघेल का अभिवादन करते दिखते हैं. वहीं बघेल भी उनके अभिवादन का जवाब देते हैं और उन्हें एक पीले रंग की माला पहनाते हैं.
महाधिवेशन का ये कार्यक्रम छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 24 से 26 फरवरी तक चला.
इस वीडियो को शेयर करते हुए एक व्यक्ति ने लिखा, "जहां कांग्रेस द्वारा अतिथियों का स्वागत 50-50 ग्राम सोने की चेन के साथ किया जाता है. सोचो कितना लूटा है देश को?"
ऐसे ही कुछ पोस्ट्स का आर्काइव्ड वर्जन यहां और यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि ये दावा गलत है. बघेल ने इस कार्यक्रम में अतिथियों को सोने की नहीं बल्कि एक खास तरह की घास से बनी 'बीरन मालाएं' पहनाई थीं.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर ये हमें छत्तीसगढ़ कांग्रेस के एक ट्वीट में मिला. 24 फरवरी को किए गए इस ट्वीट में लिखा है कि ये कांग्रेस की 'स्टीयरिंग कमेटी' की बैठक से पहले का वीडियो है.
कांग्रेस के 85वें महाधिवेशन की शुरुआत 'स्टीयरिंग कमेटी' की बैठक से हुई थी.
जिस तरह की मालाएं वायरल वीडियो में नजर आ रही हैं, उसी तरह की कई मालाएं पहनाकर राहुल गांधी और सोनिया गांधी का रायपुर एयरपोर्ट में स्वागत किया गया था.
मुख्यमंत्री श्री @bhupeshbaghel जी ने स्टीयरिंग कमेटी की बैठक से पूर्व सभी सदस्यों का स्वागत किया। #INCPlenaryInCG pic.twitter.com/3wKJdDhzAH
— INC Chhattisgarh (@INCChhattisgarh) February 24, 2023
वीडियो के बारे में थोड़ी खोजबीन करने पर हमें ट्विटर पर 'INC Television' का एक ट्वीट मिला. इसमें लिखा है कि कांग्रेस महाधिवेशन में अतिथियों का स्वागत सुताखर घास और मुआ के फूल की डंडी से बनी मालाएं पहनाकर किया गया था. साथ ही ट्वीट में दो वीडियोज का एक कोलाज भी मौजूद है.
कोलाज के पहले वीडियो में बैगा जनजाति समाज के प्रदेश अध्यक्ष इतवारी राम मछिया ऐसी कई मालाएं अपने हाथ में पकड़े हुए इनके बारे में जानकारी दे रहे हैं. वो बताते हैं कि इस माला को 'बीरन माला' कहते हैं जिसे 'बैगा' समाज के लोग बनाते हैं. इसे बनाने में खास तरह के पेड़ और 'खिरसाली' घास का इस्तेमाल किया जाता है. वहीं दूसरे वीडियो में एक महिला ये माला बनाती हुई दिखाई दे रही है.
भाजपा की अफवाह का पर्दाफाश....
— INC TV (@INC_Television) February 27, 2023
रायपुर में कांग्रेस महाधिवेशन में अतिथियों का स्वागत सोने के हार से नही बल्कि सूताखर नाम की घास और मुआ के फूल की डंडी से हाथों से बनाते हैं। pic.twitter.com/9tD8C1zG6v
कीवर्ड सर्च की मदद से हमें एक ऐसा वीडियो मिला जिसमें भूपेश बघेल माला को लेकर चल रहे इस प्रकरण पर बोल रहे हैं. इसमें उन्होंने कहा, "ये हमारे बैगा जनजाति की ओर से माला बनाई जाती है. ये विशेष प्रकार की घास से, फूल के डंठल से वो लोग माला बनाते हैं. कम से कम भाजपा वालों को रमन सिंह से पूछ लेना चाहिए. ये उन्हीं के जिले में बनती है." छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का गृह जिला कवर्धा है.
पहले भी 'बीरन माला' से किया जा चुका है नेताओं का स्वागत
साल 2020 में मध्य प्रदेश के अमरकंटक नर्मदा महोत्सव के समापन के मौके पर कांग्रेस से राघोगढ़ के विधायक जयवर्धन सिंह का अभिवादन बैगा टोपी, गुडुम कोटी और बीरन माला पहनाकर किया गया था.
यहां तक कि, पीएम मोदी को भी नवंबर 2021 में भोपाल में हुए 'जनजातीय गौरव दिवस' में बीरन माला पहनाई गई थी. कार्यक्रम के वीडियो में पीएम मोदी वैसी ही माला पहने हैं जैसी वायरल वीडियो में दिख रही है.
'बैगा ट्राइब' क्या है
मध्य प्रदेश टूरिज्म की वेबसाइट के अनुसार बैगा ट्राइब का जिक्र ब्रिटिश सेना की 1867 की रिपोर्ट में पहली बार हुआ था. इसमें इन्हें जंगलों और पहाड़ियों में रहने वाली जंगली जनजाति बताया गया था. ये ट्राइब वैसे तो मुख्य रूप से मध्य प्रदेश में पाई जाती है, लेकिन ये उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड के कुछ हिस्सों में भी पाई जाती है. इस जनजाति की कई महिलाएं अपने शरीर पर 'टैटू' बनवाती हैं.
(रिपोर्ट: संजना सक्सेना )