
भारत के पूर्वोत्तर में स्थित राज्य असम से उल्फा जैसे आतंकी संगठन अलगाववाद की आवाज उठाते रहते हैं. लेकिन क्या कोई सांसद असम को भारत से अलग बता सकता है? दरअसल असम के बारपेटा से कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक का एक ऐसा बयान चर्चा में है जिसको लेकर आरोप है कि उन्होंने असम को भारत से अलग बताया है.
साप्ताहिक पत्रिका ‘पांचजन्य’ ने ट्विटर पर लिखा, "मुगलों ने हिंदुस्तान को बनाया, मुझे उन पर गर्व. कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने असम को भारत से बताया अलग."
इस ट्वीट पर कमेंट करते हुए एक ट्विटर यूजर ने लिखा, "ऐसे लोगों को भी तो जनता ने सांसद चुन लिया है!! जिनकी आंखों में शर्म नाम की कोई चीज नहीं है!!"
इंडिया टुडे फैक्ट चेक टीम ने पाया कि कांग्रेस सांसद ने असम को भारत से अलग बताने वाली बात 17वीं शताब्दी में हुए सरायघाट के युद्ध के संदर्भ में कही थी. उनके बयान के एक हिस्से को ही पेश किया जा रहा है जबकि पूरे बयान में उन्होंने कहा है कि वर्तमान में असम भारत का अटूट हिस्सा है.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
कीवर्ड सर्च के जरिए हमें समाचार एजेंसी 'एएनआई' के यूट्यूब चैनल पर अब्दुल खालिक का वो बयान मिला जो इस वक्त चर्चा में है. 30 अगस्त को अपलोड हुए इस बयान में वे मुगलों पर गर्व होने की बात तो कह रहे हैं जिसका जिक्र 'पांचजन्य' के ट्वीट के पहले हिस्से में किया गया है. उनका तर्क ये है कि मुगलों ने अलग-अलग रियासतों में बंटे भारत को जोड़कर एक किया और हिन्दुस्तान नाम दिया.
इंटरव्य़ू में जब उनसे असम की सेना के कमांडर लचित बोरफूकन और मुगल फौज के बीच साल 1671 में हुए सरायघाट के युद्ध के बारे में सवाल पूछा जाता है तो वे कहते हैं, "मुगलों ने असम पर हमला जरूर किया था लेकिन वो व्यक्तिगत स्तर पर नहीं हुआ था. उस वक्त मुगल हिंदुस्तान की हुकूमत में थे. हिंदुस्तान का राजा होने के नाते उन लोगों ने अहोम (असम) पर हमला किया था. और हमारी अहोम आर्मी ने उन्हें बार-बार पराजित किया. उस टाइम असम एक अलग और आजाद राष्ट्र था और हिंदुस्तान एक अलग राष्ट्र. ये संघर्ष भारत और असम के बीच था. लेकिन अभी असम भारत का अटूट हिस्सा है. आज की तारीख में सिचुएशन अलग है."
वो आगे कहते है, "सरायघाट का युद्ध हिंदू और मुसलमान के बीच नहीं बल्कि उस वक्त के हिंदुस्तान के राजा और उस वक्त के असम के राजा के बीच का था."
पूरा वीडियो देखने से साफ पता चलता है कि अब्दुल खालिक असम के भारत से अलग राष्ट्र होने की बात साल 1671 में मुगलों और असम के राजा के बीच हुए सरायघाट के युद्ध के संदर्भ में कर रहे थे.
क्यों मशहूर है सरायघाट का युद्ध?
मध्यकालीन युग में हिंदुस्तान के बड़े हिस्से पर राज कर रहे मुगल बादशाह औरंगजेब की फौज और असम की सेना के बीच गुवाहाटी के नजदीक सरायघाट में ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी किनारे पर एक नौसैनिक युद्ध हुआ था.
भारत सरकार के पुरातत्व विभाग की लाइब्रेरी में मौजूद असम के इतिहास के मुताबिक, मुगल सेना की कमान कछवाहा राजा राम सिंह के हाथ में थी जबकि असम की सेना के कमांडर लचित बोरफूकन थे.
सरायघाट की लड़ाई में कमजोर होने के बावजूद असम की सेना ने मुगलों पर निर्णायक जीत हासिल की थी.
इस युद्ध और उस वक्त के हालात पर बात करते हुए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में इतिहास विभाग के प्रोफेसर सैयद अली नदीम रिजवी का कहना है कि भारत के एक देश होने की अवधारणा 19वीं और 20वीं शताब्दी में विकसित हुई है. मध्यकाल में तो हर साम्राज्य खुद को एक राष्ट्र समझता था. इसी साम्राज्य के विस्तार के लिए युद्ध हुआ करते थे और 1671 में सरायघाट में भी असम के राजवंश और मुगलों के बीच ऐसा ही एक युद्ध हुआ था. मुगल असम पर अपना आधिपत्य चाहते थे लेकिन सरायघाट की लड़ाई में हुई हार ने उनके मंसूबों पर फेर दिया.
असम पर अंग्रेजों का कब्जा
साल 1826 में ब्रिटिश-बर्मा युद्ध के बाद असम पर ब्रिटिश हुकूमत का कब्जा हो गया और असम ब्रिटिश भारत का हिस्सा बन गया. 1947 में भारत के बंटवारे के वक्त असम का सिलहट जिला पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में चला गया और बाकी असम आजाद भारत का हिस्सा बना.
(इनपुट- मयंक आनंदन)