फेसबुक पर एक वायरल मैसेज में दावा किया गया है कि सैकड़ों डॉक्टरों ने माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स पर मुकदमा दायर किया था. पोलियो वैक्सीन अभियान को बिल गेट्स ने फंड किया था, जिसके तहत भारत में 47,000 से ज्यादा बच्चे विकलांग हो गए, जिसके बाद बिल गेट्स को भारत से निष्कासित कर दिया गया.
कई फेसबुक यूजर्स ने बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलाते हुए बिल गेट्स की तस्वीर शेयर की है. इसके साथ कैप्शन में लिखा है, “यह नहीं भूलना चाहिए कि 47,000 से ज्यादा बच्चों को पोलियो वैक्सीन पिलाने के लिए सैकड़ों डॉक्टरों ने बिल गेट्स पर मुकदमा दायर किया था. इस वैक्सीन के जरिये गेट्स ने इन बच्चों में खतरनाक ‘सुपर पोलियो’ पैदा कर दिया, इस कारण से उन्हें भारत से निकाल दिया गया. 2011 में भारत के डॉक्टरों ने रिपोर्ट दी कि पोलियो वैक्सीन पिलाने के बाद बड़ी संख्या में बच्चे पंगु हो रहे थे. इसका अंजाम ये हुआ कि बिल गेट्स की वैक्सीन से हजारों बच्चे जीवन भर के लिए विकलांग हो गए.”
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि ना तो बिल गेट्स पर मुकदमा दायर हुआ था, ना ही उन्हें भारत से निकाला गया था. द बिल गेट्स एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन (BMGF) भारत में कई प्रोजेक्ट के लिए काम कर रहा है. वैक्सीन के बारे में भी ये इल्जाम सही नहीं है.
इन पोस्ट्स के आर्काइव्ड वर्जन यहां और यहां देखे जा सकते हैं. फेसबुक पर कई यूजर्स ने ये पोस्ट शेयर की है.
बिल गेट्स को भारत से निकाला गया?
यह सही है कि BMGF भारत समेत कई विकासशील देशों में रिसर्च और बाल-टीकाकरण कार्यक्रमों को फंड करता रहा है. लेकिन ये दावा सही नहीं है कि उन्हें भारत से निकाल दिया गया था.
वास्तव में 14 मई, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल गेट्स से “महामारी (कोविड-19) का मुकाबला करने के लिए साइंटिफिक इनोवेशन और रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर वैश्विक समन्वय के महत्व” पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये चर्चा की थी. पीएम मोदी ने ना सिर्फ भारत में, बल्कि दुनिया भर में BMGF की तरफ से किए जा रहे कामों की तारीफ की थी, जिसमें कोविड-19 को लेकर वैश्विक समन्वय भी शामिल है.
भारत सरकार ने 2017 में एक बयान जारी किया था. इस बयान में कहा गया कि कुछ खबरों में बताया जा रहा है कि BMGF के साथ भारत ने सभी सहयोग कार्य रोक दिए हैं, लेकिन यह “गलत और भ्रामक है. BMGF स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ अपना सहयोग और समर्थन जारी रखे हुए है”. सरकार के इस बयान का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
पोलियो वैक्सीन को लेकर इल्जाम
वायरल पोस्ट दावा करती है कि गेट्स के सपोर्ट से पिलाई गई पोलियो वैक्सीन ने भारत में 47,000 बच्चों को पंगु बना दिया. ऐसा लगता है कि ये आरोप 2012 में “इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल एथिक्स ” में छपी एक रिपोर्ट से उठाया गया है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक, गैर-पोलियो पैरालिसिस (non-polio acute flaccid paralysis- NPAFP) में भारी वृद्धि “सीधे पोलियो की खुराक पीने वालों के समानुपाती” है. पोलियो उन्मूलन कार्यक्रमों के लिए फंडिंग BMGF करता है.
सन 1991 से 2000 के बीच NPAFP केसेज में वृद्धि हुई थी, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि इसका कारण अनिवार्यत: पोलियो वैक्सीन ही हो. 2013 में प्रकाशित “BBC News ” की रिपोर्ट के मुताबिक, पोलियो कई वजहों में से एक है, भारत में तेजी से बढ़ रहे एक्यूट फ्लेसीड पैरालिसिस के मामलों के लिए दूसरे वायरस और बैक्टीरिया भी जिम्मेदार हैं.
ये भी गौर किया जाना चाहिए कि विश्व स्वास्थ्य संगठन कह चुका है कि पिलाई जाने वाली पोलियो वैक्सीन अत्यंत सुरक्षित है और इस रोग के खिलाफ बच्चों में एम्युनिटी पैदा करने के लिए सबसे ज्यादा कारगर है. डब्ल्यूएचओ ये भी कहता है कि “बहुत कम मौकों पर ऐसा होता है कि पिलाई जाने वाली वैक्सीन लकवाग्रस्त पोलियो या पोलियो वायरस का कारण बन जाए.”
इसलिए पोस्ट में किया गया ये दावा गलत है कि बिल गेट्स को भारत से निकाल दिया गया था क्योंकि उनके फाउंडेशन ने जिस पोलियो वैक्सीन को फंड किया था, उससे भारत में 47,000 बच्चे विकलांग हो गए.