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फैक्ट चेक: तारिक फतेह ने दिल्ली चुनाव के दिन शेयर किया सांप्रदायिक नारेबाजी का पुराना वीडियो

दिल्ली विधानसभा के लिए मतदान के बीच शनिवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया. वीडियो में कुछ लोग सांप्रदायिक नारेबाजी करते हुए देखे जा सकते हैं. इसके साथ दावा किया गया कि यह घटना राजधानी दिल्ली की है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
दिल्ली में सांप्रदायिक नारा लगाते मुस्लिमों का वीडियो.
लेखक तारिक फतह
सच्चाई
यह वीडियो दो साल से ज्यादा पुराना है और राजस्थान के उदयपुर का है.

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दिल्ली विधानसभा के लिए मतदान के बीच शनिवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया. वीडियो में कुछ लोग सांप्रदायिक नारेबाजी करते हुए देखे जा सकते हैं. इसके साथ दावा किया गया कि यह घटना राजधानी दिल्ली की है.

वीडियो में देखा जा सकता है कि सड़क पर बड़ी संख्या में एकत्र लोग नारेबाजी कर रहे हैं, “हिंदुस्तान में रहना होगा, अल्लाह-ओ-अकबर कहना होगा.” लेखक तारिक फतेह ने इस वीडियो को ट्वीट करते हुए कैप्शन में लिखा, “#DelhiPolls2020 मुस्लिम गुंडे इस्लामिक वर्चस्व के लिए हिंदुओं के खिलाफ भड़काने वाले नारे लगा रहे हैं. “हिंदुस्तान में रहना होगा, अल्लाह-ओ-अकबर कहना होगा”.

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने अपनी पड़ताल में पाया कि वीडियो के साथ किया जा रहा दावा सही नहीं है. वायरल हो रहा यह वीडियो दो साल से ज्यादा पुराना है और राजस्थान के उदयपुर का है.

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स्टोरी लिखे जाने तक इस वीडियो को 1,16,000 से ज्यादा बार देखा जा चुका है और इस पोस्ट को 3300 से ज्यादा बार रीट्वीट किया जा चुका है. पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है. कुछ फेसबुक यूजर्स ने भी इस वीडियो को इसी दावे के साथ शेयर किया है.

संबंधित की​वर्ड्स की मदद से सर्च करने पर हमें न्यूज चैनल “India TV” का एक वीडियो मिला जिसमें वायरल क्लिप के बारे में बताया गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, उदयपुर के चेतक सर्किल में 12 दिसंबर, 2017 को कुछ मुस्लिम समूहों की तरफ से रैली की गई थी, इसी दौरान यह नारा लगाया गया था. इस भीड़ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बजरंग दल और शिवसेना के खिलाफ भी नारेबाजी की थी.

इसके अलावा “Scroll ” की रिपोर्ट के मुताबिक, शंभूलाल रैगर नाम के व्यक्ति ने मुस्लिम मजदूर मोहम्मद अफराजुल की हत्या कर दी थी, जिसके विरोध में यह रैली आयोजित की गई थी. यह हत्या राजस्थान के राजसमंद में 6 दिसंबर, 2017 को हुई थी और उस दौरान यह घटना काफी चर्चित हुई थी.

इस तरह पड़ताल में साफ हुआ कि वायरल हो रहा सांप्रदायिक नारेबाजी वाला यह वीडियो दो साल पुराना है जिसे इस तरह शेयर किया गया जैसे यह हाल की घटना हो. दूसरे, यह घटना राजस्थान के उदयपुर में हुई थी, न कि दिल्ली में, जैसा कि वायरल पोस्ट के साथ दावा किया गया.

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आप हमें factcheck@intoday.com पर ईमेल भी कर सकते हैं
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