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क्या हाथरस कांड से चर्चित हुई जबलपुर की डॉ राजकुमारी बंसल अब किसान आंदोलन में भी हिस्सा ले रही हैं? सोशल मीडिया पर कुछ लोग ऐसा ही दावा कर रहे हैं.
सितंबर में हुए हाथरस कांड के बाद जबलपुर मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर राजकुमारी बंसल पीड़िता के परिवार से मिलने हाथरस पहुंचीं थीं. उस वक्त उन पर पीड़िता की भाभी के तौर पर मीडिया को बयान देने के आरोप लगे थे जिसे उन्होंने खारिज (यहां पढ़ें) किया था. उनके वहां जाने को लेकर खासा विवाद भी हुआ था.
अब सोशल मीडिया पर कुछ लोग डॉक्टर राजकुमारी का नाम किसान आंदोलन से जोड़ रहे हैं. लाल रंग का स्वेटर पहनकर झंडा थामे कुछ लोगों के साथ खड़ी एक महिला की फोटो को शेयर करते हुए ‘भारतीय जनता युवा मोर्चा’ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संतोष रंजन राय ने लिखा, “हाथरस वाली भौजी आज किसान बनी है..” पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
इसी तरह एक अन्य यूजर ने लिखा, “पहचाना इनको? ये हाथरस वाली दलित भाभी हैं. अब ये किसान बन चुकी हैं.”
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि न तो वायरल फोटो हाल-फिलहाल की है और न ही इसमें नजर आ रही महिला डॉ राजकुमारी बंसल हैं. ये फोटो फरवरी 2020 से इंटरनेट पर मौजूद है जब कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध-प्रदर्शन शुरू भी नहीं हुआ था.
खबर लिखे जाने तक इस फोटो को शेयर करने वाली एक पोस्ट को तकरीबन 4000 लोग शेयर कर चुके थे.
क्या है सच्चाई
वायरल फोटो में नजर आ रही महिला डॉ राजकुमारी बंसल हैं या नहीं, इस बात की पुष्टि करने के लिए हमने उनसे बात की. उन्होंने बताया कि ये फोटो उनकी नहीं है.
डॉ राजकुमारी ने अपने फेसबुक अकाउंट के जरिये भी ये बताया कि वायरल फोटो में दिख रही महिला कोई और है.
हमने वायरल फोटो में नजर आ रही महिला की तुलना डॉ राजकुमारी बंसल की फोटो से की. ये साफ तौर पर देखा जा सकता है कि दोनों में कोई समानता नहीं है.
इंटरनेट पर खोजने से हमें पता चला कि वायरल फोटो में महिला के साथ खड़े लोगों ने जिस तरह के झंडे पकड़े हैं, वे भारती किसान यूनियन के झंडे हैं.
रिवर्स सर्च करने पर ये फोटो हमें ‘भारती किसान यूनियन एकता उग्रहां’ नामक फेसबुक पेज पर मिली. यहां इसे 10 फरवरी को पोस्ट किया गया था.
केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानून लेकर आई है जिसका कुछ राज्यों में किसान जमकर विरोध कर रहे हैं. सरकार का कहना है कि इन कानूनों से बिचौलियों का खात्मा होगा और किसानों की हालत बेहतर होगी. लेकिन किसानों को आशंका है कि इस नए कानून से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) खत्म हो जाएगा जिससे उनकी स्थिति और बदतर हो जाएगी.
लेकिन वायरल फोटो इंटरनेट पर फरवरी 2020 से मौजूद है, लिहाजा ये बात साफ हो जाती है कि इसका वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं है.