पिछले महीने 17 फरवरी को शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट को चुनाव आयोग से झटका लगा. शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न, दोनों उनके विरोधी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास चले गए. चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है.
इसी बीच सोशल मीडिया पर किसी औरंगजेब नाम के शख्स को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बयान का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसे शेयर करते हुए कुछ लोग उन पर निशाना साध रहे हैं. ऐसे लोगों का कहना है कि उद्धव ने मुगल बादशाह औरंगजेब को अपना भाई बताया है.
इस वीडियो में ऊपर 'औरंगाबाद अपडेट्स' लिखा है और उद्धव के नाम के आगे मा. मुख्यमंत्री लिखा है. वीडियो में दिखता है कि उद्धव हाथ में माइक लिए कहते हैं, 'अगर अभी मैं बोलूं कि वो मेरा भाई था, तो आप बोलेंगे कि आपको उसका नाम पता है क्या था? मैं बोलूंगा औरंगजेब. मजहब से वो मुसलमान होगा, लेकिन उसने अपने देश के लिए कुर्बानी दी. भारत माता जिसको भारत माता की जय कहते हैं उसके लिए उसने अपनी जान तक दे दी. वो आपका भाई नहीं था?'
बीजेपी के विधायक और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे नितेश राणे ने इस वीडियो को ट्विटर पर शेयर करते हुए मराठी भाषा में लिखा, “सर्वात मोठा गद्दार !!! जिसका अर्थ है ‘सबसे बड़ा देशद्रोही.’
इस ट्वीट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
एक ट्विटर यूजर ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, 'हजारों हिंदुओं का प्रतिदिन नरसंहार करने वाला, तलवार के दम पर हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाने वाला औरंगजेब उद्धव ठाकरे का भाई हो सकता है मेरा कदापि नहीं. मेरी रग रग में हिंदुत्व का लहू दौड़ता है में अपने पूर्वजों पर हुए जुल्म और अत्याचार कैसे भूल सकता हूं.'
फेसबुक पर भी ये वीडियो ऐसे ही दावों के साथ वायरल है.
इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि वायरल वीडियो उद्धव ठाकरे के बयान का छोटा-सा हिस्सा है. इससे पूरी बात स्पष्ट नहीं हो रही है. दरअसल उद्धव साल 2018 में जम्मू कश्मीर में शहीद हुए इंडियन आर्मी के जवान औरंगजेब के बारे में बात कर रहे थे न कि मुगल बादशाह औरंगजेब के बारे में.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
कीवर्ड सर्च की मदद से खोजने पर हमें ABP MAJHA के यूट्यूब चैनल पर 19 फरवरी 2023 को अपलोड हुआ उद्धव ठाकरे के बयान का पूरा वीडियो मिल गया.
इसमें वो कहते हैं, “पिछले 3-4 साल की बात है. आप भूल गए होंगे या शायद अपने पढ़ा भी नहीं होगा. कश्मीर में एक अपना फौजी था. वो छुट्टी लेकर परिवार को मिलने घर जा रहा था. जब आतंकवादियों को पता चला कि यह छुट्टी लेकर अकेला घर जा रहा है. बीच में उसको किडनैप किया गया और उसे बेरहमी से मार डाला. बाद में उसके शरीर के बिखरे हुए हिस्से कहीं मिले. वह अपना था या नहीं जिसने देश के लिए कुर्बानी दी है.”
इस घटना के बारे में बोलते हुए उद्धव आगे कहते हैं, “अभी मैं अगर कहूं कि हां वो मेरा भाई था तो आप बोलेंगे कि आपको नाम पता है क्या है? उसका नाम था औरंगजेब. होगा न मजहब से मुसलमान होगा, लेकिन उसने अपने देश के लिए कुर्बानी दी. भारत माता, जिसको भारत माता की जय कहते हैं उसके लिए उसने अपनी जान तक दे दी. वो आपका भाई नहीं था?”
हमें ये वीडियो उद्धव ठाकरे के ऑफिशियल फेसबुक पेज पर भी मिल गया. यहां इस वीडियो के साथ लिखा है कि वो उत्तर भारतीय समाज के साथ संवाद के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे.
इंडियन आर्मी के जवान औरंगजेब की क्या कहानी है?
कीवर्ड सर्च के जरिए हमें औरंगजेब से संबंधित कुछ न्यूज रिपोर्ट्स मिलीं. इनके मुताबिक साल 2018 में 14 जून को ईद की छुट्टी मनाने घर जा रहे सेना के जवान औरंगजेब को आतंकवादियों ने अगवा करके उसकी हत्या कर दी थी. जम्मू-कश्मीर के पुंछ में रहने वाले औरंगजेब को सेना ने मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित भी किया था.
साफ है, इंडियन आर्मी के शहीद जवान औरंगजेब के लिए दिए गए उद्धव ठाकरे के बयान को मुगल बादशाह औरंगजेब के लिए दिया गया बयान बताकर भ्रम फैलाया जा रहा है.
उद्धव ठाकरे ने पिछले साल एक सभा में भी शहीद औरंगजेब की तारीफ की थी और तब भी उनके बयान को मुगल बादशाह औरंगजेब से साथ जोड़ा गया था. उस वक्त भी इंडिया टुडे ने इसका फैक्ट चेक किया था जिसे यहां पढ़ा जा सकता है.
साल 1658 से 1707 तक मुगल बादशाह रहे औरंगजेब को महाराष्ट्र में एक बेहद क्रूर शासक माना जाता है. औरंगजेब के आदेश पर मराठा साम्राज्य के जनक छत्रपति शिवाजी के पुत्र सम्भाजी की क्रूरता के साथ हत्या कर दी गई थी.
साल 2022 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से कुछ ही घंटे पहले 29 जून को उद्धव ठाकरे की सरकार ने औरंगजेब के नाम पर बसे शहर औरंगाबाद का नाम सम्भाजी नगर करने का फैसला किया था. इसके अलावा उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने का भी फैसला हुआ था.
उद्धव ठाकरे से बगावत करके बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर मुख्यमंत्री बने एकनाथ शिंदे का तर्क था कि पिछली सरकार ने बहुमत खोने के बाद ये फैसला किया था. लिहाजा, 16 जुलाई, 2022 को एकनाथ शिंदे की सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में फिर से औरंगाबाद का नाम बदलकर सम्भाजी नगर करने का फैसला किया था.