जब से ट्रैफिक नियमों को तोडने पर भारी भरकम जुर्माने का नया कानून पास हुआ है, तब से सोशल मीडिया पर इसको लेकर खूब चर्चा है. इसी सिलसिले में एक पोस्ट काफी वायरल हो रहा है, जिसमें लिखा है कि कैसे गुजरात में जुर्माने को लेकर कटौती कर दी गई है जबकि बाकी राज्यों में लोगों को राहत नहीं मिली है.
क्या है दावा?
फेसबुक पेज ‘बस्ती न्यूज़ टाइम्स’ ने 13 सितम्बर को एक पोस्ट साझा किया जिसमें लिखा है “मोदी अमित शाह के गुजरात ने नए यातायात नियमों के जुर्माने में 90% कटौती करके नियम लगाए हैं मतलब गुजरात छोड़ कर पूरा देश बेवकूफ है.”
इस पोस्ट को स्टोरी के लिखे जाने तक 7000 से ज्यादा फेसबुक यूज़र्स ने शेयर किया. इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्ज़न यहां देखा जा सकता है.
क्या है सच्चाई?
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वार रूम (AFWA) ने पाया की अकेला गुजरात ही नहीं है जिसने मोटर यान (संशोधन) विधेयक-2019 के जुर्माने में कटौती की है. कुछ और राज्यों ने भी यही किया है तो वहीं कुछ राज्यों ने इस विधेयक को लागू करने से ही मना कर दिया है.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वार रूम ने पाया की उत्तराखंड ने भी जुर्माने की रकम कम कर के ही इस विधेयक को लागू किया है. जैसे की ड्राइविंग करते समय मोबाइल पर बात करने पर केंद्र सरकार ने 5,000 रुपये का जुर्माना प्रस्तावित किया, लेकिन उत्तराखंड ने इसे घटाकर 1,000 रुपये तक काटने का फैसला किया. वैसे ही अन्य जुर्माने भी उत्तराखंड में कम किए गए हैं और इसको लेकर इकोनोमिक टाइम्स में खबर छपी है.
यही नहीं, कर्नाटक भी जुर्माने को कम करने की भी बात हो रही है जिसके आदेश खुद मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने दिए हैं. इसको लेकर खबर टाइम्स नाउ में देखी जा सकती है.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वार रूम ने पाया की दरअसल हर राज्य यातायात नियमों के उल्लंघन पर जुमार्ने में ढील दे सकता है. इसकी ज्यादा जानकारी खुद केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी दे थी.
वहीं इस वक्त कई ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने इस विधेयक को लागू करने के लिए समय मांगा है जैसे की झारखंड, गोवा और ओडिशा. इन राज्यो ने कुछ महीनों के लिए सड़कों कि दुरुस्ती से लेकर जागरूकता अभियान जैसे कार्यक्रम शुरू करने के लिए समय लिया है.
कुछ राज्य ऐसे भी हैं जैसे की पश्चिम बंगाल, पंजाब, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, इन सभी राज्यों ने ये विधेयक लागू करने से ही मना कर दिया है. तो इन राज्यों में किसी को फिलहाल ज्यादा जुर्माना नहीं भरना पड़ रहा है.
भारत के कई राज्यों और इन राज्यों में इस विधेयक कि क्या स्थिति है, इसको लेकर जागरण और फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट में पढ़ा जा सकता है. ये दावा ठीक नहीं है कि ट्रैफिक नियमों को तोडने पर जुर्माने में कमी सिर्फ गुजरात सरकार ने ही की है.