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श्रीनगर और उसके आसपास के इलाकों में 22 सितंबर की रात भूकंप जैसे झटके महसूस किए गए. कुछ लोगों का दावा है कि उन्होंने धमाके जैसी आवाजें भी सुनीं. ‘नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी’ ने इसे 3.6 तीव्रता वाला भूकंप बताया.
इस बीच सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर कयास लगाए जाने लगे कि यह सचमुच भूकंप था या कुछ और. कोई इसे चीन का हमला बता रहा था तो कोई इसे पुराने बमों को ठिकाने लगाने की सेना की कार्रवाई बता रहा था.
जम्मू-कश्मीर में 'द हिन्दू' अखबार के पूर्व ब्यूरो चीफ अहमद अली फैयाज ने ट्विटर के जरिये इस बात की आशंका जताई कि “कहीं यह भारतीय एयर फोर्स की 200 बमों को नष्ट करने की वह कार्रवाई तो नहीं थी जिसके बारे में उसने 27 अगस्त को सूचना दी थी?”
Latitude, Longitude, Richter Scale, 5 Km depth. Is that enough to establish scientifically that tonight's 2 second tremor, felt in radius of 20 km in Srinagar, was earthquake? Why not the underground explosion of 200 kg bomb which IAF notified on 27 Aug around Srinagar airport?
— Ahmed Ali Fayyaz (@ahmedalifayyaz) September 22, 2020
इस बीच सोशल मीडिया पर धुएं के गुबार से घिरे एक रॉकेट की तस्वीर वायरल हो रही है. इस तस्वीर के साथ कहा जा रहा है कि चीन ने भारत पर मिसाइल से हमला कर दिया है. इस हमले की वजह से भूकंप जैसे झटके महसूस किए गए.
इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है. इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि यह दावा भ्रामक है. वायरल हो रही तस्वीर साल 2017 में हुए जापान के एक सैटलाइट लॉन्च की है. वायरल तस्वीर के साथ कहा जा रहा है, “चीन ने भारत पर किया मिसाइल हमला. इस हमले से महसूस हुए भूकंप जैसे झटके!”
फेसबुक पर बहुत सारे लोग इस दावे पर यकीन करते हुए इसे शेयर कर रहे हैं. इन पोस्ट्स के नीचे कमेंट कर रहे कुछ लोग इस दावे को फर्जी भी बता रहे हैं.
दावे की पड़ताल
हमने पाया कि वायरल फोटो एक जापानी सैटलाइट ‘मिचिबिकि-4’ के लॉन्च की है. रिवर्स सर्च करने पर यह तस्वीर हमें गेटीइमेजेज पर मिली. फोटो के साथ कैप्शन में लिखा है, “जापान की चौथी और आखिरी ‘क्वासी जेनिथ सैटलाइट’ मिचिबिकि-4 को ले जाता एच-2ए रॉकेट. 10 अक्टूबर, 2017 को इस सैटलाइट को दक्षिण पश्चिमी जापान के ‘टानेगाशिमा स्पेस सेंटर’ से लॉन्च किया गया.”
यह तस्वीर रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में भी इस्तेमाल हुई है. इस रिपोर्ट के अनुसार, मिचिबिकि-4 सैटेलाइट को लॉन्च करने का मकसद जीपीएस सेवाओं में सुधार करना था.
उधर, भारत-चीन सीमा पर तनातनी के बीच दोनों देशों के बीच बातचीत का दौर जारी है. बीबीसी की 23 सितंबर की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों देशों के बीच सहमति बनी है कि वे सीमा पर सैनिकों की संख्या अब और नहीं बढ़ाएंगे. हालांकि, सैनिकों को पीछे हटाने के मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच अभी भी सहमति नहीं बन पाई है.