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फैक्ट चेक: JNU के प्रदर्शन की नहीं हैं वायरल हो रही ये तस्वीरें

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रही इन तस्वीरों का जेएनयू में हो रहे छात्रों के प्रदर्शन से कोई लेना देना नहीं है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
जेएनयू में छात्रों के साथ हो रही बर्बरता की तस्वीरें
फेसबुक यूजर्स जैसे 'Milind Fulzele' और अन्य
सच्चाई
वायरल हो रही इन तस्वीरों का जेएनयू में चल रहे ताजा प्रदर्शन से कोई लेना देना नहीं है.

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दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में हॉस्टल फीस बढ़ोतरी के खिलाफ छात्रों का प्रदर्शन जारी है. इसी बीच सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिन्हें इस प्रदर्शन के दौरान स्टूडेंट्स पर पुलिस व सरकार की बर्बरता का बताया जा रहा है. ताजा वायरल तस्वीर में एक महिला को देखा जा सकता है जिसके सिर से खून बहता दिख रहा है. वहीं एक अन्य तस्वीर में पुलिसकर्मी एक महिला पर लाठी बरसाता दिख रहा है.

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रही इन तस्वीरों का जेएनयू में हो रहे छात्रों के प्रदर्शन से कोई लेना देना नहीं है. पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां  देखा जा सकता है.

पहली तस्वीर

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फेसबुक यूजर 'milind Fulzele' और 'किसान पुत्र गब्बर' ने खून में सनी एक महिला की तस्वीर पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा: 'JNU छात्रों को मोदी सरकार द्वारा बरबरतापूर्वक पिटना छिक्कार है'.

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वायरल तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमने पाया कि इस तस्वीर का जेएनयू से कोई लेना देना नहीं है. वायरल तस्वीर करीब 14 साल पुरानी है और लेबनान की है. हमें jafariyanews.com नामक वेबसाइट पर एक आर्टिकल मिला, जिसमें इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था.

आर्टिकल के अनुसार यह तस्वीर साल 2005 के मोहर्रम के दसवें दिन की है जिसे अशुरा भी कहा जाता है. शिया मुस्लिम अशुरा पर चेन, चाकू व तलवार आदि से खुद को घायल कर इस मातम में हिस्सा लेते हैं. इस आर्टिकल में ईराक, सीरिया, अफगानिस्तान आदि जगहों से तस्वीरें देखी जा सकती हैं. इस वायरल हो रही तस्वीर को लेबनान का बताया गया है.

कुछ समय पहले यह तस्वीर कश्मीर घाटी की बता कर वायरल हुई थी. उस समय boomlive ने इस तस्वीर का सच सामने रखा था.

दूसरी तस्वीर

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फेसबुक यूजर 'Om Rajpurohit ' ने एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें लड़की को पुलिसकर्मी लाठी से मार रहा है. तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा गया है:"लड़कीयाँ:- हम लड़कों से काम नही है। पुलिस:- तो ये ले ... #JNUProtests Me  ये पड़ा धोनी का 6 और गेंद स्टेडियम से बाहर"

इस तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमने पाया कि यह तस्वीर साल 2012 में खींची गई थी. हमें यह तस्वीर न्यूज एजेंसी रॉयटर्स  पर मिली, जिसे फोटोग्राफर अदनान आबिदी ने क्लिक किया था.

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तस्वीर के साथ लिखे गए कैप्शन के अनुसार 23 वर्षीय पैरामेडिकल स्टूडेंट के चलती बस में हुए गैंगरेप की घटना से अक्रोशित लोगों ने 22 दिसंबर, 2012 को राष्ट्रपति भवन के पास प्रदर्शन किया था. पुलिस ने स्थित को काबू में लाने के लिए लाठियां भांजीं थीं और आंसू गैस के गोले भी छोड़े थे.

तीसरी तस्वीर

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जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष और एक्टिविस्ट शहला राशिद की भी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. तस्वीर में उन्हें पाकिस्तानी झंडे वाली साड़ी पहने देखा जा सकता है. इस तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमने पाया कि शहला की तस्वीर को फोटोशॉप की मदद से तैयार किया गया है. असली तस्वीर में उन्होंने हरे रंग की प्लेन साड़ी पहनी है.

हाल ही में 'आजतक'  ने इस दावे की पोल खोली थी.

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