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फैक्ट चेक: क्या बेटे की तरह कैलाश विजयवर्गीय ने भी की थी अधिकारी की पिटाई?

क्या अपने बेटे आकाश विजयवर्गीय की तरह ही कैलाश विजयवर्गीय ने भी कभी एक अधिकारी की पिटाई की थी? सोशल मीडिया पर एक पुरानी, ब्लैक एंड व्हाइट फोटो वायरल हो गई है. इस फोटो में कैलाश विजयवर्गीय हाथ में जूता लिए थोड़ी आक्रामक मुद्रा में दिख रहे हैं.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
कैलाश विजयवर्गीय ने जूते दिखाकर एक अधिकारी को धमकाया.
फेसबुक यूजर्स, जैसे ‘Rafiq Lasne’
सच्चाई
कैलाश विजयवर्गीय किसी को जूता नहीं दिखाया, वे अपनी बात कहने के संदर्भ में जूता दिखा रहे थे कि चक्कर लगा-लगा लगाकर मेरे जूते भी घिस चुके हैं लेकिन काम नहीं हुआ.

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क्या अपने बेटे आकाश विजयवर्गीय की तरह ही कैलाश विजयवर्गीय ने भी कभी एक अधिकारी की पिटाई की थी?

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय ने इंदौर में नगर निगम अधिकारी के साथ बैट से मारपीट की. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार करके न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है.

आकाश के जेल जाने के बाद सोशल मीडिया पर एक पुरानी, ब्लैक एंड व्हाइट फोटो वायरल हो गई है. इस फोटो में कैलाश विजयवर्गीय हाथ में जूता लिए थोड़ी आक्रामक मुद्रा में दिख रहे हैं. जूता सामने खड़े आदमी के मुंह के थोड़ा करीब दिख रहा है. उसके साथ एक पुलिस वाला और कुछ अन्य लोग भी खड़े हैं.

इस फोटो के बारे में दावा किया जा रहा है कि 'कैलाश विजयवर्गीय एएसपी प्रमोद फलनीकर पर हमला करते हुए'. इस फोटो पर लोग व्यंग्यात्मक टिप्पणियां कर रहे हैं कि निगम अधिकारी पर बैट से हमला करके आकाश विजयवर्गीय ने वही किया है जो उन्होंने अपने पिता से सीखा है.

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सोशल मीडिया के अलावा कई मीडिया संस्थानों ने भी इस फोटो के बारे में ऐसी खबरें चलाई हैं जिससे ये लगता है कि अधिकारी पर कैलाश ने जूता उठाया था.

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम ने (AFWA) इस फोटो की तह तक जाकर पता किया तो इस 25 साल पुरानी फोटो की कहानी सामने आई. असल कहानी कुछ और है. न तो अधिकारी पर हमला हुआ था, न ही कैलाश विजयवर्गीय ने उन्हें धमकाया था.

जिस आदमी पर कथित तौर पर हमला हुआ, वह कौन है? दरअसल, कैलाश विजयवर्गीय जिस आदमी पर जूता चलाते दिख रहे हैं वे मध्य प्रदेश कैडर के 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रमोद श्रीपाद फलनीकर हैं. फिलहाल वे एनएसजी में बतौर आईजी नई दिल्ली में पोस्टेड हैं. फलनीकर मध्य प्रदेश में अलग-अलग विभागों में लंबे समय तक काम कर चुके हैं.

क्या इस फोटो से छेड़छाड़ हुई?

नहीं, इस फोटो से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है. यह 1994 में खींची गई थी. इसे इंदौर के एक सांध्य अखबार 'प्रभात किरन' के फोटोग्राफर ने खींची थी. जिस आदमी के हाथ में जूता है, वह कैलाश विजय​वर्गीय ही हैं. वे उस वक्त इंदौर के विधायक थे. फोटो में यूनीफॉर्म में जो पुलिस वाला दिख रहा है, वह अरुण जैन हैं, जो उस समय तुकोगंज पुलिस थाने के प्रभारी थे. प्रमोद श्रीपाद फलनीकर, जिससे विजयवर्गीय बात करते दिख रहे हैं वे उस समय इंदौर में एएसपी (सिटी) थे.

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क्या कैलाश ने फलनीकर से अभद्रता की?

हमने फलनीकर से इस घटना के विषय में बात की. उन्होंने कन्फर्म किया कि फोटो में जो आदमी दिख रहा है, वह वे खुद ही हैं. 25 साल पुरानी घटना को याद करते हुए उन्होंने बताया कि 'उस समय परदेसीपुरा इलाके में पानी की समस्या चल रही थी. कैलाश विजयवर्गीय समर्थकों के साथ मुंबई-आगरा हाईवे पर चक्का जाम कर रहे थे. बतौर एएसपी मैं वहां गया और उन्हें धरना खत्म करने के लिए मना लिया. मैंने उनसे यह वादा किया था कि मैं निगम कमिश्नर से बात करूंगा और समस्या का निदान हो जाएगा. वे राजी हो गए और चक्का जाम हट गया.'

फलनीकर का कहना है कि हालांकि, पानी की समस्या कुछ दिन बाद भी खत्म नहीं हुई. फिर हमें पता चला कि विजयवर्गीय और उनके समर्थकों ने वरिष्ठ निगम​ अधिकारी का ​घेराव करने का निर्णय लिया है. हमने उनके घर की सुरक्षा बढ़ाई और मौके पर पहुंचा. मैं विजयवर्गीय को मार्च न करने के लिए समझाने लगा. फलनीकर ने बताया, 'मुझे अच्छी तरह याद है कि फोटो में जो पुलिसमैन दिख रहा है, वह थाना प्रभारी अरुण जैन हैं.'

“यही समय था जब विजयवर्गीय ने अपना जूता निकाला और मुझे दिखाते हुए कहा- आपके कहने पर हमने उस दिन धरना खत्म कर दिया था. म्युनिसिपल ऑफिस के चक्कर लगा लगा कर हमारे जूते घिस गए पर कुछ हुआ नहीं. अब तो इनके घर जाकर ही बात करनी होगी.”

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फलनीकर ने बताया कि “जिस समय वे अपना जूता दिखा रहे थे उसी समय 'प्रभात किरन' के फोटोग्राफर ने फोटो क्लिक कर ली. तबसे यह फोटो कई बार सर्कुलेट हो चुकी है और बेवजह का विवाद पैदा कर चुकी है.”

फलनीकर जोर देकर कहते हैं कि किसी भी समय विजयवर्गीय ने उन्हें धमकाया नहीं, क्योंकि उनका गुस्सा तो निगम अधिकारियों पर था, न कि मुझ पर. दूसरे, आप फोटो में देख सकते हैं कि पुलिस वाला कैसे आराम से खड़ा है. “अगर कोई विधायक पुलिसवाले के अधिकारी के साथ अभद्रता कर रहा होता तो पुलिसवाला कुछ न कुछ प्रतिक्रिया दे रहा होता, वह इतने आराम से तो नहीं खड़ा होता.”

इस घटना की और अधिक पुष्टि करने के लिए हमने 'प्रभात किरन' के उस फोटोग्राफर से संपर्क करने की कोशिश की, जिन्होंने यह फोटो खींची थी. हालांकि, हमारा उनसे संपर्क नहीं हो पाया. अगर उनसे संपर्क होता है और उनकी प्रतिक्रिया मिलती है तो यह स्टोरी में अपडेट कर दिया जाएगा.

बहरहाल, जब आकाश विजयवर्गीय की कहानी सबको पता है, उसी समय सोशल मीडिया और कुछ मीडिया संस्थान भी एक ऐसे फोटो के झांसे में आ गए हैं जो प्रथमदृष्टया कुछ और कहानी कह रही है, लेकिन उसके पीछे की कहानी कुछ और है.

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आप हमें factcheck@intoday.com पर ईमेल भी कर सकते हैं
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