क्या वाकई चालीस साल बाद श्रीनगर में भजन कीर्तन हुआ? जी हां, सोशल मीडिया पर इन्हीं दावों के साथ एक वीडियो वायरल हो रहा है. साथ में हैशटैग लगाया गया है ‘मोदी है तो मुमकिन है’. इस वीडियो में एक ट्रैक्टर पर झांकी सजी हुई है और लोग ढोल ताशों के बीच ‘हरे रामा, हरे कृष्णा, हरे हरे’ गा रहे हैं.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल हो रही पोस्ट में जो दावा किया जा रहा है, वो गलत है. दरअसल, ये झांकी पिछले बारह सालों से श्रीनगर में निकल रही है.
एक फेसबुक यूजर कनक मिश्र ने 7 मई को एक वीडियो अपलोड किया और दावा किया, ‘40 साल बाद कश्मीर श्रीनगर में भजन कीर्तन हुआ! श्री राम जय राम जय जय राम का नारा लगा इसीलिए कहते हैं भाई लोग #मोदीहैतोमुमकिनहै.’ इस पोस्ट को स्टोरी लिखे जाने तक 36,000 फेसबुक यूजर्स ने शेयर किया. इस पोस्ट पर तकरीबन 190 लोगों ने कमेंट कर ‘जय श्री राम’ और ‘हर हर मोदी’ लिखा है. इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्ज़न यहां देखा जा सकता है.
26 अप्रैल को ट्विटर पर भी इस वीडिया को गौतम नाम के यूजर ने इन्हीं दावों के साथ अपलोड किया था. इस पोस्ट को स्टोरी के लिखे जाने तक डेढ़ सौ से ज्यादा ट्विटर यूजर्स ने री-ट्वीट किया है. इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम ने इंटरनेट पर 'हरे रामा हरे कृष्णा श्रीनगर' शब्दों को सर्च किया तो पता चला कि इस साल अप्रैल में राम नवमी के अवसर पर इस्कोन से जुड़े लोगों ने ये झांकी निकाली थी. इस खबर को यहां पढ़ा जा सकता है. यूट्यूब पर भी यही वीडियो देखा जा सकता है.
लेकिन सवाल ये है कि क्या श्रीनगर में चालीस सालों से वाकई राम नवमी पर इस तरह की झांकी नहीं निकाली गई? इसके लिए इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम ने इंटरनेट पर कुछ पुरानी खबरों और वीडियो ढूंढा तो पाया कि 2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के पहले भी ये झांकी निकलती थी. इस बात की पुष्टि इस खबर में भी की जा सकती है.
इसके साथ ही इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम ने श्रीनगर में इस्कोन संस्था में भी फोन किया. हमारी बात वहां के सदस्य माखनलाल दास से बात हुई. माखनलाल दास ने बताया, 'श्रीनगर में साल में दो बार हमारी झांकी निकलती है. एक बार जन्माष्टमी और और दूसरी बार रामनवमी पर. ये हम लोग 2007 से आयोजित करते आए हैं.'
माखनलाल दास के अनुसार 50-60 लोग अमूमन हर झांकी में हिस्सा लेते हैं. माखनलाल दास ने ये भी कहा कि पिछले बारह सालों में प्रशासन और पुलिस की मदद से तकरीबन हर साल ये झांकियां निकलती आई हैं.
जाहिर है कि ये दावा कि चालीस सालों में पहली बार अब श्रीनगर में भजन कीर्तन हो रहा है, गलत है.