सोशल मीडिया पर कर्नाटक का बताकर एक वीडियो खूब शेयर किया जा रहा है जिसमें कुछ लोग ट्रैक्टर से एक मूर्ति को गिराते हुए दिख रहे हैं. मूर्ति के ठीक पीछे भगवान राम का एक कट-आउट भी नजर आ रहा है. ऐसा लग रहा है कि लोग मूर्ति के साथ इस कट-आउट पर पत्थर मार रहे हैं.
वीडियो के साथ कहा जा रहा है कि भगवान राम का ये अपमान कर्नाटक में हुआ है जहां कांग्रेस की सरकार है. वीडियो के साथ कैप्शन में लोग लिख रहे हैं, “कर्नाटक के हिन्दुओं ने बीजेपी सरकार को हराकर कांग्रेस पार्टी की सरकार बनाई थी. अब कांग्रेस सरकार की हरकतों और मुस्लिम तुष्टिकरण की पराकाष्ठा के कारण पछता रहे हैं”.
इस दावे के साथ ये वीडियो इंस्टाग्राम और फेसबुक पर शेयर किया जा रहा है.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये वीडियो कर्नाटक का नहीं है. ये मध्य प्रदेश के उज्जैन में जनवरी 2024 में हुई एक घटना का वीडियो है.
कैसे पता चली सच्चाई?
वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें इससे संबंधित कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं. ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की 26 जनवरी 2024 की खबर में वीडियो के साथ बताया गया है कि ये मामला उज्जैन के माकड़ोन इलाके का है. यहां दो गुटों के बीच मारपीट हो गई थी.
बवाल तब शुरू हुआ जब इलाके में पाटीदार समुदाय के लोगों ने पूर्व डिप्टी पीएम सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतीमा को गिरा दिया था. वहीं, भीम आर्मी के लोग वहां भीमराव अंबेडकर की मूर्ति लगाना चाहते थे. वीडियो में जो मूर्ति गिराई जा रही है वो वल्लभ भाई पटेल की ही है.
ये बवाल इतना बढ़ गया था कि दोनों गुटों में आपस में पत्थरबाजी हो गई थी. द प्रिंट ने भी इस पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी.
दरअसल, उज्जैन जिले के माकड़ोन में मंडी गेट और बस स्टैंड के पास जमीन खाली पड़ी थी. भीम आर्मी चाहती थी कि यहां डॉ. अंबेडकर की मूर्ति लगाई जाए. जबकि पाटीदार समाज के लोग सरदार पटेल की मूर्ति लगाने की मांग करते आ रहे थे. मामला पंचायत में विचाराधीन था. अमर उजाला की खबर के अनुसार 24 जनवरी को किसी ने उस जगह पर वल्लभ भाई पटेल की प्रतीमा लगा दी जिसके चलते 25 जनवरी को ये विवाद हो गया था.
बाद में पुलिस ने स्थिति को काबू में लेते हुए दोनों गुटों में बातचीत करवाई थी. लापरवाही के चलते माकड़ोन थाना प्रभारी संजय मालवीय को निलंबित भी किया गया था.