scorecardresearch
 

Fact Check: मैगी में नहीं है सूअर की चर्बी

फेसबुक पर एक वीडियो इस समय खूब धूम मचा रहा है, इसमें दावा किया जा रहा है कि इंस्टेंट नूडल मैगी में स्वाद बढ़ाने के चक्कर में सूअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जा रहा है. फेसबुक पर सीक्रेट इंडियन नाम के एक पेज ने इस दावे के साथ ये वीडियो अपलोड की.

Advertisement

आजतक फैक्ट चेक

दावा
मैगी को स्वादिष्ट बनाने के लिए सूअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जाता है
फेसबुक पेज ‘Secret Indian TV’
सच्चाई
मैगी में इस्तेमाल किया जाने वाला इनहांसर चुकंदर और खमीर से लिया जाता है सूअर से नहीं

Advertisement

फेसबुक पर एक वीडियो इस समय खूब धूम मचा रहा है, इसमें दावा किया जा रहा है कि इंस्टेंट नूडल मैगी में स्वाद बढ़ाने के चक्कर में सूअर की चर्बी का इस्तेमाल किया जा रहा है. फेसबुक पर सीक्रेट इंडियन नाम के एक पेज ने इस दावे के साथ ये वीडियो अपलोड की.  इस वीडियो में ये भी कहा गया कि ऐसे कई अन्य पैकेज फूड हैं जिसमें ऐसा फ्लेवर एनहांसर डाला जाता है जो सूअर की चर्बी से बनता है. इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वीडियो का दावा भ्रामक है.

इस वीडियो को लगभग 6.3 लाख से ज़्यादा लोग देख चुके हैं और 9000 से भी ज़्यादा लोगों ने इसे शेयर भी किया है. वीडियो का आर्काइव वर्जन आप यहां देख सकते हैं. वीडियो के शीर्षक में लिखा है 'मैगी खाते हो सच को फैलाओ'.

Advertisement

शुरुआत में वीडियो लेज़ चिप्स में स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल हुए एनहांसर के बारे में बताता है और दावा करता है कि इसमें सूअर की चर्बी होती है. उसके बाद  वीडियो में कहा जाता है कि कई खाद्य पदार्थों में इसी एनहांसर का प्रयोग किया जाता है. वीडियो में ये भी बताया गया कि कैसे सूअर की चर्बी को 18वीं सदी में कई चीज़ों के लिए उपयोग में लाया जाता था.   

वीडियो लोगों को मैगी के सेवन के बारे में जागरूक करने की बात तो करता है लेकिन  पूरे वीडियो में मैगी का तो कोई ज़िक्र ही नहीं है. वीडियो के दावे को सच ठहराने के लिए एनहांसर का नाम दिया जा रहा है. इस एनहांसर पर ही पूरा वीडियो केंद्रित है

वीडियो में कहा गया कि अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों ने चुपके से सूअर की चर्बी मिलाने के लिए एन्हैंसरों के कोड लिखने शुरू किये. कई फ्लेवर एनहांसर जैसे E631 और E635 खाद्य पदार्थों में मिलाए जाते हैं जो जानवरों की चर्बी से बनते हैं.  इन खाद्य पदार्थों में मैगी और लेज़ शामिल हैं , लेकिन ये दावा कोई नया नहीं. गूगल सर्च में कई लोग इसी फ्लेवर एनहांसर के दावे को सच ठहराने की कोशिश का रहे हैं.

AFWA ने पाया कि इस दावे का कोई पुख्ता सबूत नहीं है. हालांकि E 635 (Disodium 5'-ribonucleotides) और E631 (Disodium inosinate) जानवरों से ही प्राप्त किये जा सकते हैं,लेकिन जानवर ही इस एनहांसर का एकलौता स्रोत नहीं हैं.

Advertisement

नेस्ले ने अपनी वेबसाइट के FAQ https://www.maggi.in/faq सेक्शन में साफ़ बताया है कि मैगी के E 635 एनहांसर को बनाने के लिए चुकंदर और यीस्ट का प्रयोग होता है जो जानवरों से नहीं लिया जाता.

लेज़ ने भी पहले बताया है कि वह अपने E 631 के लिए टैपिओका  का इस्तेमाल करता है जो एक पौधे से आता है.भारतीय खाघ संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई ) के नियमों के अनुसार किसी भी खाद्य पदार्थ पर लाल (मांसाहारी) और हरा (शाकाहारी) डॉट होना अनिवार्य है. मैगी के चिकन विकल्प को छोड़कर सब पर हरा डॉट लगा हुआ है. जनवरी में ही FSSAI ने मैगी के सेवन को सेफ ठहराया था. मैगी के अंदर सूअर की चर्बी होने वाली खबर सच नहीं है.

क्या आपको लगता है कोई मैसैज झूठा ?
सच जानने के लिए उसे हमारे नंबर 73 7000 7000 पर भेजें.
आप हमें factcheck@intoday.com पर ईमेल भी कर सकते हैं
Advertisement
Advertisement