अपनी 150वीं जयंती पर महात्मा गांधी भी सोशल मीडिया में फैलने वाली फर्जी खबरों का शिकार हो गए. सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसे लेकर दावा किया जा रहा है कि यह फोटो उस वक्त की है जब नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी. फोटो देखकर भी ऐसा लगता है कि यह तस्वीर ठीक गांधी की हत्या के समय खींची गई है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि यह दावा गलत है.
क्या है दावा
फेसबुक यूजर ‘Raja Waqar’ ने 2 अक्टूबर को एक फोटो पोस्ट की है जिसमें देखा जा सकता है कि एक आदमी जमीन पर पड़ा है और एक आदमी उसके ऊपर झुका हुआ है. इसके पीछे एक युवक को दो लोगों ने पकड़ रखा है. तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा है, “महात्मा गांधी की हत्या की दुर्लभ फोटो. हिंदू कट्टरपंथी और आरएसएस कार्यकर्ता नाथूराम गोडसे वह आदमी था जिसने गांधी को मारा और उसे दो हिंदुओं ने पकड़ लिया. गांधी का मृत शरीर जमीन पर पड़ा है. (30 जनवरी, 1948). इसके बाद भारत सरकार की ओर से आरएसएस पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया गया.”
पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
बहुत से फेसबुक यूजर जैसे Junoon Media , Ammar Ahmed और ‘Sat Ram ’ आदि ने भी इस तस्वीर को उसी दावे के साथ शेयर किया है.
AFWA की पड़ताल
इस तस्वीर की असलियत जानने के लिए अपनी पड़ताल में हमने पाया कि कि तस्वीर पर कई लोग कमेंट कर रहे हैं कि यह तस्वीर एक फिल्म से ली गई है.
इस तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमने पाया कि सोशल मीडिया पर यह तस्वीर पहले भी शेयर होती रही है. हमें कुछ लिंक मिले जहां पर फिल्म
‘Nine Hours to Rama’ से जुड़ी कुछ तस्वीरें मौजूद हैं. यह फिल्म 1963 में Mark Robson के निर्देशन में बनी थी, जो कि यूट्यूब पर मौजूद है.
इस फिल्म में गोडसे का किरदार निभाने वाले अभिनेता Horst Buchholz को यहां देखा जा सकता है.
वायरल तस्वीर और Horst Buchholz की असली तस्वीर को देखकर भी समझा जा सकता है कि वायरल तस्वीर फिल्म ‘Nine Hours to Rama’ की ही है.
इस तरह से निष्कर्ष निकलता है कि फिल्म में गांधी की हत्या का जो रूपांतरण किया गया, उसकी फोटो गलत दावे के साथ वायरल की जा रही है. यह गांधी की हत्या की असली तस्वीर नहीं है, बल्कि फिल्म ‘Nine Hours to Rama’ का स्टिल शॉट है.
30 जनवरी, 1948 को नई दिल्ली के बिरला हाउस में गांधी की हत्या की गई थी, जो कि अब गांधी स्मृति के नाम से जाना जाता है. यहां पर गांधी ने अपने जीवन के आखिरी 144 दिन यहां पर बिताए थे.