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फैक्ट चेक: ईवीएम से जुड़ा मनीष सिसोदिया का ट्वीट भ्रामक है

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने जांच में पाया कि ईवीएम से जुड़ा ये वीडियो 20 दिन पुराना है. झांसी में 29 अप्रैल को वोटिंग हुई थी. प्रशासन को ईवीएम से छेड़छाड़ के कोई सबूत नहीं मिले.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
झांसी में ईवीएम लदी गाड़ियां मिलीं जिससे ईवीएम छेड़छाड़ का शक है.
विकास योगी और मनीष सिसोदिया
सच्चाई
घटना 20 दिन पुरानी है और स्थानीय प्रशासन ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया.

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दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार (21 मई) को एक ट्वीट को रिट्वीट किया, जिसमें दावा किया गया था कि सभी पोलिंग बूथों पर ईवीएम बदले जा रहे हैं, चुनाव आयोग और मीडिया इस खबर को नहीं दिखा रहा है. इस ट्वीट में एक न्यूज चैनल की तस्वीरें भी लगाई गई हैं. उनका ये भी दावा था कि लोगों ने मोदी के खिलाफ वोट किया लेकिन मीडिया और चुनाव आयोग इस छेड़छाड़ में शामिल हैं. सिसोदिया ने अपने दावे में 5 जगहों के नाम शामिल किए जिसमें झांसी भी शामिल है जहां ईवीएम बदले जाने का आरोप है.

 सिसोदिया ने आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी विकास योगी के ट्वीट को रिट्वीट किया था, जिसमें दावा किया गया कि झांसी में ईवीएम लदी गाड़ियां पाई गईं. विकास योगी ने लिखा “झांसी में गाड़ियों में भरी EVM मिलीं. मंडी समिति में दोनों गाड़ियों को छोड़कर भागे कर्मचारी. @ECISVEEP कोई जवाब???”

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हालांकि सिसोदिया और योगी ने वीडियो का वक्त नहीं बताया लेकिन मतगणना से एक दिन पहले इसे साझा करना ये साफ संकेत देता है कि ईवीएम का ये वीडियो ताजा है.

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने जांच में पाया कि ईवीएम से जुड़ा ये वीडियो 20 दिन पुराना है. झांसी में 29 अप्रैल को वोटिंग हुई थी. प्रशासन को ईवीएम से छेड़छाड़ के कोई सबूत नहीं मिले. स्थानीय नेताओं और जिला प्रशासन के बीच हुई गलतफहमी पर प्रशासन ने सफाई भी दे दी है.

हम आपको बता दें कि AAP के नेता विकास योगी ने एक न्यूज चैनल की तस्वीरें शेयर कीं जिसमें रिपोर्टर फोन पर जानकारी दे रहा है.

खबर लिखे जाने तक विकास योगी और सिसोदिया के इस ट्वीट को 2000 से ज्यादा बार रिट्वीट किया जा चुका है. ज्यादातर लोगों को यकीन था कि ये घटना अभी की है लेकिन कई लोगों ने कमेंट किया कि ये घटना पुरानी है. हमें यूट्यूब पर इस तस्वीर की असली क्लीप मिल गई जो 30 अप्रैल 2019 को प्रसारित की गई थी. हमने न्यूज 18 के झांसी के रिपोर्टर अश्वनी मिश्रा से बात की. उन्होंने बताया कि ये घटना 30 अप्रैल की है और वोटिंग के एक दिन बाद की है जब झांसी में स्थानीय लोगों ने ईवीएम से भरी दो गाड़ियों को पकड़ा था.

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स्थानीय नेताओं ने जब ईवीएम से छेड़छाड़ की बात कहकर बवाल करना शुरू किया तो जिलाधिकारी सामने आए और नेताओं को बाकायदा दिखाया कि ये रिजर्व ईवीएम थे और इन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था. इन ईवीएम को जिले के दूरदराज वाले इलाके गारौथा और मऊरानीपुर जैसी जगहों से लाया गया था.

हिंदी न्यूज वेबसाइट दैनिक भाष्कर   ने भी इस घटना के बारे में 30 अप्रैल को खबर छापी थी

जिलाधिकारी ने चुनाव आयोग को 30 अप्रैल को इस बाबत चिट्ठी लिखी थी और न्यूज 18 की रिपोर्ट का जिक्र भी कर दिया था. साथ ही उन्होंने ये भी लिखा कि स्थानीय नेताओं को वो पकड़े गए ईवीएम के बारे में बता चुके हैं और वो सभी संतुष्ट हो गए. जिलाधिकारी की चिट्ठी यहां देखी जा सकती है.

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