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फैक्ट चेक: सऊदी अरब की नहीं हैं योग करते मुस्लिमों की ये तस्वीरें

सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिन्हें सऊदी अरब का बताया जा रहा है और दावा किया जा रहा है कि मुस्लिम भी योग करते हैं. लेकिन ये तस्वीरें सालों पुरानी हैं और इनका सऊदी अरब से कोई लेना-देना नहीं है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
योग करते हुए इन मुस्लिमों की ये तस्वीरें सऊदी अरब की हैं. ये उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो कहते हैं कि योग केवल एक समुदाय से ताल्लुक रखता है.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
तस्वीरों का सऊदी अरब से कोई लेना-देना नहीं है. पहली तस्वीर 2015 में अहमदाबाद में और दूसरी तस्वीर 2017 में अबू धाबी में खींची गई थी.

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) के बाद से सोशल मीडिया पर दो तस्वीरें वायरल हो रही हैं जिनमें मुस्लिम समुदाय के लोग योग करते हुए नजर आ रहे हैं. इन तस्वीरों के साथ दावा किया जा रहा है कि ये तस्वीरें सऊदी अरब की हैं. तस्वीर को शेयर करते हुए यूजर्स कह रहे हैं कि ये उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो कहते हैं कि योग सिर्फ एक समुदाय से ताल्लुक रखता है.

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पोस्ट में दो तस्वीरें हैं. पहली तस्वीर में बुर्का पहने कई लड़कियां योगासन की मुद्रा में बैठी हुई हैं, वहीं दूसरी तस्वीर में मुस्लिम समुदाय के कुछ पुरुषों को योग करते हुए देखा जा सकता है.

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम (AFWA) ने पाया पोस्ट में किया जा रहा दावा भ्रामक है. पहली तस्वीर साल 2015 में अहमदाबाद में और दूसरी तस्वीर 2017 में अबू धाबी में खींची गई ​थी.

इन तस्वीरों को शेयर करते हुए लोग सोशल मीडिया कैप्शन में लिख रहे हैं, "यह सऊदी अरब की कुछ तस्वीरें उनके मुहँ पे तमाचा है.... जो कहते हैं कि योगा केवल एक समुदाय से तालुक रखता है." ट्विटर और फेसबुक पर ये पोस्ट योग दिवस के बाद से काफी वायरल हो रही हैं. पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.

क्या है इन तस्वीरों की सच्चाई

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पहली तस्वीर

इस तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमें अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्था "VOA News" की एक खबर मिली जिसमें यह तस्वीर मौजूद थी. खबर के मुताबिक ये तस्वीर 17 जून 2015 को अहमदाबाद के एक स्कूल में खींची गई थी. इसके चार दिन बाद पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने वाला था. जून 2015 में बीबीसी ने भी इस तस्वीर को एक खबर में इस्तेमाल किया था. यह खबर भारत में पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के चलते हो रही तैयारियों को लेकर ही थी.

दूसरी तस्वीर

तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमें कुछ सोशल मीडिया मिलीं. इनमें बताया गया था कि ये तस्वीर यूएई की है जहां भारत के बोहरा मुस्लिम समुदाय ने योगा किया.‌ इसके बाद कुछ कीवर्ड्स की मदद से हमें "डीडी न्यूज़" और "ऑल इंडिया रेडियो" के ट्वीट्स मिले जिनमें इसी तरह की तस्वीरें मौजूद थीं. यहां बताया गया था कि जून 2017 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर यूएई की राजधानी अबू धाबी में बोहरा समुदाय के लोगों ने ‌योग किया. इसको लेकर गल्फ न्यूज़ ने भी उस समय एक खबर प्रकाशित की थी.

इससे यह साबित हो जाता है कि दोनों वायरल तस्वीरें कई साल पुरानी हैं और सऊदी अरब की नहीं हैं.

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सऊदी अरब और योग  

साल 2017 से पहले तक सऊदी अरब में योग को मान्यता प्राप्त नहीं थी. नवंबर 2017 में सऊदी अरब ने योग को खेल गतिविधियों के रूप में मान्यता दे दी. इसका श्रेय अरबी योग प्रशिक्षक नउफ मरवई को दिया गया. नउफ ने ही 2010 में अरब योग फाउंडेशन की स्थापना की थी. भारत सरकार की तरफ से उन्हें पद्मश्री से भी नवाजा जा चुका है. इसके साथ ही सऊदी अरब ने सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर भारत के साथ एक समझौता भी किया है. इस समझौते के तहत योग को बढ़ावा देने के लिए भारत और सऊदी अरब एक-दूसरे की मदद करेंगे.

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