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फैक्ट चेक: मुस्लिम महिलाओं की इस कांवड़ यात्रा का महाशिवरात्रि से नहीं है कोई लेना देना

इन दो वायरल तस्वीरों के साथ दावा किया जा रहा है कि महाशिवरात्रि के अवसर पर मध्य प्रदेश के इंदौर में मुस्लिम महिलाओं ने कांवड़ उठाए.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
इंदौर में महाशिवरात्रि पर मुस्लिम महिलाओं ने निकाली कांवड़ यात्रा
फेसबुक पेज जैसे कनक मिश्र
सच्चाई
यह कांवड़ यात्रा साल 2015 में सावन के आखिरी सोमवार को इंदौर में निकाली गई थी, इन तस्वीरों का महाशिवरात्रि से कोई रिश्ता नहीं है.

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सोशल मीडिया पर इन दिनों बुर्का पहने महिलाओं की दो तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं. जहां एक तस्वीर में यह महिलाएं कांवड़ उठाए नजर आ रही हैं, तो वहीं दूसरी तस्वीर में महिलाओं की भीड़ नजर आती हैं जिनमें से आधी महिलाओं ने बुर्का पहना है. वायरल तस्वीरों के साथ दावा किया जा रहा है कि महाशिवरात्रि के अवसर पर इंदौर में मुस्लिम महिलाओं ने कांवड़ उठाए.

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रही तस्वीर महाशिवरात्रि के अवसर की नहीं बल्कि साल 2015 के सावन के आखिरी सोमवार की है.

फेसबुक पेज "कनक मिश्र" ने यह तस्वीरें पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा:"इंदौर में महाशिवरा​त्रि के मौके पर मुस्लिम माताओं बहनों ने बुर्का पहनकर उठाई कांवड़। ॐ नमः शिवाय लिखकर शिव भक्त मुस्लिम बहनों का स्वागत नहीं करोगे?"

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खबर लिखे जाने तक इस पोस्ट को 6700 से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका था. यह तस्वीरें फेसबुक पेज "युवा भारत" और "मोदी मानिया" सहित कई जगह शेयर की गई हैं.

वायरल तस्वीरों का सच जानने के लिए जब हमने इन्हें रिवर्स सर्च किया तो पाया कि ये तस्वीरें महाशिवा​रात्रि की नहीं बल्कि सावन के आखिरी सोमवार की हैं. दरअसल अगस्त 2015 में इंदौर में सावन के आखिरी सोमवार के दिन यह कांवड़ यात्रा निकाली गई थी. सर्व धर्म एकता का संदेश देती इस यात्रा में हिंदू और मुस्लिम ही नहीं बल्कि सिख, ईसाई और पारसी समाज की महिलाएं भी कांवड़ लेकर शामिल हुई थीं. उस समय न्यूज 18 सहित कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने इस खबर को प्रकाशित किया था.

पड़ताल में यह साफ हुआ कि वायरल तस्वीरें इंदौर की तो हैं लेकिन यह महाशिवरात्रि की नहीं बल्कि साल 2015 के सावन के आखिरी सोमवार की हैं.

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