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सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक पुरानी तस्वीर वायरल हो रही है. इस ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर में मोदी एक शख्स के साथ खड़े दिख रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि ये शख्स सामाजिक कार्यकर्ता और आंदोलनकारी अन्ना हजारे हैं और ये दुर्लभ तस्वीर आरएसएस शिविर में खींची गई थी. तस्वीर के जरिये ऐसा बताने की कोशिश की जा रही है कि अन्ना हजारे भी आरएसएस के जुड़े रहे हैं और उनकी विचारधारा नरेंद्र मोदी से मिलती है. बता दें कि अन्ना हजारे साल 2011 में घर-घर में पहचाने जाने वाला नाम हो गए थे जब वो भ्रष्टाचार के खिलाफ दिल्ली में अनशन पर बैठे थे. उनके इस आंदोलन को जनता का भारी समर्थन मिला था.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल पोस्ट में किया जा रहा दावा गलत है. तस्वीर में नरेंद्र मोदी के साथ खड़े दिख रहे शख्स अन्ना हजारे नहीं बल्कि लक्ष्मणराव इनामदार हैं. इनामदार गुजरात में आरएसएस को स्थापित करने वाले लोगों में से एक थे और मोदी के करीबी थे. ये तस्वीर तीन दशक से ज़्यादा पुरानी है.
कैसे पता की सच्चाई?
तस्वीर को एक मराठी कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है. दावे को सच मानकर लोग लिख रहे हैं कि दोनों आरएसएस कार्यकर्ता हैं और साल 2012 से देश को गुमराह कर रहे हैं. वायरल पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.
तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमें 'इंडिया टुडे' और 'द इकनोमिक टाइम्स' की रिपोर्ट्स मिली. इन रिपोर्ट्स में वायरल तस्वीर मौजूद थी. यहां दी गई जानकरी के अनुसार तस्वीर में मोदी के साथ लक्ष्मणराव इनामदार हैं जिन्हें 'वकील साहिब' के नाम से भी जाना जाता था.
इनामदार ने मोदी के आरएसएस के दिनों में अहम किरदार निभाया था. खबरों में बताया गया है कि इनामदार ने नरेंद्र मोदी को अनुशासन और राजनीति के तमाम पाठ पढ़ाए थे. पीएम मोदी ने 'आजतक' को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि इनामदार से वे अपने मन की हर बात साझा करते थे.
बीबीसी की एक खबर के मुताबिक लक्ष्मण इनामदार ने 1960 से 1980 के बीच गुजरात में आरएसएस को घर-घर तक पहुंचाने का अभियान चलाया था. 1967 में मोदी पहली बार इनामदार के संपर्क में आए थे और इसी के बाद से मोदी को अपने इस गुरु से काफी कुछ सीखने को मिला था. लक्ष्मण इनामदार ने वकालत की पढ़ाई की थी इसलिए उन्हें 'वकील साहिब' कहा जाता था.
यहां इस बात कि पुष्टि हो जाती है कि तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा गलत है. तस्वीर में मोदी के साथ लक्ष्मणराव इनामदार हैं, ना कि अन्ना हजारे. हालांकि 2011 में First Post में प्रकाशित हुई एक खबर के मुताबिक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि अन्ना और आरएसएस के संबंध पुराने रहे हैं. भागवत का कहना था कि आरएसएस ने ही अन्ना हजारे को भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़ने की बात कही थी. इस बात को उस समय अन्ना हज़ारे ने नकार दिया था. लेकिन अन्ना हजारे पर आरएसएस का एजेंट होने के आरोप समय-समय पर लगते रहे हैं.