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फैक्ट चेक: नेहरू का एडिटेड वीडियो हुआ वायरल, नहीं कही थी आजादी की लड़ाई में शामिल न होने वाली बात

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो को शेयर करने वालों की मानें तो इस इंटरव्यू में नेहरू ने कबूल किया था कि वो भारत की आजादी की लड़ाई में कभी शामिल ही नहीं  हुए थे. इस वीडियो का आजतक की टीम ने फैक्ट चेक किया है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
इस इंटरव्यू में नेहरू ने कबूल किया था कि वो भारत की आजादी की लड़ाई में कभी शामिल ही नहीं हुए थे.
सोशल मीडिया यूजर्स 
सच्चाई
वीडियो एडिटेड है. आजादी की लड़ाई में शामिल नहीं होने की बात नेहरू ने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्नाह के संदर्भ में कही थी. 

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के एक इंटरव्यू का क्लिप इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. वीडियो को शेयर करने वालों की मानें तो इस इंटरव्यू में नेहरू ने कबूल किया था कि वो भारत की आजादी की लड़ाई में कभी शामिल ही नहीं  हुए थे.

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वायरल वीडियो को शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, “‘दुर्लभ वीडियो. "मैं आज़ादी की लड़ाई में बिल्कुल भी शामिल नहीं था. बल्कि मैंने इसका विरोध किया था’- नेहरू जी.”इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि वायरल वीडियो एडिटेड और अधूरा है. आजादी की लड़ाई में शामिल नहीं होने की बात नेहरू ने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्नाह के संदर्भ में कही थी. 

कैसे पता लगाई सच्चाई?

वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें नेहरू का ये पूरा इंटरव्यू प्रसार भारती के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर मिला. जिसे वहां 14 मई, 2019 को अपलोड किया गया था. वायरल क्लिप इसी इंटरव्यू का हिस्सा है. वीडियो के साथ जानकारी दी गई है कि नेहरू के निधन से पहले ये उनका आखिरी साक्षात्कार था. ये इंटरव्यू उन्होंने अमेरिकी टीवी होस्ट अर्नोल्ड माइकेलिस को 1964 में दिया था.

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वायरल वीडियो वाला हिस्सा प्रसार भारती के वीडियो में 14:30 मिनट पर देखा जा सकता है. 14 मिनट 30 सेकंड पर अर्नोल्ड नेहरू से पूछते हैं  कि आप, गांधी और जिन्नाह...सभी स्वतंत्रता और विभाजन से पहले अंग्रेजों के खिलाफ आजादी के लड़ाई में शामिल थे.” इसके जवाब में नेहरू कहते हैं, “जिन्नाह स्वतंत्रता की लड़ाई में कभी शामिल नहीं थे... बिल्कुल भी नहीं. असल में, उन्होंने इसका विरोध किया था. मेरे हिसाब से मुस्लिम लीग की स्थापना 1911 के आसपास में हुई थी. इसे असल में अंग्रेजों ने ही शुरू किया था और लीग को उनका समर्थन भी हासिल था, ताकि संघर्ष में गुटबाजी पैदा की जा सके... और वे इस प्रयास में कुछ हद तक सफल भी हुए. और अंत में विभाजन हुआ."

इसके बाद, माइकेलिस पूछते हैं, “क्या आप और गांधी इसके (विभाजन) के पक्ष में थे?” इस सवाल पर नेहरू कहते हैं, “आखिरी सांस तक गांधी इसके पक्ष में नहीं थे. जब यह हो रहा था, तब भी वे इसके पक्ष में नहीं थे. मैं स्वयं इसके पक्ष में नहीं था. लेकिन अंततः मैंने अन्य लोगों की तरह... कई अन्य लोगों की तरह, यह निर्णय लिया कि इस निरंतर परेशानी से अच्छा है कि विभाजन हो जाए. जैसा कि आप जानते हैं कि मुस्लिम लीग के कई नेता बड़े-बड़े जमींदार थे... जो भूमि सुधार के खिलाफ थे. दूसरी ओर, हम भूमि सुधार करने के लिए काफी बेसब्र थे, जो बाद में हम करने में कामयाब भी रहे. और यही एक कारण था कि हम विभाजन के लिए सहमत हुए क्योंकि हमें पता था कि इस लगातार खींचतान के साथ-साथ वो हमारे सुधार कार्यों में भी बाधा डालेंगे. इसलिए हमने कहा कि इससे अच्छा है कि भारत का विभाजन हो... ताकि हम अपने सुधार कार्य जारी रख सकें और ये नेता हमारे सुधार कार्यों में किसी तरह की बाधा भी न पहुंचा पाएं.” 

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इस साक्षात्कार को नेहरू सेंटर फॉर सोशल रिसर्च ने भी अपने फेसबुक अकाउंट पर दिसंबर 2021 में शेयर किया था.  वायरल क्लिप के शुरुआती हिस्से में ‘जिन्नाह’ को हटाकर ‘I’(मैं) जोड़ा गया है जिससे ऐसा लगे कि नेहरू ने आजादी में शामिल न होने की बात खुद के लिए कही है. यहां हमारी जांच में ये स्पष्ट हो जाता है कि नेहरू के एडिटेड वीडियो के जरिए भ्रम फैलाया जा रहा है.

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