
अक्टूबर 2024 की बात है. दिल्ली के एक कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. बिमल छाजेड़ को अचानक जरूरत से ज्यादा फोन आने लगे. खास बात ये कि फोन उनके मरीज नहीं, बल्कि उनके अपने करीबी दोस्त और जानने वाले कर रहे थे - बस उनका हाल चाल और खैरियत पूछने के लिए.
पहले तो डॉ. छाजेड़ को कुछ हैरानी हुई कि अचानक ऐसा क्या हुआ. लेकिन जल्द ही उनको इसकी वजह पता चल गयी.
सोशल मीडिया पर ये खबर खूब शेयर हो रही थी कि उनकी सनसनीखेज तरीके से हत्या हो गयी है. उन्होंने खुद एक न्यूज की शक्ल में वायरल हो रहे उस मैसेज को देखा जिसमें कहा जा रहा था कि "डॉ. बिमल छाजेड़ नाम के एक डॉक्टर ने दवा कंपनियों की पोल खोलने की कोशिश की. नतीजा क्या निकला- जब वो एक इंटरव्यू देकर लौट रहे थे, तो उनकी कार में धमाका करके उनकी हत्या कर दी गई".
इस रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. छाजेड़ को अपनी जान इसलिए गंवानी पड़ी क्योंकि उन्होंने एक ऐसी रामबाण दवा की खोज कर ली थी जिससे हाई ब्लड-प्रेशर की बीमारी हमेशा के लिए ठीक हो जाती है. कहानी के मुताबिक दवा माफिया ने उनकी हत्या इसलिए करा दी क्योंकि इस नायाब दवा के लोकप्रिय होने के बाद उनका कारोबार चौपट हो सकता था.
ये फर्जी न्यूज रिपोर्ट इतनी वायरल हुई कि डॉ. बिमल को खुद वीडियो बनाकर लोगों से गुजारिश करनी पड़ी कि वो ठीक हैं और लोग इस फर्जी खबर पर यकीन ना करें.
बात सिर्फ इतनी नहीं थी कि डॉ. बिमल छाजेड़ के बारे में झूठी अफवाह फैलाई गयी. खास बात ये है अपनी ही हत्या के बारे में बनाई गयी फर्जी खबर में डॉ. छाजेड़ के डीपफेक वीडियो का इस्तेमाल हुआ जिसमें वो ये बताते हुए दिखते हैं कि मुझे इस दवा को बनाने के बाद से लगातार धमकियां मिल रही हैं.
यही नहीं, लोग इस खबर के झांसे में आ जाएं इसके लिए न्यूज एंकर रजत शर्मा का डीप फेक भी बनाया गया है, एक जलती हुई कार भी दिखती है और वर्दी में इंटरव्यू देता एक पुलिस वाला भी दिखता है जो बता रहा है कि हत्या की जांच की जा रही है. यानी ठगी के लिए एक पूरा पैकेज तैयार किया गया है.
इंटरनेट के जरिये फर्जी दवाएं बेचने का कारोबार तो बहुत पुराना है, लेकिन लोगों को फंसाने के लिए अब जो जाल बुना जाता है उसमें नामी गिरामी डॉक्टर और न्यूज एंकर्स के डीपफेक हैं, एक रोचक लेकिन बकवास कहानी है, और अंत में, ठगी करने वाला एक लिंक.
इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने ठगी करने वाले दर्जनों फेसबुक पोस्ट की जांच की और पाया कि उनमें से ज्यादातर अपना जाल बुनने के लिए एक ही तरह के ताने-बाने का इस्तेमाल करते हैं. ठगी के कुछ फार्मूले ऐसे हैं जो लगभग हमेशा इस्तेमाल होते हैं.
सनसनीखेज या इमोशनल कहानी
अमूमन, कहानी ऐसी गढ़ी जाती है कि किसी मशहूर डॉक्टर ने प्राकृतिक चीजों से किसी मुश्किल बीमारी के इलाज के लिए एक जादुई दवा की खोज की है. लेकिन अब दवा माफिया इसे दुनिया के सामने आने से रोक देना चाहते हैं.
जैसे, इस वायरल वीडियो के मुताबिक, एक फार्मास्यूटिकल कंपनी के प्रतिनिधि ने लाइव टीवी कार्यक्रम के दौरान मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. देवी शेट्टी पर हमला कर दिया क्योंकि वो एक ऐसी दवा के बारे में बता रहे थे जो बिना ‘जहरीली एंटीबायोटिक दवाओं' के दिल की तमाम बीमारियों को ठीक कर देती है. टीवी स्टूडियो में दो लोगों के बीच लड़ाई-झगड़ा होता दिखता भी है.
ये बताने की जरूरत नहीं है कि यहां डॉ. देवी शेट्टी का डीपफेक इस्तेमाल किया गया है जो AI से बना है. डीपफेक बनाने के लिए डॉ. शेट्टी का एक पुराना इंटरव्यू चुराया गया है. स्टूडियो में लड़ाई-झगड़े वाली क्लिप, 2017 के टीवी डिबेट से ली गयी है.
अजीबो गरीब रिसर्च का दावा
रोब जमाने के लिए किसी नामी यूनिवर्सिटी या मेडिकल संस्थान का नाम लिया जाता है और एक ऐसे रिसर्च का हवाला दिया जाता है जो कभी हुआ ही नहीं. आप चाहें भी तो कुछ पता नहीं कर पाएंगे क्योंकि ये कभी नहीं बताया जाता कि ये रिसर्च कब हुआ और इसके बारे में कहां क्या छपा. जैसे, इस वीडियो में डॉ. देवी शेट्टी का डीपफेक दावा करता है कि ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर उनकी टीम ने डायबिटीज का पक्का इलाज खोज निकाला है. ऐसे वीडियो में अकसर एंटीबायोटिक दवाओं की आलोचना की जाती है और कई बार निहायत ही ऊटपटांग, घरेलू किस्म के उपाय सुझाए जाते हैं. जैसे, सोडा, नमक-पानी , और चावल जैसी घर में आसानी से मिलने वाली चीजों से ही डायबिटीज, मोटापा और हाई बीपी जैसी बीमारियों से निजात पाई जा सकती है.
इलाज या करिश्मा?
ये वीडियो जिस तरह के इलाज की बात करते हैं, वो सुनने में किसी चमत्कार जैसा लगता है. जैसे, आजतक की एंकर अंजना ओम कश्यप के न्यूज बुलेटिन से छेड़छाड़ करके बनाए गए इस वीडियो में एक एक दवा का जिक्र है जो सिर्फ 17 घंटे में डायबिटीज ठीक कर सकती है.
वहीं, एक अन्य वीडियो के मुताबिक, मेदांता हॉस्पिटल के सीएमडी डॉ. नरेश त्रेहन ने एक ऐसी दवा बनाई है जो हाई बीपी की बीमारी को 6 घंटे में खत्म कर देती है.
इस किस्म के फर्जीवाड़ों में सबसे ज्यादा डॉ. नरेश त्रेहन, डॉ. देवी शेट्टी और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया के डॉ. दीपक चोपड़ा के वीडियो इस्तेमाल हो रहे हैं.
फर्जी वीडियो को असली जैसा दिखाने के लिए जाने माने न्यूज एंकर्स, जैसे अंजना ओम कश्यप, श्वेता त्रिपाठी, सुधीर चौधरी, और रजत शर्मा का डीपफेक खूब बनाया जा रहा है.यही नहीं, कई बार तो नामी गिरामी हस्तियों, जैसे अमिताभ बच्चन, सद्गुरु वासुदेव जग्गी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का डीपफेक भी बेधड़क बनाया जा रहा है.
सीमित समय के ऑफर का लालच
वीडियो में कहा जाता है कि चमत्कारिक दवा को लेने के लिए मारामारी मची है लेकिन दवा बहुत कम बची है. लेकिन जब आप दवा खरीदने के लिए दिए गए लिंक को खोलते हैं तो अकसर आप किसी ऐसी फर्जी वेबसाइट पर पहुंच जाते हैं जहां आपसे नाम, पता, फोन नंबर और तमाम अन्य पर्सनल जानकारी मांगी जाती है. ये अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि ये सारा डेटा बाजार में बेचा जाता है.
न्यूज की शक्ल में टार्गेटेड ऐड
अधिकतर मामलों में ऐसे फेसबुक पोस्ट असल में एक तरह के विज्ञापन होते हैं. लेकिन खास बात ये कि ये ऐड सबको नहीं दिखते. विज्ञापनों पर नजर रखने वाली अमेरिकी संस्था 'चेक माई ऐड्स' की डायरेक्टर ऑफ इंटेलिजेंस एरिएल गार्सिया ने आजतक को बताया कि इस तरह के अधिकतर विज्ञापन 'टार्गेटेड ऐड' होते हैं यानि चुनिंदा लोगों को दिखते हैं, इसलिए इनकी शिकायत करना भी आसान नहीं होता.
'एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया' (ASCI) ने एक सर्वे में पाया कि नियमों की सबसे ज्यादा अनदेखी स्वास्थ्य से जुड़े ऐड्स में ही हो रही है.
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट अनुराग सिंह कहते हैं कि ऐसे डीपफेक में आवाज अकसर होठों के मूवमेंट से मेल नहीं खाती. लोगों के चेहरे के भाव और उनकी आवाज भी रोबोटनुमा लगती है और इन्हें सिर्फ ध्यान से देखने भर से पहचाना जा सकता है.
पाई लैब्स नामक संस्था की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पिछले पांच सालों में डीपफेक के मामले 550 प्रतिशत तक बढ़े हैं जिसके चलते 2025 तक करीब 70 हजार करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका है.