बोइंग कंपनी के चिनूक हेलीकॉप्टर्स को हाल ही में भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया. ये हेलीकॉप्टर्स भारत की धरती पर उतरे लेकिन साथ ही विवाद भी इनके नाम से जुड़ गया. चिनूक हेलीकॉप्टर्स के भारत की सरजमीं पर उतरने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. वीडियो में दावा किया जा रहा है कि भारत नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) से बाहर का दुनिया का पहला देश है, जिसे ये हेलीकॉप्टर मिले.
मंगलवार को इस झूठे दावे के साथ फेसबुक पेज “ I Support Narendra Bhai Modi BJP” ने ये वीडियो शेयर किया.
बता दें कि चार चिनूक हेलीकॉप्टर्स की पहली खेप रविवार (10 जनवरी) को गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर उतारी गई. चिनूक हेलीकॉप्टर भारी साजोसामान ले जाने में सक्षम हैं. ये स्टोरी लिखे जाने तक इस पोस्ट को 800 से ज्यादा लोगों ने शेयर किया जबकि वीडियो को 34 हजार से ज्यादा लोग देख चुके थे.
वीडियो के साथ हिन्दी में ये संदेश लिखा देखा जा सकता है-
“अमेरिका चिनूक हेलीकॉप्टर NATO देशों के अलावा किसी को नहीं बेचता है. भारत पहला गैर नाटो देश है जिसे ये मिला है. नमो नम:”
ट्विटर पर भी यही दावा कई यूजर्स अपने हैंडल्स पर करते देखे गए. वीडियो के साथ लिखे संदेश को कॉपी पेस्ट कर सर्च इंजन में डाला जाए तो इस झूठे संदेश को शेयर करने वाले कई अकाउंट सामने आए.
बोइंग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, सैनिक उद्देश्य से पूरी तरह सुसज्जित पहला चिनूक CH47 हेलीकॉप्टर 1962 में तैयार किया गया. इसे वियतनाम, इराक और अफगानिस्तान जैसे युद्धक्षेत्रों में इस्तेमाल किया गया. इस हेलीकॉप्टर को कई बार अपग्रेड किया जा चुका है. कई देश इस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल कर चुके हैं, जिनमें ऐसे देश भी शामिल हैं जो NATO के सदस्य नहीं हैं.
हमारी रिसर्च से पता चला कि भारत से पहले कई देशों जैसे ईरान, लीबिया, मोरक्को, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, चीन, जापान और सिंगापुर जैसे गैर NATO देशों को चिनूक हेलीकॉप्टर मिल चुके हैं.
बोइंग की बेवसाइट पर ताजा प्रेस विज्ञप्ति में भी इस बात का जिक्र है कि “चिनूक एक बहुउद्देश्यीय हेलीकॉप्टर है जो 8 NATO देशों के नभक्षेत्र में इस्तेमाल किया जा रहा है.” विज्ञप्ति में लिखा गया है- अमेरिकी सेना और स्पेशल ऑपरेशन फोर्सेस के अलावा चिनूक 19 अंतरराष्ट्रीय सेनाओं के लिए सेवा में है या उनके साथ कंपनी का कॉन्ट्रैक्ट है.