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देश में सख्त कानून होने के बावजूद महिलाओं के खिलाफ हिंसा और बलात्कार की खबरें आम हैं. हाल ही में उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक मामला सामने आया है, जहां 30 साल के एक व्यक्ति ने डेढ़ साल की मासूम के साथ बलात्कार किया.
इसी बीच सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रपति ने "हर बलात्कारी को फांसी देने वाले अध्यादेश को मंजूरी" दे दी है. एक फेसबुक यूजर ने राष्ट्रपति कोविंद की तस्वीर को पोस्ट करते हुए लिखा, "अब हर बलात्कारी को मिलेगी फांसी, राष्ट्रपति ने अध्यादेश को दी मंजूरी"
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हाल में ऐसे किसी अध्यादेश को मंजूरी नहीं दी है. उन्होंने 2018 में एक अध्यादेश को मंजूरी दी थी जिसके तहत 12 साल से कम उम्र के बच्चों का रेप करने वाले को न्यूनतम 20 साल और अधिकतम फांसी की सजा का प्रावधान किया गया था. ये अध्यादेश बाद में कानून बन गया. इसमें भी रेप के हर अभियुक्त को मृत्यु दंड देने का प्रावधान नहीं है.
फेसबुक के अलावा इस तरह की पोस्ट ट्विटर पर भी काफी शेयर की जा रही है. पोस्ट के कैप्शन में लोग लिख रहे हैं, "जिसका इंतज़ार था वही मोदी सरकार ने कर दिया, अब हर बलात्कारी को मिलेगी फांसी, राष्ट्रपति ने अध्यादेश को दी मंजूरी...#मोदी_है_तो_मुमकिन_है". पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.
AFWA की पड़ताल
वायरल पोस्ट में किए जा रहे दावे की सच्चाई जानने के लिए कीवर्ड सर्च के जरिए हमने पाया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अप्रैल 2018 में 'प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस' यानी POCSO एक्ट में संशोधन को मंजूरी दी थी. इस संशोधन के तहत बलात्कार के मामलों में सजा के प्रावधानों को और सख्त किया गया था.
अप्रैल 2018 में प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट्स में दी गई जानकारियों के मुताबिक, 21 अप्रैल 2018 को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश 2018 लाया गया था, जिसे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 22 अप्रैल 2018 को ही मंजूरी दे दी थी. इस अध्यादेश में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार करने वालों को मृत्यु दंड तक की सजा दी जा सकती है. लेकिन कहीं ऐसा नहीं लिखा है कि बलात्कार के सभी आरोपियों को फांसी दी जाएगी. दरअसल, जम्मू के कठुआ और उत्तर प्रदेश के एटा में नाबालिग बच्चियों के साथ रेप की घटनाओं के बाद सरकार ने नाबालिगों से रेप करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करने का फैसला लिया था.
इस अध्यादेश को आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश 2018 नाम दिया गया है. इसके तहत किसी महिला से रेप के मामले में न्यूनतम सजा को 7 साल से बढ़ाकर 10 साल किया गया है. साथ ही 12 साल से कम उम्र के बच्चों के साथ रेप करने पर न्यूनतम 20 साल और अधिकतम फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है.
हमने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का ट्विटर अकाउंट भी खंगाला लेकिन हमें ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली जिससे इस बात की पुष्टि हो सके कि राष्ट्रपति ने हाल में ऐसे किसी अध्यादेश को मंजूरी दी है जिसमें हर बलात्कारी को फांसी देने का प्रावधान हो. अगर ऐसा होता तो ये खबर मीडिया में सुर्खियां बटोरती लेकिन हमें कोई मीडिया रिपोर्ट भी नहीं मिली जो इस दावे की पुष्टि करती हो.
ज्यादा जानकारी के लिए हमने सुप्रीम कोर्ट के क्रिमिनल लॉयर विराज कदम से संपर्क किया. विराज ने सोशल मीडिया पर चल रहे इन दावों का खंडन करते हुए हमें बताया कि राष्ट्रपति की ओर से ऐसे किसी अध्यादेश को मंजूरी नहीं मिली है जिसमें हर बलात्कारी को सीधे फांसी की सजा का प्रावधान हो.
विराज ने ये भी बताया कि फांसी की सजा बलात्कारियों के अपराधों पर निर्भर करती है. जैसे, बच्ची के साथ बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर देना या किसी महिला के साथ गैंगरेप करके उसे मौत के घाट उतार देना. इस तरह के मामलों में आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई जा सकती है.
हमारी पड़ताल में ये साफ है कि राष्ट्रपति ने हाल-फिलहाल में ऐसे किसी अध्यादेश को मंजूरी नहीं दी है. उन्होंने 2018 में एक अध्यादेश को मंजूरी दी थी जिसमें छोटे बच्चों का रेप करने पर फांसी तक की सजा दी जा सकती है. हालांकि, इसमें भी रेप के हर केस में फांसी देने का प्रावधान नहीं है.
(सौरभ भटनागर के इनपुट के साथ)