सोशल मीडिया पर एक बच्चे की विचलित कर देने वाली तस्वीर जमकर शेयर हो रही है. तस्वीर में एक परेशान महिला दिख रही है जिसके हाथ में एक बुरी तरह जख्मी छोटा बच्चा है. तस्वीर को नागरिकता संशोधन क़ानून से जोड़ते हुए दावा किया गया है कि इस बच्चे का ऐसा हाल उत्तर प्रदेश पुलिस ने किया.
तस्वीर के साथ दिए गए कैप्शन में लिखा है- "#एनआरसी, #एनपीआर, #सीएए. बच्चे को तक नहीं छोड़ी यूपी पुलिस की गुंडागर्दी, हैवानियत की मिसाल योगी सरकार."
सोशल मीडिया पर फर्जी दावे के साथ वायरल हो रही तस्वीर
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि तस्वीर के साथ किया गया दावा झूठा है. वायरल तस्वीर पाकिस्तान की है और इसका नागरिकता कानून से कोई लेना देना नहीं है.
Mohsin Rfi Khan sp नाम के एक फेसबुक यूज़र ने इस भ्रामक पोस्ट को सोमवार को शेयर किया था. अभी तक इस पोस्ट को 8000 से भी ज्यादा बार शेयर किया जा चुका है.
तस्वीर को इंटरनेट पर खोजने पर हमें पाकिस्तानी वेबसाइट Pak.TV का एक आर्टिकल मिला जिसमें वायरल तस्वीर मौजूद थी. उर्दू में छपे इस आर्टिकल में जिक्र है कि इस घायल बच्चे का ऐसा हाल आवारा कुत्तों ने किया.
Khushal News नाम की एक वेबसाइट ने भी इस तस्वीर को लेकर इसी तरह एक खबर प्रकाशित की है.
कुछ कीवर्ड की मदद से हमें पाकिस्तानी मीडिया हाउस Bol News का एक लेख मिला, जिसमें ऐसी ही एक और तस्वीर मौजूद थी जो दूसरे एंगल से खींची गई है.
यूपी की घटना बताकर चर्चा में पाकिस्तान की खबर
लेख के मुताबिक पाकिस्तान के पंजाब के ओकरा में इस छोटी बच्ची को एक आवारा कुत्ते ने काट कर बुरी तरह जख्मी कर दिया था. यह घटना 11 नवम्बर 2019 के आस पास की थी.
मौजूदा रिपोर्ट्स और हमारी पड़ताल में ये बात साफ होती है कि ये तस्वीर पाकिस्तान की है जिसको भ्रम फ़ैलाने के लिए यूपी का बताया जा रहा है.