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बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग कर रहे पहलवानों को धरने पर बैठे हुए एक महीने से भी ज्यादा समय हो चुका है. इस आंदोलन को किसानों और खाप पंचायतों का समर्थन तो मिल रहा है, लेकिन प्रशासन अब भी लगातार इनकी मांगों को अनदेखा कर रहा है.
लेकिन क्या अब भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इन पहलवानों के लिए न्याय की मांग की है? कुछ सोशल मीडिया यूजर्स मुर्मू का एक वीडियो शेयर करते हुए ऐसा ही कह रहे हैं. इस वीडियो में मुर्मू को किसी स्टेज पर भाषण देते हुए देखा जा सकता है. वायरल वीडियो में मुर्मू कहती हैं, "मुझे लगता है उनको सही में जस्टिस मिलना चाहिए."
कांग्रेस नेता सत्यनारायण पटेल और किसान नेता रवि आजाद समेत कई लोगों ने ये वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "पहली बार खुलकर बोली भारत की महामहीम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, कहा महिला पहलवानों को न्याय मिलना चाहिए. हमें अभी भी लगता है देश में लोकतंत्र बचा हुआ है? राष्ट्रपति महोदया ने कहा पहले बहुत लोग जो चिट्ठी भेजते थे, मुझे मिलती थी. अब मुझे कोई चिट्ठी नहीं मिलती,अब ये चिट्ठियां कहां चली जाती." ऐसे कुछ पोस्ट्स का आर्काइव्ड वर्जन यहां और यहां देखा जा सकता है.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये दावा भ्रामक है. इस वीडियो में मुर्मू पहलवानों के लिए नहीं, बल्कि उन आम लोगों को न्याय दिलाने की बात कर रही थीं जिनकी समस्याओं का हल कोर्ट का फैसला आने के बाद भी नहीं हुआ.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
कीवर्ड सर्च करने पर हमें इस वीडियो का एक लम्बा वर्जन राष्ट्रपति भवन के ट्विटर हैंडल पर मिला. 24 मई को किये गए इस ट्वीट में लिखा है कि राष्ट्रपति मुर्मू ने अपनी स्पीच में बताया कि कैसे कोर्ट से फैसले आने के बावजूद उनके अमल न होने पर लोगों को तकलीफों का सामना करना पड़ता है. साथ ही, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और कानून मंत्री से इस समस्या को हल करने की बात कही.
Speaking extempore briefly while concluding her speech, President Droupadi Murmu underlined the issues related to implementation of verdicts given by the courts. She urged the Chief Justice of India, Union Minister of Law and Justice, Judges and other stakeholders to devise a… pic.twitter.com/eglsg3s0SA
— President of India (@rashtrapatibhvn) May 24, 2023
पूरे वीडियो में मुर्मू कहती हैं कि कई बार लोग कोर्ट में अपने पक्ष में फैसला आने के बाद खुश हो जाते हैं. लेकिन उन फैसलों के बाद भी उनकी समस्या हल नहीं होती है. इस तरह कोर्ट के फैसले पर अमल न होने की वजह से लोगों को सही तौर पर न्याय नहीं मिल पाता है.
थोड़ा और खोजने पर हमें इस वीडियो के बारे में कई न्यूज रिपोर्ट्स मिलीं. दरअसल 24 मई को राष्ट्रपति मुर्मू ने रांची में झारखंड हाईकोर्ट के नए भवन का उद्घाटन किया था. ये पूरे देश में अब तक का सबसे बड़ा न्यायिक परिसर है. इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़, झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल समेत कई लोग मौजूद थे.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ये स्पीच हाईकोर्ट के उद्घाटन के बाद दी थी. अपने भाषण में मुर्मू ने हिंदी में भाषण देने के लिए सीजेआई चंद्रचूड़ की तारीफ की थी. इसके अलावा, उन्होंने बताया कि कई बार कोर्ट के फैसलों के बाद उनके सही से अमल न होने की वजह से लोगों को न्याय नहीं मिलता है. उन्होंने समारोह में मौजूद सीजेआई और कानून मंत्री समेत सभी लोगों से इस समस्या का हल निकालने की बात की.
'अमर उजाला' की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति मुर्मू ने अपना अनुभव सांझा करते हुए बताया कि राष्ट्रपति बनने से पहले वो एक समिति से जुड़ी थीं. जब अदालत किसी मुद्दे पर अपना फैसला सुनाती थी तब ये समिति उस केस से जुड़े लोगों और उनके परिवारों से मिलने जाती थी. उन्होंने बताया कि कई बार कोर्ट से फैसला आने के बावजूद इनका अमल न होने की वजह से लोगों की समस्याएं हल नहीं होती थीं. साथ ही, उन्होंने कहा कि ऐसे कई लोगों की सूची आज भी उनके पास है, जिसे वो सीजेआई को भेजेंगी.
लेकिन, इस पूरे भाषण में उन्होंने कहीं भी पहलवानों को न्याय दिलाने की बात नहीं की थी. साफ है, राष्ट्रपति मुर्मू के भाषण के एक छोटे से हिस्से को दिखा कर लोगों में भ्रम फैलाया जा रहा है.