क्या मोदी सरकार ने एक ऐसा कानून बनाया है, जिसके तहत आदिवासियों को गोली मारी जा सकती है? सुनने में यह बात हैरान करने वाली लगती है, लेकिन सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे एक वीडियो में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ठीक यही कहते सुनाई दे रहे हैं. तमाम लोग उनके इस बयान पर नाराज़गी जताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. बीजेपी आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने तो इस बयान के लिए राहुल गांधी को आदतन झूठ बोलने वाला बताया.
Rahul Gandhi is a congenital LIAR! Can you imagine anyone else speaking such lies and getting away with it? No fact check on Rahul Gandhi’s speeches, no outrage either... This subservience to the family is frankly worrying. But trust the people of India to reject such bigotry. pic.twitter.com/W9sRj9wH9P
— Chowkidar Amit Malviya (@amitmalviya) April 27, 2019
फेसबुक पेज India Unravelled पर राहुल गांधी को झूठा बताते हुए जब ये वीडियो क्लिप डाली गई, तो उसे देखते ही देखते हजारों लोगों ने शेयर कर दिया. इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वार रूम (AFWA) ने अपनी जांच में पाया कि राहुल गांधी का ये बयान भ्रामक है, क्योंकि उन्होंने एक कानून में संशोधन के लिए विचाराधीन धाराओं को ज्यादा ही सीधे सपाट तरीके के पेश कर दिया, जिससे समझने वाले को धोखा हो सकता है.
हालांकि राहुल गांधी की बात को सरासर झूठ भी नहीं कहा जा सकता, क्योंकि जिस इंडियन फॉरेस्ट एक्ट 1927 कानून की बात वो कर रहे हैं, उसमें व्यापक बदलाव करने के लिए सचमुच सरकार ने कदम उठाया है और नए प्रावधानों के तहत वन अधिकारियों को गोली चलाने का अधिकार दिए जाने की बात भी कही गई है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का जो वीडियो क्लिप वायरल हो रहा है, वो उनके 23 अप्रैल को मध्य प्रदेश के शहडोल में दिए गए एक भाषण से लिया गया है. ये पूरा भाषण कांग्रेस पार्टी के यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध है. शहडोल मध्य प्रदेश का एक ऐसा इलाका है, जहां आदिवासियों की अच्छी-ख़ासी आबादी है. यहां 29 अप्रैल को मतदान हुआ था.
राहुल गांधी ने अपने भाषण के आखिरी में आदिवासियों के अधिकारों की बात करते हुए कहते हैं, 'अब नरेन्द्र मोदी ने एक नया कानून बनाया है. आदिवासियों के लिए एक नया कानून बनाया है, जिसमें एक लाइन लिखी है कि आदिवासियों को गोली मारी जा सकेगी. कानून में लिखा है कि आदिवासियों पर आक्रमण होगा. आपकी जमीन छीनकर जंगल लेते हैं, जल लेते हैं और फिर कहते हैं कि आदिवासियों को गोली मारी जा सकती है.'
राहुल गांधी जिस इंडियन फॉरेस्ट एक्ट 1927 की बात कर रहे हैं, उसमें संशोधन का एक मसौदा सरकार ने इस साल के शुरू में तैयार किया था. 7 मार्च को कानून में संशोधन का ये मसौदा पर्यावरण मंत्रालय ने सभी राज्यों को भेजा और उनसे कहा कि इस बारे में विचार-विमर्श करके अपनी राय 7 जून 2019 तक केन्द्र सरकार को भेजें.
फॉरेस्ट एक्ट में संशोधन के लिए जो 123 पेज का जो मसौदा सरकार ने तैयार किया है. इसमें फॉरेस्ट ऑफिसर्स को ऐसे तमाम अधिकार दिए गए हैं, जो उनके पास पहले कभी नहीं थे और जिससे वो कानूनी रूप से काफी ताक़तवर हो जाएंगे.
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक नए मसौदे में ऐसे कई अपराधों को गैरजमानती बनाने की बात कही गई है, जो अभी ज़मानती अपराधों की श्रेणी में हैं. इतना ही नहीं, ये भी कहा गया है कि कई अपराध ऐसे हैं, जिनमें खुद को निर्दोष साबित करने की ज़िम्मेदारी आरोपी की होगी और जब तक वो ऐसा साबित नहीं कर दे, उसे दोषी ही माना जाएगा.
इसी मसौदे में पेज नंबर 84 पर (पांइट नंबर 66) अधिकारियों को गोली चलाने का अधिकार देने की बात लिखी हैं. इसमें कहा गया है कि कानून में एक नया प्रावधान शामिल किया जा रहा है, जिसके मुताबिक अगर फॉरेस्ट एक्ट 1927 या वन्य जीव संरक्षण कानून 1927 के तहत किसी अपराध को रोकने के लिए या फिर किसी अपराधी को पकड़ने के लिए जरूरत हुई, तो वन अधिकारी बंदूक का इस्तेमाल कर सकता है. इस बात का ध्यान रखते हुए कि नुकसान कम से कम हो.'
मसौदे में ये भी लिखा है कि अपराध को रोकने के लिए की गई ऐसी कर्रवाई के लिए उस अधिकारी के खिलाफ बिना राज्य सरकार की मंजूरी के मुकदमा नहीं चलाया जा सकेगा.
हालांकि कानून में संशोधन करने के लिए ये तमाम बातें अभी सिर्फ मसौदे में कही गई हैं, जिनके बारे में राज्य सरकारों को चर्चा करके अपने विचार भेजने को कहा गया है. कानून में ये प्रस्ताव तभी शामिल हो सकते हैं, जब ये प्रावधान संसद के दोनों सदनों से पास हो. संसद की स्थायी समिति में पास हो और फिर इस पर राष्ट्रपति के मंजूरी की मुहर भी लगे. ऐसा हो पाएगा या नहीं, ये अभी नहीं कहा जा सकता. इसलिए राहुल गांधी ने जो दावे किया कि मोदी सरकार ने एक ऐसा कानून बना दिया है, जिसके तहत आदिवासियों को गोली मारी जा सकती है...पूरी तरह ठीक नहीं है.