भारत की नामी-गिरामी एथलीट पीटी ऊषा को इंडियन ओलंपिक ऐसोसिएशन (IOA) का अध्यक्ष चुन लिया गया है. वो देश में ओलंपिक खेलों का संचालन करने वाली संस्था आईओए की पहली महिला अध्यक्ष होंगी.
पीटी ऊषा की इस कामयाबी को सोशल मीडिया पर कुछ लोग राजनीति से जोड़ते हुए कांग्रेस पर निशाना साध रहे रहे हैं. कई लोगों का कहना है कि देश में कांग्रेस के राज में सुरेश कलमाडी आईओए के अध्यक्ष थे जबकि बीजेपी के राज में इस पद पर पीटी ऊषा जैसी कामयाब एथलीट को चुना गया है.
ऐसे लोग एक पोस्टकार्ड शेयर कर रहे हैं जिसमें एक ओर कलमाडी की तस्वीर के साथ लिखा है, 'कांग्रेस काल में सुरेश कलमाडी जैसा भ्रष्ट नेता भारतीय ओलिंपिक संघ का अध्यक्ष. भाजपा काल में पीटी ऊषा जैसे दिग्गज बनी आईओए की अध्यक्ष. गर्व है मोदी सरकार पर..'
एक फेसबुक यूजर ने इस पोस्ट कार्ड को शेयर करते हुए लिखा, 'बदलते भारत की बदलती तस्वीर.'
इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि सुरेश कलमाडी कांग्रेस के शासनkal में नहीं बल्कि तीसरे मोर्चे की सरकार के कार्यकाल के दौरान आईओए के अध्यक्ष बने थे. वो 1996 से 2011 तक आईओए के अध्यक्ष रहे. इस दौरान करीब छह साल तक वाजपेयी सरकार का कार्यकाल भी रहा था.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
साल 1982 में पहली बार कांग्रेस पार्टी की ओर से राज्यसभा सदस्य बने सुरेश कलमाडी खेलों की राजनीति के पुराने खिलाड़ी रहे हैं. कीवर्ड सर्च के जरिए हमें पता लगा कि साल 1992 में कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार के दौरान उन्होंने पहली बार आईओए के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा था. उस चुनाव में वो कामयाब नहीं हो सके थे.
एच डी देवगौड़ा के कार्यकाल में बने आईओए अध्यक्ष
इसके चार साल बाद दिसंबर 1996 में उन्हें कामयाबी मिली और उन्होंने पहली बार आईओए का चुनाव जीतकर उसकी कमान संभाली. उस वक्त देश मे कांग्रेस की नहीं बल्कि एचडी देवगौड़ा के नेतृत्व में संयुक्त मोर्चा का सरकार थी.
1996 में आईओए की कमान संभालने के बाद कलमाडी साल 2011 तक इसके अध्यक्ष के पद पर रहे. इस दौरान साल 1998 से 2004 तक बीजेपी के नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार रही.
इस दौरान साल 2003 में आईओए ने दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 आयोजित करने की दावेदारी हासिल की. इसकी गारंटी उस वक्त की भारत सरकार ने दी.
कॉमनवेल्थ खेलों की मेजबानी हासिल करने का ये बड़ा मुकाम कलमाडी की कमान वाले आईओए और वाजपेयी के नेतृत्व वाली भारत सरकार के बीच मजबूत कॉर्डिनेशन के चलते ही हासिल हो सका था.
साल 2004 में देश में सत्ता परिवरितन हुआ और मनमोहन सिंह की अगुआई में यूपीए सरकार बनी. लेकिन कलमाडी यूपीए सरकार के आने से पहले ही आईओए में अध्यक्ष के तौर पर सात साल से ज्यादा वक्त पूरा कर चुके थे.
यूपीए के कार्यकाल में गए जेल
साल 2010 में दिल्ली में आयोजित हुए कॉमनवेल्थ खेलों में लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद कलमाडी को जेल जाना पड़ा. 2011 में उनके जेल जाने के बाद आईओए की ओर से उन्हें अध्यक्ष पद से हटाकर वरिष्ठ उपाध्यक्ष और बीजेपी नेता वीके मल्होत्रा को अंतरिम अध्यक्ष चुना गया. उस वक्त केंद्र मे यूपीए की सरकार थी. कलमाडी फिर कभी आईओए के अध्यक्ष नहीं बन सके.
साफ है, सुरेश कलमाडी कांग्रेस के शासनकाल के वक्त आईओए के अध्यक्ष नहीं बने थे और वाजपेयी सरकार के छह साल के कार्यकाल के दौरान भी बिना किसी परेशानी के लिहाजा बतौर आईओए अध्यक्ष उनके कार्यकाल को कांग्रेस के शासनकाल के साथ जोड़ना सही नहीं है.
शानदार रहा है पीटी ऊषा का करियर
वहीं दूसरी ओर आईओए की अध्यक्ष चुनी गईं पीटी ऊषा ने बतौर एथलीट भारत को कई कामयाबियां दिलवाई हैं. वो 1982 में दिल्ली में आयोजित हुए एशियन गेम्स में 100 मीटर और 200 मीटर की रेस में सिल्वर मेडल जीतकर सुर्खियों में आईं. 1984 के ओलंपिक खेलों में वो 400 मीटर हर्डल्स की रेस में एक सेकेंड के सौवें हिस्से से ब्रॉन्ज मेडल जीतने से चूक गईं. 55.42 सेकेंड्स का उनके ये रिकॉर्ड आज भी भारत का नेशनल रिकॉर्ड है.
58 साल की पीटी ऊषा को इस साल केंद्र सरकार ने राज्यसभा में मनोनीत किया है. इस लिहाज से उन्हें बीजेपी के करीब जरूर माना जा रहा है. लेकिन आईओए के चुनाव में सरकार का कोई सीधा दखल नहीं होता है. इंटरनेशनल ओलंपिक कमेटी यानी आईओसी ओलंपिक चार्टर के नियम 28(9) के मुताबिक किसी भी देश की सरकार उस देश की नेशनल ओलंपिक कमेटी के कामकाज में सीधा दखल नहीं दे सकती.
साफ है, सुरेश कलमाडी कांग्रेस के शासनकाल के वक्त आईओए के अध्यक्ष नहीं बने लिहाजा बतौर आईओए अध्यक्ष उनके कार्यकाल को कांग्रेस के शासनकाल के जोड़ना सही नहीं है.