क्या अरविंद केजरीवाल सरकार दिल्ली के दंगा पीड़ितों में से सिर्फ मुसलमानों को आर्थिक सहायता दे रही है? सोशल मीडिया पर तो ऐसा ही दावा किया जा रहा है. एक हिंदी दैनिक में छपे हिंसा पीड़ितों को मदद पहुंचाने संबंधी सरकारी विज्ञापन की फोटो के साथ दावा किया जा रहा है कि केजरीवाल सरकार सिर्फ मुसलमानों को सहायता दे रही है?
वायरल फोटो में देखा जा सकता है कि विज्ञापन पेज की हेडिंग है, “दंगा पीड़ितों की मदद हेतु”. इसके ठीक दाहिने तरफ ‘मुस्लिम’ शब्द लिखा है. इसे देखकर ऐसा लगता है कि सरकार सिर्फ मुसलमान पीड़ितों को ही आर्थिक मदद दे रही है.
इस फोटो के साथ किए गए दावे में यह भी कहा जा रहा है कि दिल्ली सरकार दंगा पीड़ितों को मुआवजा देने के मामले में पक्षपात कर रही है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रही फोटो के साथ छेड़छाड़ की गई है. अखबार में जो सरकारी विज्ञापन छपा है, उसकी असली फोटो में किसी भी धर्म का कोई जिक्र नहीं है.
फेसबुक पर कई यूजर्स समेत फेसबुक पेज “NAMO India” ने छेड़छाड़ करके तैयार की गई यह फर्जी फोटो पोस्ट की है. इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
एक साधारण रिवर्स सर्च की मदद से ही हमें अखबार की असली तस्वीर मिल गई. सरकार के ने जो विज्ञापन दिया है उसकी असली तस्वीर में किसी भी धर्म का जिक्र नहीं है.
हमने पाया कि वायरल हो रही तस्वीर हिंदी अखबार “दैनिक जागरण” के 29 फरवरी के संस्करण से ली गई है. इस संस्करण में छपे विज्ञापन में भी किसी धर्म या समुदाय का कोई जिक्र नहीं है. आम आदमी पार्टी के आधिकारिक फेसबुक पेज पर भी 29 फरवरी, 2020 को यह विज्ञापन पोस्ट किया गया है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 27 फरवरी, 2020 को इस सहायता योजना की घोषणा की थी. घोषणा के मुताबिक, दिल्ली सरकार दंगों में मारे गए लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपये की सहायता राशि देगी.
सरकार ने मृतक नाबालिगों के परिजनों को 5 लाख रुपये देने की घोषणा की है. इसके साथ ही इस योजना में कई तरह के मुआवजे का ऐलान किया गया है. इस संबंध में दिल्ली सरकार ने 29 फरवरी को कई अखबारों के माध्यम से विज्ञापन जारी किया था.