सोशल मीडिया पर पत्थर फेंकते हुए एक बुजुर्ग मुस्लिम आदमी की तस्वीर जमकर वायरल हो रही है. तस्वीर के साथ दावा किया गया है कि नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पत्थर फेंकने पर यूपी पुलिस ने इस आदमी पर 50000 रुपये का जुर्माना लगाया है.
तस्वीर के साथ दिए गए कैप्शन में लिखा है- "CAA धमाका... चचा जान के 500 के चक्कर में up पुलिस ने उनको 50000 का नोटिस थमा दिया..."
दरअसल नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन में सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ योगी सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है. सरकार ऐसे लोगों की पहचान कर रही है और उन पर जुर्माना लगाकर वसूली नोटिस भेज रही है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि इस तस्वीर का नागरिकता कानून को लेकर चल रहे प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है. यह तस्वीर बहुत पहले से इंटरनेट पर मौजूद है और कुछ लोगों ने इसे 2016 में पश्चिम बंगाल के मालदा में हुए दंगों का बताया है.
लेखक तारिक फतेह ने भी इस तस्वीर को ट्वीट किया है और व्यंग करते हुए लिखा है, "इसी बीच भारत में एक 'शांतिप्रिय' व्यक्ति का कारनामा".
Meanwhile #, in India a 'peaceful' in action. pic.twitter.com/cVNeOwTErX
— Tarek Fatah (@TarekFatah) December 24, 2019
इसी तस्वीर को तारिक फतेह ने 2016 में भी ट्वीट (https://twitter.com/TarekFatah/status/685208032956026880?s=20) किया था और इसे पश्चिम बंगाल का बताया था.
वायरल तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमें जनवरी 2016 में छपे ऐसे कुछ ब्लॉग और न्यूज़ आर्टिकल मिले, जिसमें इस तस्वीर को पश्चिम बंगाल के मालदा में हुए दंगों से जोड़ा गया था.
3 जनवरी 2016 को पश्चिम बंगाल के मालदा में अल्पसंख्यक समुदाय ने विरोध-प्रदर्शन किया था. यह प्रदर्शन हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी के मोहम्मद पैगंबर पर की गई कथित टिप्पणी को लेकर किया गया था. इस प्रदर्शन के दौरान हिंसक घटनाएं भी हुई थीं, जिनमें करीब दो दर्जन पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी गई थी.
उस समय यह तस्वीर जमकर वायरल हुई थी और कई लोगों ने इसे मालदा में हुई हिंसा का बताया था.
During Malda Riots..Very Peaceful Protestor Tries to Pacify Situation by Throwing a Stone @tathagata2 @bengaleebabu pic.twitter.com/mXtQrESTvM
— সমরजीत দাस🇮🇳 (@jitsamar14) January 8, 2016
हालांकि हमें यह तस्वीर किसी विश्वसनीय वेबसाइट पर नहीं मिली, इसलिए पुख्ता तौर पर यह नहीं कहा जा सकता कि यह तस्वीर कहां की है. लेकिन यह बात साफ है कि तस्वीर बहुत पहले से इंटरनेट पर घूम रही है और इसका नागरिकता कानून के प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है.