इंटरनेट पर इन दिनों ये खबर वायरल है जिसमें दावा किया जा रहा है कि आइसलैंड ने सभी धर्मों को जनसंहार करने वाला हथियार घोषित कर दिया है. इंटरनेट यूजर्स इस फैसले के लिए आइसलैंड की संसद की खूब तारीफ भी कर रहे हैं.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने अपनी जांच में पाया कि ये दावा गलत है. ये लेख दरअसल एक व्यंग्य था जिसका सोशल मीडिया पर लोगों ने गलत अर्थ निकाल लिया.
फेसबुक यूजर राजीव त्यागी ने ये लेख साझा किया जिसका शीर्षक है
'एक के बाद एक, कई देशों को ये रोशनी दिखेगी. और आखिर में ये रोशनी इस्लाम और हिन्दुत्व को मानने वाले जाहिल देखेंगे.'
त्यागी खुद को वायुसेना का पूर्व पायलट बताते हैं और फेसबुक पर उनके 67,000 से ज्यादा फॉलोअर्स हैं.
इस पोस्ट को दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर भी शेयर किया गया.
The Parliament of Iceland has voted to declare all religions as WEAPONS OF MASS DESTRUCTION. Islam, Christianity, Judaism, Hinduism and Buddhism are now in the same category as nuclear weapons.
Now I can seriously think of migrating. The madness here is exasperating.
— Hygienus Nwagwu (@hymanprof) March 8, 2019Should we declare religion as weapon of mass destruction in Nigeria too? https://t.co/vc1rXpue2l
— Akufai Jonah (@AkufaiJonah) March 9, 2019
इन सभी ने वेबसाइट patheos.com के लेख को ही शेयर किया है.
इस लेख के अनुसार, 'आइसलैंड की संसद ने सभी धर्मों को जनसंहार का हथियार घोषित कर दिया है. इस्लाम, ईसाई धर्म, यहूदी धर्म और बौद्ध धर्म सभी को परमाणु हथियारों और केमिकल हथियारों की श्रेणी में रखा गया है.'
लेख के पहली ही लाइन में ‘voted’ हाइपर लिंक किया हुआ है. जब आप इसपर क्लिक करते हैं तो दूसरा पेज खुलता है जो साफतौर पर बताता है कि ये लेख एक व्यंग्य है.
इसके अलावा तमाम तरह की जांच में हमे इस खबर का जिक्र कहीं और नहीं मिला.