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फैक्ट चेक: नए दावे के साथ फिर वायरल हुई देह व्यापार के आरोप में पकड़े गए गैंग की तस्वीर

फर्जी दावों का फैक्ट चेक किए जाने के बावजूद कुछ तस्वीरें नए दावों के साथ सोशल मीडिया पर वापसी करने लगी हैं. ऐसी ही एक तस्वीर इन दिनों जमकर शेयर की जा रही है जिसमें पुलिसकर्मियों और युवक युवतियों का समूह देखा जा सकता है. क्या है इस तस्वीर की हकीकत? जानिए इस फैक्ट चेक में.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
इलाहाबाद विश्वविद्यालय हॉस्टल से बम बनाते पकड़े गए 25 छात्रों की तस्वीर
सोशल मीडिया पर मौजूद लोग जैसे नजदीक खान
सच्चाई
वायरल तस्वीर में नजर आ रहे युवक युवतियों को पुलिस ने देह व्यापार के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.

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फर्जी दावों का फैक्ट चेक किए जाने के बावजूद कुछ तस्वीरें नए दावों के साथ सोशल मीडिया पर वापसी करने लगी हैं. ऐसी ही एक तस्वीर इन दिनों  जमकर शेयर की जा रही है जिसमें पुलिसकर्मियों और युवक युवतियों का समूह देखा जा सकता है. दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के होस्टल से पकड़े गए 25 छात्रों की है. यह छात्र होस्टल में बम बनाते पकड़े गए हैं.

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रही तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा गलत है. यह तस्वीर देह व्यापार के आरोप में गिरफ्तार किए गए यवक—युवतियों की है.

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

फेसबुक यूजर "Nazdeek Khan" ने तस्वीर शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा: "आतंकवाद का नया अड्डा इलाहाबाद विश्वविद्यालय हॉस्टल 25 छात्र बम बनाते पकड़े..58 कमरे सील मीडिया खामोश क्योंकि एक भी मुस्लिम नाम नहीं." खबर लिखे जाने तक यह पोस्ट 3500 से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका था. कुछ दिनों पहले भी यह तस्वीर सोशल मीडिया पर छाई हुई थी. उस समय दावा किया जा रहा था कि मध्यप्रदेश के रतलाम जिले के जावरा शहर से बच्चे पकड़ने वाले 25 लोगों के गैंग को पकड़ा गया है.

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आजतक ने इस दावे की पोल खोलते हुए बताया था कि वायरल तस्वीर रतलाम के जावरा थाना क्षेत्र की है जहां पुलिस ने 14 जुलाई को 8 युवतियों और 15 युवकों को देह व्यापार के आरोप में गिरफ्तार किया था.

पूरी खबर यहां पढ़ी जा सकती है.

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हॉस्टल में छापेमारी

वैसे यूपी के इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ताराचंद छात्रावास में इसी साल अप्रैल में पुलिस ने छापा मारा था. इस दौरान पुलिस को बम और असलहे बनाने के उपकरण मिले थे. पुलिस ने इस छापेमारी में 58 कमरों को भी सील किया था.

इस घटना को कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था.

पड़ताल में साफ हुआ कि वायरल तस्वीर का इलाहाबाद विश्वविद्यालय हॉस्टल की घटना से कोई लेना देना नहीं है.

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