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फैक्ट चेक: चीनी बिजनेसमैन जैक मा का संघर्ष बयान करती तस्वीर का सच

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें दो बच्चों और एक विकलांग व्यक्ति समेत चार लोगों को देखा जा सकता है. तस्वीर से ऐसा लग रहा है कि उसमें दिख रहे चारों व्यक्ति एक आर्थिक रूप से कमजोर अति साधारण परिवार से हैं.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
चीनी बिजनेसमैन और अलीबाबा ग्रुप के संस्थापक जैक मा के बचपन की फोटो.
सोशल मीडिया यूजर्स जैसे ‘Dippak Gupta’
सच्चाई
फोटो में गोल घेरे में दिख रहा बच्चा जैक मा का हमशक्ल है.

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सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें दो बच्चों और एक विकलांग व्यक्ति समेत चार लोगों को देखा जा सकता है. तस्वीर से ऐसा लग रहा है कि उसमें दिख रहे चारों व्यक्ति एक आर्थिक रूप से कमजोर अति साधारण परिवार से हैं.

तस्वीर में गंदी और फटी हुई पीली टीशर्ट में एक बच्चा दिख रहा है जिसे गोल घेरे में दिखाते हुए दावा किया जा रहा है कि यह चीनी बिजनेसमैन और अलीबाबा ग्रुप के संस्थापक जैक मा के बचपन की तस्वीर है.

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वायरल हो रही पोस्ट में इस फोटो को लेकर कई दावे करते हुए यह समझाया गया है कि कैसे कैसे जैक मा ने अपने संघर्ष भरे जीवन से निपटे और सफलता पाई.

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा गलत है. तस्वीर में जिस बच्चे को गोल घेरे में दिखाया गया है वह जैक मा नहीं, बल्कि चीन का एक 8 साल का बच्चा फैन शाओकिन (Fan Xiaoqin) है. खबरों के मुताबिक, वह अलीबाबा के संस्थापक जैक मा जैसा दिखता है. हालांकि, जैक मा के बारे में जो दूसरे दावे किए गए हैं वे लगभग सही हैं.

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यह पोस्ट फेसबुक पर भी सितंबर, 2018 से ही वायरल है. सोशल मीडिया यूजर इस पोस्ट को ट्विटर पर भी शेयर कर रहे हैं.

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जैक मा का हमशक्ल

इंटरनेट पर रिवर्स सर्च की मदद से हमें कई आर्टिकल मिले जिसमें वायरल हो रही तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, गोल घेरे में दिखाया जा रहा बच्चा फैन शाओकिन है जो जैक मा की तरह दिखता है. चीन में वह “छोटे जैक मा” के नाम से मशहूर है. वायरल फोटो में फैन शाओकिन अपने परिवार के साथ है.

चीन में 2016 में शाओकिन के फोटो और वीडियो वायरल हो गए थे जब लोगों का इस तरफ ध्यान गया कि वह जैक मा की तरह दिखता है.

बीबीसी की रिपोर्ट के मुता​बिक, शाओकिन का परिवार चीन के जियांगशी प्रांत में रहता है. यह बेहद गरीब परिवार है जो सरकारी मदद पर अपना निर्वाह करता है.

हालांकि, 2018 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के सम्मेलन में जैक मा ने भी कहा था कि वे बेहद गरीब परिवार में पैदा हुए और उन्हें अच्छी शिक्षा नहीं मिल पाई.

रंक से राजा

AFWA ने तस्वीर के साथ किए जा रहे जैक मा के संघर्ष से जुड़े अन्य दावों की भी पड़ताल की और पाया वे लगभग सही हैं.

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पहला दावा: केएफसी की नौकरी के लिए 24 आवेदकों में से जैक मा एकमात्र व्यक्ति थे जिन्हें नौकरी देने से मना कर दिया गया.

दूसरा दावा: कॉलेज की प्रवेश परीक्षा में जैक मा को गणित में 120 में से मात्र 1 नंबर मिले थे.

तीसरा दावा: सिलिकॉन वैली जैक मा की कंपनी अलीबाबा को फंड देने के लिए तैयार नहीं हुई थी.

चौथा दावा: हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए जैक मा ने 10 बार आवेदन दिया लेकिन यूनिवर्सिटी ने हर बार एडमिशन देने से इनकार कर दिया.

पांचवां दावा: जैक मा को अलग अलग 30 नौ​करियों के लिए अस्वीकृत कर दिया गया.

2015 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के सम्मेलन में जैक मा ने भी इसी तरह की बातें कहीं थीं जब वे अपने संघर्षों और जीवन में मिले नकार के बारे में बता रहे थे.

इस तरह कहा जा सकता है कि वायरल हो रही तस्वीर का जैक मा के बचपन से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन इंटरनेट पर मौजूद जानकारियों के मुताबिक यह कहा जा सकता है कि जैक मा के रंक से राजा बनने की कहानी सही है.

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