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फैक्ट चेक: राजस्थान के इस मंदिर में दलितों की एंट्री पर नहीं है कोई बैन, ये फोटो एडिटेड है

इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि वायरल फोटो को एडिट करके इसमें हरिजनों के आने की मनाही की बात जोड़ी गई है. हकीकत में सिरोही, राजस्थान के इस मंदिर के बाहर ऐसी कोई बात नहीं लिखी है. वहां सभी धर्मों और जातियों के लोग जा सकते हैं.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
ये फोटो राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित एक मंदिर की है जहां दलितों का आना मना है.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
ये फोटो एडिटेड है. हकीकत में सिरोही के इस मंदिर में सभी समुदायों के लोग जा सकते हैं.

सिरोही, राजस्थान के एक मंदिर की फोटो शेयर करते हुए कुछ लोग कह रहे हैं कि यहां दलितों को प्रवेश करने की इजाजत नहीं है. ऐसा कहते हुए कई लोग इसे दलितों पर अत्याचार बता रहे हैं.

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फोटो में दिख रहे मंदिर के प्रवेशद्वार पर लिखा है, “श्रीमानवियता आदि गुरु श्री वाल्मिकि ऋषि मंदिर सरगरा समाज सिरोही.” साथ ही, एक हिदायत भी लिखी है, “इस मंदिर मे हरिजन जाती के लोगो का प्रवेश मना हैं.”  

एक ट्विटर यूजर ने इस फोटो को पोस्ट करते हुए लिखा, "अगर यह लिखने से भगवान खुश होता है तो लिखने वालों को जूतों कि माला से सम्मानित किया जाना चाहिए."

इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि वायरल फोटो को एडिट करके इसमें हरिजनों के आने की मनाही की बात जोड़ी गई है. हकीकत में सिरोही, राजस्थान के इस मंदिर के बाहर ऐसी कोई बात नहीं लिखी है. वहां सभी धर्मों और जातियों के लोग जा सकते हैं.

कैसे पता लगाई सच्चाई?

वायरल फोटो पर कमेंट करते हुए बहुत सारे लोग लिख रहे हैं कि ये फोटो फर्जी है.  

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इसके बारे में कीवर्ड सर्च करने पर ये हमें साल 2022 के एक ट्वीट में मिली.  

उस वक्त सिरोही पुलिस ने इस ट्वीट का जवाब देते हुए इसी मंदिर की एक दूसरी फोटो शेयर की थी. उस फोटो में दीवार पर दलितों को आने की मनाही जैसी कोई बात नहीं लिखी दिख रही.

फोटो के बारे में और जानकारी पाने के लिए हमने 'आजतक' के सिरोही संवाददाता राहुल त्रिपाठी से संपर्क किया. राहुल ने हमें बताया कि ये सरगरा समाज के लोगों का मंदिर है जो सिरोही शहर के झूपाघाट मोहल्ले में है. यहां किसी भी धर्म या समुदाय के लोगों को जाने की मनाही नहीं है. मार्च 2022 में एक पेंटर ने पुताई का काम न दिए जाने से नाराज होकर इसकी फोटो एडिट करके सोशल मीडिया पर शेयर कर दी थी, जो वायरल हो गई थी.

राहुल ने हमें वायरल फोटो में दिख रहे मंदिर की हालिया तस्वीर भी भेजी जिसे नीचे देखा जा सकता है. इसमें कहीं दलितों को आने की मनाही का संदेश नहीं लिखा है.

क्या बोले सरगरा समाज के स्थानीय लोग?  

राजस्थान सरकार की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक सरगरा समुदाय के लोग अनुसूचित जाति में आते हैं.  

हमने मंदिर के पास रहने वाले सरगरा समाज के कुछ लोगों से भी इस बारे में बातचीत की. '27 गांव सरगरा समाज, पाडीव, जिला सिरोही' संस्था के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मण राम सरगरा ने हमें पूरा वाकया बताया- "उस वक्त हम लोगों को वाल्मीकि मंदिर में पुताई और वहां बने हाथियों पर चित्रकारी करवानी थी. इसके लिए पुजारी ने कुम्हार जाति के एक पेंटर को बुलवा लिया. वहीं समाज के एक दूसरे व्यक्ति को इस बात का पता नहीं था, इसलिए उसने दलित जाति के पेंटर साजन से बात कर ली. बाद में साजन को ये कहकर मना कर दिया गया कि पेंटिंग के लिए तो एक दूसरे पेंटर से पहले ही बात हो गई है. ये बात उसे बुरी लग गई और उसने गुस्से में मंदिर की फोटो एडिट करके सोशल मीडिया पर शेयर कर दी."    

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लक्ष्मण ने हमें बताया कि साल 2022 में हुई इस घटना के बारे में समाज के लोगों ने पुलिस में शिकायत भी की थी. लेकिन बाद में साजन ने अपनी गलती मान ली थी और समझौता हो गया था.

क्या कहना है पुलिस का?

हमने वायरल फोटो सिरोही की एसपी ममता गुप्ता को भी भेजी. उन्होंने हमें बताया कि ये एक साल पुराना मामला है और उस वक्त पुलिस को पता लगा था कि ये फोटो फर्जी है. मंदिर में दलितों के प्रवेश की मनाही जैसी कोई बात नहीं लिखी थी.

साफ है, सिरोही के मंदिर की एक एडिटेड फोटो शेयर करके कहा जा रहा है कि वहां दलितों के जाने पर मनाही है, जबकि ऐसी कोई बात नहीं है.

क्या आपको लगता है कोई मैसैज झूठा ?
सच जानने के लिए उसे हमारे नंबर 73 7000 7000 पर भेजें.
आप हमें factcheck@intoday.com पर ईमेल भी कर सकते हैं
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