सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के एटा का बताकर एक वीडियो शेयर किया जा रहा है, जिसमें पुलिसकर्मी डॉ भीमराव आंबेडकर की तस्वीर वाले एक बोर्ड को कपड़े से घिसते नजर आ रहे हैं. किसी सड़क पर लगे इस बोर्ड पर आंबेडकर की तस्वीर के साथ लिखा है, “तुम्हारे पैरों में जूते भले ही न हों लेकिन हाथों में किताब जरूर होनी चाहिए.” वीडियो को शेयर करने वाले यूजर्स का दावा है कि पुलिसकर्मी इस संदेश को मिटा रहे हैं.
वीडियो को एक्स पर शेयर करते हुए यूजर्स लिख रहे हैं, “एटा... दोदलपुर गांव में लगे बोर्ड में लिखा था "तुम्हारे पैरों में जूते भले ही न हों लेकिन हाथों में किताब जरूर होनी चाहिए" इस लेख को मिटाते पुलिस कर्मी.” वायरल पोस्ट शेयर करते हुए यूपी पुलिस की आलोचना की जा रही है.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि दिसंबर 2024 की इस घटना में पुलिसकर्मी बोर्ड पर लिखे संदेश को नहीं मिटा रहे थे. बल्कि इस बोर्ड पर अराजक तत्वों ने पेंट पोत दिया था, जिसे पुलिसकर्मी साफ कर रहे थे.
कैसे पता चली सच्चाई?
वायरल वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें इसका बेहतर क्वालिटी वाला वर्जन 26 दिसंबर 2024 के एक इंस्टाग्राम पोस्ट में मिला. इसके कैप्शन में पुलिसकर्मियों की तारीफ की गई है. इस वीडियो की शुरुआत में बोर्ड पर पेंट जैसे चीज लगी दिखती है, और पुलिसककर्मी उसे साफ करते नजर आ रहे हैं.
कीवर्ड्स सर्च के जरिये खोजने पर हमें 21 दिसंबर 2024 का एक ट्वीट मिला जिसमें पूरे बोर्ड पर पेंट लगा हुआ देखा जा सकता है. इस पोस्ट में दी गई जानकारी के अनुसार, एटा जिले के सकीट थाना क्षेत्र के दोदलपुर गांव में लगे इस बोर्ड पर अराजक तत्वों ने पेंट पोत दिया था. इसकी वजह से ग्रामीणों में आक्रोश था और उनकी शिकायत पर पुलिस मौके पर पहुंची थी.
इसी पोस्ट के जवाब में एटा पुलिस ने साफ हो चुके बोर्ड के साथ पुलिसकर्मियों की तस्वीर शेयर की थी और लिखा था कि स्थानीय पुलिस ने बोर्ड पर लगे कलर को हटा दिया है.
इस घटना से जुड़ी हिंदुस्तान की एक खबर के अनुसार, चपरई मार्ग स्थित गांव दौदलपुर की पहचान के लिए गांव के बाहर एक बोर्ड लगाया गया है. इस बोर्ड के साथ छेड़छाड़ की ये तीसरी घटना थी. इस खबर में बताया गया है कि पुलिसकर्मियों ने ही बोर्ड को सही कराया था. कहीं भी पुलिसकर्मियों द्वारा बोर्ड पर लिखे संदेश को मिटाने की बात नहीं लिखी गई है.
इसके बाद हमने सकीट थाने के सीओ कृष्ण मुरारी दोहरे से संपर्क किया. आजतक से बातचीत में उन्होंने बताया कि 21 दिसंबर 2024 की सुबह पुलिस के पास भीमराव आंबेडकर के चित्र वाले बोर्ड के साथ छेड़छाड़ करके उसपर पेंट पोतने की शिकायत आई थी. इसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंच कर खुद बोर्ड साफ कर दिया था. कृष्ण मुरारी ने बताया कि आरोपी कौन थे, इसका पता अभी नहीं चल पाया है, मगर बोर्ड को अब जाल से कवर कर दिया गया है और निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे भी लगा दिए गए हैं. एटा पुलिस ने 12 जनवरी को ट्वीट करते हुए भी वायरल दावों को झूठा बताया है.
साफ है, एटा में लगे भीमराव आंबेडकर के बोर्ड पर से पुलिसकर्मी संदेश नहीं मिटा रहे थे, बल्कि उसपर लगाए गए पेंट को साफ कर रहे थे.