गुजरात में एक और पांच दिसंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं जिनका नतीजा आठ दिसंबर को आएगा. चुनावी तारीखों के ऐलान के साथ ही सोशल मीडिया पर '#parivartanaaveche' और '#GujaratElections2022' जैसे हैशटैग्स के साथ एक वीडियो वायरल हो गया है. खास तौर पर आम आदमी पार्टी के समर्थक इसे खूब शेयर कर रहे हैं.
ये वीडियो एक न्यूज रिपोर्ट का है जिसमें किसी मीटिंग का दृश्य देखा जा सकता है. भगवा कपड़े पहने हुए कुछ साधु-संत कुछ अन्य लोगों के साथ एक बड़ी-सी मेज के आसपास बैठे हुए हैं. अचानक साधु किसी बात पर भड़क जाते हैं. एक सफेद कपड़े पहने हुए शख्स कुछ कहने की कोशिश करता है, पर साधु उसे डांट कर चुप करा देते हैं. सोशल मीडिया पर सीधे-सीधे तो नहीं, लेकिन घुमा-फिराकर ये कहने की कोशिश की जा रही है कि सफेद कपड़ों वाला ये शख्स बीजेपी नेता है.
इस वीडियो को शेयर करते हुए कई लोग ऐसा कह रहे हैं कि जहां पहले साधु-संत बीजेपी के साथ खड़े रहते थे, वहीं अब उनका भी बीजेपी से मोहभंग हो गया है. वीडियो में एक बुजुर्ग साधु तेज आवाज में एक सफेद कपड़े पहने हुए बुजुर्ग शख्स से कहते हैं, "हम हमेशा काम करते हैं. देखिये, हमें पता है कि जो व्यवस्थाएं हैं, जो रिएलिटी वहां हैं, आप कभी नहीं किए थे."
एक ट्विटर यूजर ने इस वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा, "ये वीडियो जूनागढ़, गुजरात का है. जो साधु-संत कल तक बीजेपी के साथ खड़े रहते थे, अब उनका भी बीजेपी से मोहभंग होने लगा है."
इंडिया टुडे फैक्ट चेक ने पाया कि वायरल वीडियो के साथ कही जा रही बात सही नहीं है. हकीकत ये है कि ये वीडियो जूनागढ़ की जिस मीटिंग का है, उसमें मौजूद साधु-संत, कांग्रेस विधायक भीखाभाई जोशी और सामाजिक कार्यकर्ता बटुक मकवाना की बात पर नाराज हुए थे. ये मीटिंग हाल ही में जूनागढ़ की गिरनार लीली परिक्रमा से जुड़ी तैयारियों पर चर्चा के लिए आयोजित की गई थी. इसमें प्रशासनिक अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों के अलावा साधु-संत और सामाजिक कार्यकर्ता भी मौजूद थे.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
इस वीडियो में 'गुजरात तक' का लोगो देखा जा सकता है. लिहाजा, हमने सबसे पहले 'गुजरात तक' की वो रिपोर्ट खोजी, जिसका एक हिस्सा इस समय वायरल हो रहा है. ये रिपोर्ट गुजराती भाषा में है और इसमें बताया गया है कि ये जूनागढ़ के गिरनार की लीली परिक्रमा से संबंधित है.
इस परिक्रमा के तहत श्रद्धालु गिरनार पर्वत के चारों तरफ कुल 36 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं. इस साल ये परिक्रमा चार से आठ नवंबर के बीच होगी.
वायरल वीडियो में जो बुजुर्ग साधु सबसे ज्यादा नाराज होते दिख रहे हैं, 'गुजरात तक' की वीडियो रिपोर्ट में उनका नाम हरिगिरि बापू बताया गया है. इसमें वो मीडिया से बातचीत में कहते हैं, "विधायक जी से मेरी बहुत पुरानी मोहब्बत है. वो आपको नहीं दिखी? कि मैं संन्यास छोड़ सकता हूं आपके साथ हूं. जहां मोहब्बत है, वहीं तो नोकझोंक होगा. आपने देखा बाद में गले हमको वो मिले, उनको हमने मिलाया. तो हमारा एक उनका पुराना प्राचीन हमारा संबंध, था, है और रहेगा." यहां ये तो नहीं दिखाया गया है कि ऐसा उन्होंने किस सवाल के जवाब में कहा लेकिन ऐसा लगता है कि वो मीटिंग में नाराज होने को लेकर अपनी बात रख रहे थे.
हमने इस मामले से जुड़ी 'गुजरात समाचार', 'संदेश' और 'ईटीवी भारत' की रिपोर्ट्स देखीं. 'गुजरात समाचार' की रिपोर्ट में बताया गया है कि जूनागढ़ के कांग्रेस विधायक भीखाभाई जोशी और सामाजिक कार्यकर्ता बटुकभाई मकवाना ने जब मीटिंग में मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों से कुछ सवाल पूछे, तो उनके बजाए साधु-संत जवाब देने लगे और बेहद उग्र हो गए. कहने लगे कि प्रशासन के अच्छे काम के लिए उसकी तारीफ होनी चाहिए. 'संदेश' की खबर में भी यही बताया गया है.
हमने इस बारे में और जानकारी पाने के लिए जूनागढ़ के कलेक्टर रचित राज से संपर्क किया. उन्होंने 'आजतक' को बताया कि जूनागढ़ लीली परिक्रमा से जुड़ी मीटिंग में साधुओं के किसी बीजेपी नेता पर उग्र होने की बात सिर्फ एक अफवाह है. वीडियो में सफेद कपड़े पहने हुए जिस शख्स पर साधु नाराज होते दिख रहे हैं, वो कांग्रेस विधायक भीखाभाई जोशी हैं.
रचित पूरा वाकया बताते हैं, "इस मीटिंग में भीखाभाई जोशी और एक अन्य व्यक्ति पुराने मुद्दों की बात करते हुए व्यवस्था पर सवाल उठाने लगे. उन्होंने कहा कि पहले जब इस परिक्रमा का आयोजन होता था तो लोगों को ट्रेन की छत पर बैठकर आना पड़ता था. ये सुनकर साधु-संत उग्र हो गए. उन्होंने कहा कि हमें मिल-जुल कर शांतिपूर्ण तरीके से काम करना चाहिए. न कि एक-दूसरे की कमियां निकालनी चाहिए."
हमने भीखाभाई जोशी का पक्ष जानने के लिए उन्हें भी कॉल किया. उन्होंने कहा, "इस मीटिंग में सामाजिक कार्यकर्ता बटुकभाई मकवाना ने जब प्रशासनिक अधिकारियों से व्यवस्थाओं को लेकर सवाल पूछा, तो उनके बजाए साधु जवाब देने लगे."
वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता बटुकभाई मकवाना ने भी 'आजतक' को यही बताया कि इस मीटिंग में साधु-संत किसी बीजेपी नेता पर नहीं बल्कि उन पर भड़के थे.
साफ है, गुजरात के कलेक्टर ऑफिस में हुई एक मीटिंग के वीडियो को ऐसे पेश किया जा रहा है, मानों इसमें मौजूद साधु-संत किसी बीजेपी नेता से नाराज हो गए. जबकि ये बात पूरी तरह झूठ है.
(इनपुट: भार्गवी जोशी)