उत्तरकाशी में सिलक्यारा के पास निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने की कवायद 16 दिन से चल रही है. लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ लोग दावा कर रहे हैं कि फंसे हुए मजदूरों को अब निकाल लिया गया है.
ऐसा कहने वाले एक वीडियो शेयर कर रहे हैं जिसमें पीले रंग का प्लास्टिक का हेल्मेट लगाए हुए कुछ लोग एक चौड़े-से पाइप में पड़ी रस्सी को खींचते दिखते हैं. कुछ देर बाद समझ में आता है कि वो लोग दरअसल पहियों वाले स्ट्रेचर पर लेटे एक व्यक्ति को खींच रहे थे. उसके बाहर आने के बाद बाहर खड़े लोग तालियां बजाते हुए कहते हैं, "गुड जॉब." फिर उस शख्स से कुछ लोग पूछते हैं कि उसे अंदर सांस लेने में ज्यादा दिक्कत तो नहीं हुई. इसके जवाब में वो कहता है कि उसे ऐसी कोई समस्या नहीं हुई. इसके बाद इसी तरह से एक और व्यक्ति पाइप के अंदर से निकलता है.
एक फेसबुक यूजर ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, “आज का ताजा ब्रेकिंग न्यूज़. देखिए कैसे बाहर आए सुरंग के काशी में फंसे मजदूर.”
इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
वायरल पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कई लोग मजदूरों को बचाने के लिए बचाव दल को धन्यवाद दे रहे हैं.
"आजतक फैक्ट चेक" ने पाया कि ये वीडियो एनडीआरएफ ( नेशनल डिजास्टर रेस्पॉन्स फोर्स) के एक मॉक ड्रिल का है. इस हालिया मॉक ड्रिल में ये दिखाया गया था कि सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर किस तरह निकाला जाएगा.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
वायरल वीडियो में भास्कर नाम के एक शख्स का नाम लिया जाता है. इस जानकारी की मदद से जब हमने कीवर्ड सर्च किया, तो हमें ये वीडियो "एएनआई" के 24 नवंबर, 2023 के एक ट्वीट में मिला. यहां बताया गया है कि ये असल में एनडीआरएफ का एक डेमॉनस्ट्रेशन था जिसमें उन्होंने दिखाया था कि उत्तरकाशी की सुरंग में फंसे लोगों को किस तरह निकाला जाएगा. इसमें उन्होंने पहियों वाले स्ट्रेचर के इस्तेमाल को दर्शाया था.
एनडीआरएफ की इस मॉक ड्रिल के बारे में "टाइम्स नाऊ", "एबीपी न्यूज" और "डेक्कन क्रॉनिकल" सहित कई वेबसाइट्स में खबर छपी थी.
चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था. इसके चलते सुरंग में काम कर रहे मजदूर फंस गए थे. उन्हें बाहर निकालने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य सुरक्षा एजेंसियां लगातार कोशिश कर रही हैं. हाल ही में इस बचाव अभियान में इस्तेमाल की जा रही अमेरिकी ऑगर मशीन खराब हो गई. इसके जरिये हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग की कोशिश की जा रही थी. इसके बाद मैनुअल वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू की गई. वर्तमान में हॉरीजॉन्टल और वर्टिकल– दोनों तरीकों से खुदाई का काम किया जा रहा है. "डीडी न्यूज" की 27 नवंबर की एक खबर के मुताबिक अगर कोई विशेष समस्या नहीं आई तो बचाव दल दो दिनों में मजदूरों तक पहुंच जाएगा.