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सोशल मीडिया पर एक ट्रैक्टर के आगे बंधे प्रधानमंत्री मोदी के पुतले का आपत्तिजनक वीडियो काफी वायरल हो रहा है. इसे मौजूदा किसान आंदोलन से जोड़कर शेयर किया जा रहा है. पुतले पर चप्पल की माला चढ़ी हुई है और 'एजेंट ऑफ आरएसएस' लिखा हुआ है. वीडियो में ‘नो फार्मर्स, नो फूड, नो फ्यूचर’ के पोस्टर भी दिखाई देते हैं.
वायरल वीडियो में दो लोगों की बातचीत भी सुनाई देती है. एक शख्स पूछता है कि, “इतनी ठंड में दिल्ली क्यों जा रहे हैं.” इसपर दूसरा शख्स जवाब देता – "हमारी रोटी ले ली, हमारी जमीनें भी ले लेगा मोदी, मोदी को तो मुक्के से मारेंगे जा के."
इस वीडियो को शेयर करते हुए सोशल मीडिया यूजर्स दावा कर रहे हैं कि ये हालिया किसान आंदोलन का वीडियो है. एक फेसबुक यूजर ने इसे शेयर करते हुए लिखा, “ये किसान हैं??” आंदोलनकारी खालिस्तानी भिंडरावाले की फोटो को शान से प्रस्तुत कर रहे हैं और देश के प्रधानमंत्री मोदी जी का पुतला बनाकर उसे घसीट रहे हैं. सरकार को इन खालिस्तानियों का अब इलाज उसी तरह किया जाना चाहिए जैसे पहले हुआ था.”
‘आजतक फैक्ट चेक’ ने पाया कि ये वीडियो भारत के किसान आंदोलन का नहीं बल्कि अमेरिका के एक रेस्तरां का है, और इसमें सुनाई दे रहा ऑडियो एडिटिंग के जरिए लगाया गया है.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
रिवर्स सर्च करने पर हमें पता चला कि वायरल वीडियो में नजर आ रही जगह अमेरिका के ओरेगॉन शहर का एक रेस्तरां है. इस रेस्तरां का नाम ‘सिजलिंग तंदूरी हट’ है.
कीवर्ड सर्च से हमें इंस्टाग्राम पर इसी रेस्तरां की एक तस्वीर मिली जिसमें वायरल वीडियो वाला ट्रैक्टर भी दिखता है.
इससे ये बात तो साफ हो गई कि वायरल वीडियो भारत में चल रहे किसान आंदोलन का नहीं बल्कि अमेरिका का है.
वीडियो में 'ठंड में दिल्ली क्यों जा रहे हो' सुनाई दे रहा है. इस जानकारी की मदद से हमने कीवर्ड सर्च किया तो वायरल वीडियो में सुनाई दे रहा ऑडियो ‘एनडीटीवी’ की 2020 की एक न्यूज रिपोर्ट में मिला. इस वीडियो में ‘एनडीटीवी’ रिपोर्टर मुहम्मद गजाली एक आंदोलनरत किसान से सवाल कर रहे हैं. वायरल वीडियो में सुनाई दे रही बातचीत के असल वीडियो को नीचे देखा जा सकता है.
साफ है कि पीएम मोदी के पुतले का वायरल वीडियो किसान आंदोलन का नहीं, बल्कि अमेरिका का है और इसमें सुनाई दे रहा ऑडियो एडिटिंग के जरिए जोड़ा गया है. वायरल वीडियो की क्या कहानी है और ये कब का है, इसकी हम स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर सकते हैं. लेकिन अमेरिका और कनाडा में खालिस्तान समर्थकों द्वारा भारतीय नेताओं के अपमान की घटनाएं अक्सर खबरें बनती हैं.