ट्रेन की सीट को लेकर 13 फरवरी को तड़के मुंबई-लातूर-बीदर एक्सप्रेस में कुछ लोगों के बीच विवाद हो गया. यह विवाद मारपीट में तब्दील हो गया और इसमें एक शख्स की मौत हो गई. लेकिन सोशल मीडिया पर इस झगड़े को सांप्रदायिक रंग देकर वायरल किया जा रहा है.
क्या है दावा
फेसबुक यूजर 'Nageshwar Singh Baghel' ने एक पोस्ट डाली जिसमें लिखा, 'सीट विवाद में दौंड स्टेशन (पुणे) पर 12 मुस्लिमों ने एक हिंदू की पत्नी और नवजात शिशु के सामने पीट-पीट कर हत्या की. मॉब लिंचिंग ?' स्टोरी के लिखे जाने तक इस पोस्ट को 5000 से ज्यादा लोगों ने शेयर किया है. इस पोस्ट पर कमेंट करते हुए सोशल मीडिया यूजर्स नाराजगी जता रहे हैं. इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
कुछ और फेसबुक और ट्विटर यूजर्स ने अपनी पोस्ट में यही दावा किया है.
क्या है सच्चाई
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि पुणे के दौंड रेलवे स्टेशन के पास कुछ यात्रियों के बीच सीट को लेकर झगड़ा हुआ था. इस हादसे में एक शख्स की हत्या भी हुई थी, लेकिन मरने और मारने वाले सभी एक ही धर्म के हैं.
क्या हुआ था
इंटरनेट पर हमने 'पुणे' 'दौंड' 'रेलवे स्टेशन' 'हत्या' जैसे शब्दों के साथ सर्च किया तो कई न्यूज रिपोर्ट सामने आईं. खबरों के मुताबिक, सागर मार्कंड नाम का एक शख्स अपने परिवार के साथ एक रिश्तेदार के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सोलापुर के कुर्दवाड़ी गांव जा रहा था. वे ट्रेन के जनरल कोच में सफर कर रहे थे और उस समय उनकी पत्नी ज्योति और दो साल की बेटी भी साथ में थी. बच्ची के रोने की वजह से सागर ने कम्पार्टमेंट में बैठे कुछ लोगों से आग्रह किया कि उनकी पत्नी को बैठने दें. लेकिन उन लोगों में बहस होने लगी और बहस इस कदर बढ़ गई कि दोनों पक्षों में मारपीट हो गई. इस मारपीट में सागर की मौत हो गई.
कौन है मरने वाला शख्स
सागर मार्कंड अपने परिवार के साथ मुंबई के पास कल्याण में रहते थे. मार पीट के बाद ट्रेन जब दौंड रेलवे स्टेशन पर रुकी तब उनकी पत्नी ज्योति ने पुलिस को बुलाया. सागर को अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.
ट्रेन में जिन लोगों ने सागर के साथ मारपीट की, उनके ऊपर हत्या का मामला दर्ज हुआ है. इस मामले में 12 लोग गिरफ्तार हुए जिसमें सात महिलाएं और एक नाबालिग भी है. लोगों ने इस मामले को धार्मिक रंग देते हुए ट्वीट किया तो सेंट्रल रेलवे ने ट्विटर पर जवाब देते हुए लिखा, 'इस घटना में दो समुदाय शामिल नहीं थे. यह ट्रेन के एक डिब्बे में सीट पर बैठने को लेकर झगड़ा था. इसे सांप्रदायिक रंग देने से बचें. कृपया फर्जी खबरें न फैलाएं, जिसकी पुष्टि नहीं हुई है.'
इसके साथ ही सेंट्रल रेलवे और यहां के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शिवाजी सुतार ने भी ट्वीट कर आरोपियों के नाम और उम्र बताया, जिससे साफ हो जाता है कि आरोपी भी उसी धर्म के हैं, जिस धर्म का पीड़ित परिवार है.
दौंड रेलवे पुलिस इंस्पेक्टर भुजबल ने हमें बताया कि इस मामले में गिरफ्तार 12 आरोपियों में से 11 के नाम हैं: ताराबाई मारूती पवार (30), जमुना काले (20), ताई हनुमंत पवार (35), कलावती चवन (65), गंगूबाई काले (40), रूपाली चनव (21), निकिता काले (20), हनुमंत पवार (30), अशोक काले (35), सोनू काले (24) और गणेश चवन (24). नाबालिग आरोपी का नाम यहां नहीं लिखा जा सकता.
हमने इस मामले के जांच अधिकारी दीपाली भुजबल से भी बात की और उन्होंने बताया कि सभी आरोपी हिंदू हैं.
निष्कर्ष
पुणे के दौंड रेलवे स्टेशन पर सीट के विवाद में हुई हत्या का एक मामला दर्ज जरूर हुआ है, लेकिन इस मामले में आरोपी और पीड़ित, सभी एक ही धर्म के हैं.
(पुणे से पंकज खेलकर का इनपुट)