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उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़ते हुए सोशल मीडिया पर एक सर्वे का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है. इस स्क्रीनशॉट के जरिए दावा किया गया है कि यूपी में सीएम पद के लिए पहली पसंद मायावती हैं और 2022 में बहुजन समाज पार्टी की सरकार बनेगी.
देखने में यह सर्वे "हिंदी खबर" नाम के एक न्यूज चैनल की लगती है. इस कथित सर्वे में बताया गया है कि यूपी में 42 फीसदी लोगों का पसंदीदा सीएम उम्मीदवार मायावती हैं. इसके साथ ही स्क्रीनशॉट में 'सर्वे' का हवाला देकर कहा गया है कि चुनाव में बीएसपी बहुमत हासिल कर सकती है. स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए बसपा समर्थक लिख रहे हैं "22 में बसपा". सर्वे का यह स्क्रीनशॉट ट्विटर और फेसबुक पर काफी वायरल है.
क्या है सच्चाई?
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि ये सर्वे अभी का नहीं, साल 2016 का है. ये सर्वे यूपी चुनाव 2017 को लेकर किया गया था.
कुछ कीवर्ड्स की मदद से खोजने पर हमें 21 अक्टूबर 2016 की एक फेसबुक पोस्ट मिली जिसमें वायरल स्क्रीनशॉट मौजूद था. पोस्ट में इस स्क्रीनशॉट के साथ चुनावी सर्वे के कुछ अन्य स्क्रीनशॉट्स भी शेयर किए गए थे. इन स्क्रीनशॉट्स में अलग-अलग नेताओं के नाम के साथ बताया गया था कि कितने प्रतिशत लोग किस नेता को सीएम बनते देखना चाहते हैं. इनमें वरुण गांधी, राजनाथ सिंह, अखिलेश यादव और शीला दीक्षित के नाम थे.
अखिलेश यादव वाले स्क्रीनशॉट में 20 अक्टूबर की तारीख नजर आ रही है. साथ ही, इसमें 2017 के चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं मिलने की बात भी कही गई है. इससे इतनी बात समझी जा सकती है कि सर्वे के ये नतीजे 20 अक्टूबर 2016 को आए होगें.
सर्वे के स्क्रीनशॉट्स में "हिंदी खबर" न्यूज चैनल का लोगो दिख रहा है. जांच में हमें "हिंदी खबर" वेबसाइट की एक रिपोर्ट भी मिलीं जिसमें इस सर्वे के बारे में जानकारी दी गई थी. यह खबर 20 अक्टूबर 2016 को प्रकाशित हुई थी. इसमें भी यही बताया गया है कि सर्वे में यूपी की जनता ने मायावती को अपना सबसे पसंदीदा मुख्यमंत्री बताया. यह खबर अब डिलीट हो चुकी है जिसका आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है. इस खबर को उस समय "हिंदी खबर" के फेसबुक पेज से भी शेयर किया गया था.
इस बारे में हमने "हिंदी खबर" के प्रधान संपादक अतुल अग्रवाल से भी बात की. अतुल का कहना था कि उनका चैनल इस तरह के कोई सर्वे नहीं कराता और न ही इसका चैनल की संपादकीय नीति से कोई संबंध है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है कि 2016 में चैनल की डिजिटल टीम ने किसी सर्वे को खबर के तौर पर चला दिया हो लेकिन इसका चैनल से कोई लेना-देना नहीं है.
यानी कुल मिलाकर यह कहना तो मुश्किल है कि इस सर्वे का स्रोत क्या है लेकिन इतना साफ है कि सर्वे पिछले यूपी चुनाव का है जिसे अभी का बताकर शेयर किया जा रहा है.