
यूपीएससी की प्रीलिमिनरी परीक्षा आगामी 4 अक्टूबर को होने जा रही है. इस बीच सोशल मीडिया पर एक दावा तेजी से वायरल हो रहा है. इसमें कहा जा रहा है कि यूपीएससी पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में ‘इस्लामिक स्टडीज’ भी शामिल है. ऐसे में, या तो इसे हटाया जाना चाहिए, या वैदिक स्टडीज को भी यूपीएससी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि यह दावा भ्रामक है. यूपीएससी के पाठ्यक्रम में ‘इस्लामिक स्टडीज’ नाम का कोई विषय नहीं है. यह दावा फेसबुक पर खूब वायरल है. ट्विटर पर भी तमाम लोग इसे शेयर कर रहे हैं. खबर लिखे जाने तक यह दावा करने वाली ऐसी ही एक फेसबुक पोस्ट को तकरीबन 1300 लोग शेयर कर चुके थे.
दावे की पड़ताल
हमने पाया कि यूपीएससी वेबसाइट पर मौजूद सिविल सेवा परीक्षा के पाठ्यक्रम में जिन विषयों की सूची दी गई है, उसमें ‘इस्लामिक स्टडीज’ नाम का कोई विषय है ही नहीं. हां, वैकल्पिक विषयों की लिस्ट में हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत समेत 22 भाषाओं के साथ ‘उर्दू लिट्रेचर’ जरूर शामिल है.
हमें इस दावे पर आधारित आईएएस अधिकारी सोमेश्वर उपाध्याय का एक ट्वीट भी मिला जिसमें वे कहते हैं, “एक ऐसा समानांतर ब्रह्माण्ड है, जहां यूपीएससी, ‘इस्लामिक स्टडीज’ को वैकल्पिक विषय के तौर पर पढ़ने का मौका देता है. इस ब्रह्माण्ड का नाम है वॉट्सएप यूनिवर्सिटी.” यानी, यह साफ है कि ‘इस्लामिक स्टडीज’ को यूपीएससी का विषय बताए जाने का दावा भ्रामक है.