क्या कोई आदमी मौत के बाद भी मुस्कुरा सकता है? वह भी ऐसा शख्स, जिसकी मौत सौ साल पहले हो चुकी हो? लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ ऐसा ही दावा किया जा रहा है.
एक बौद्ध भिक्षु की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही है. दावा किया जा रहा है कि मंगोलिया के एक इलाके में एक बौद्ध भिक्षु को "एक सदी पहले दफनाया गया था" लेकिन उनका शरीर अब भी मुस्कुरा रहा है. कहा जा रहा है कि बौद्ध भिक्षु अब तक "ध्यान की गहरी अवस्था में है" और इसी के जरिये उसने इस नामुमकिन को मुमकिन बनाया.
एक ट्विटर यूजर ने तस्वीर को शेयर करते हुए अंग्रेजी में कैप्शन लिखा है, जिसकी हिंदी कुछ इस तरह है, “करीब 100 साल पुरानी एक भिक्षु की ममी दुनिया भर की वेबसाइट पर खबर बनी हुई है. कुछ बौद्ध भिक्षुओं के मुताबिक, वह अब भी जीवित है और ध्यान की गहरी मुद्रा में है. ये शव मंगोलिया के एक इलाके में मिला है.”
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है. ये तस्वीर बौद्ध भिक्षु लुआंग फोर पियान की है, जिनकी मौत नवंबर 2017 में बैंकॉक में हुई थी.पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां और यहां देखा जा सकता है.
AFWA की पड़ताल
रिवर्स सर्च की मदद से हमने पाया कि जिन बौद्ध भिक्षु की तस्वीर वायरल हो रही है, उनकी मौत 2017 में बैंकॉक, थाईलैंड के एक अस्पताल में हुई थी.
हमें 2018 की कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं, जिनमें ये तस्वीर इस्तेमाल की गई है. ‘डेली मेल’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तस्वीर में दिख रहे भिक्षु का नाम श्रद्धेय लुआंग फोर पियान है. 92 वर्ष की उम्र में 16 नवंबर, 2017 को बैंकॉक के एक अस्पताल में उनकी मौत हुई थी.
खबरों के मुताबिक, ये तस्वीर तब खींची गई जब उनके शिष्यों ने मौत के दो महीने बाद उनका शव ताबूत से बाहर निकाला था. बौद्ध परंपरा के मुताबिक नए वस्त्र पहनाने के लिए उनके शव को बाहर निकाला गया था. बौद्ध गुरु पियान मूल रूप से कंबोडिया के रहने वाले थे. उन्होंने अपना ज्यादातर जीवन थाईलैंड में एक आध्यात्मिक बौद्ध गुरु के रूप में सेवा करके बिताया था.
ब्रिटिश न्यूज वेबसाइट ‘मेट्रो’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भिक्षु का शव खराब नहीं हुआ था और ऐसे दिख रहा था जैसे कि उनकी मौत हुए 36 घंटे से ज्यादा का वक्त नहीं हुआ है.
हालांकि, 2015 में मंगोलिया में एक बौद्ध भिक्षु का शव पद्मासन की अवस्था में मिला था जो दो सदी पुराना था. फोरेंसिक रिपोर्ट में कहा गया था कि ये शव एक ऐसे व्यक्ति का है जो लामा हो सकता है या कोई तिब्बती बौद्ध गुरु हो सकता है. AFWA ने पाया कि 2015 में मंगोलिया में मिले बौद्ध भिक्षु की तस्वीर वायरल हो रही तस्वीर से अलग है.