जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से सोशल मीडिया पर घाटी से जुड़ी फर्जी खबरों की बाढ़ आ गई है. सोशल मीडिया पर अब एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसमें एक पुलिसवाला सड़क पर एक व्यक्ति को अपने पैर से रौंदता हुआ नजर आ रहा है. तस्वीर में कुछ और पुलिसवाले खड़े भी देखे जा सकते हैं.
ये है दावा
Sudipto Mukhopadhyya नाम के एक फेसबुक यूजर ने दावा किया है कि ये तस्वीर कश्मीर की है.
दावे का सच
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि ये तस्वीर आठ साल पुरानी है और लखनऊ के हजरतगंज की है.
दावे का पर्दाफाश
सच्चाई जानने के लिए हमने तस्वीर को गूगल रिवर्स सर्च किया. कुछ जगह इस तस्वीर को 2012 के दिल्ली रेप केस के दौरान हुए आंदोलन से जोड़ा गया है, लेकिन इससे जुड़ी हमें कोई प्रतिष्ठित मीडिया हाउस रिपोर्ट नहीं मिली.
वायरल तस्वीर को bing पर रिवर्स सर्च करने पर हमें catchnews.com का एक लेख मिला जिसमें तस्वीर को लखनऊ का बताया गया है.
Catch news के लेख के अनुसार मार्च 2011 में यूपी पुलिस ने पूर्व सीएम अखिलेश यादव को गिरफ्तार कर लिया था. इसी के चलते सपा कार्यकर्ता मायावती सरकार के खिलाफ यूपी विधान सभा के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इसी दौरान पुलिस और कार्यकर्ताओं में झड़प हो गई थी. झड़प में उस समय के लखनऊ डीआईजी डीके ठाकुर ने सपा नेता और लोहिया वाहिनी प्रमुख आनंद भदौरिया का चेहरा अपने पैर से कुचलने की कोशिश की थी. वायरल तस्वीर भी इसी वक्त की है और उस समय इस तस्वीर ने खूब सूर्खियां बटोरी थीं.
हमें कुछ और मीडिया रिपोर्ट्स भी मिली जिसमें इस मामले का जिक्र किया गया है.
इस घटना के बाद ये खबर भी आई थी कि 2012 में प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद डीआईजी डीके ठाकुर का तबादला मिर्जापुर हो गया था.