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फैक्ट चेक: इस बच्चे को इंदौर पुलिस ने नहीं भेजा अस्थायी जेल, तस्वीर के साथ झूठी कहानी वायरल

कोरोना के आतंक के चलते देश के कई हिस्सों में दोबारा लॉकडाउन लगा दिया गया है. मध्य प्रदेश का इंदौर भी इनमें से एक है जहां सिर्फ आवश्यक कार्यों के लिए ही लोगों को बाहर निकलने दिया जा रहा है. इसी के मद्देनजर सोशल मीडिया पर एक तस्वीर के जरिए इंदौर पुलिस की काफी आलोचना की जा रही है. दावा किया जा रहा है कि इंदौर में एक बच्चा अपने परिवार के लिए खाने-पीने का सामान लेने बाहर निकला और पुलिस ने उसे अस्थायी जेल में डाल दिया.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
इंदौर में लॉकडाउन के दौरान एक बच्चा अपने परिवार के लिए खाने-पीने का सामान लेने निकला था जिसे इंदौर पुलिस ने अस्थाई जेल में डाल दिया.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
ये तस्वीर इंदौर में नहीं बल्कि हाल ही में दिल्ली में खींची गई थी. बच्चे को अस्थाई जेल में बंद करने वाली बात झूठ है.

कोरोना के आतंक के चलते देश के कई हिस्सों में दोबारा लॉकडाउन लगा दिया गया है. मध्य प्रदेश का इंदौर भी इनमें से एक है जहां सिर्फ आवश्यक कार्यों के लिए ही लोगों को बाहर निकलने दिया जा रहा है. इसी के मद्देनजर सोशल मीडिया पर एक तस्वीर के जरिये इंदौर पुलिस की काफी आलोचना की जा रही है.

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दावा किया जा रहा है कि इंदौर में एक बच्चा अपने परिवार के लिए खाने-पीने का सामान लेने बाहर निकला और पुलिस ने उसे अस्थाई जेल में डाल दिया. तस्वीर देखने में किसी यात्री वाहन की लग रही है जिसमें मास्क पहने एक बच्चा हाथ में आटा-तेल लिए बैठा हुआ है. उसके बगल में एक अन्य आदमी को भी देखा जा सकता है.

बता दें कि इंदौर सहित कुछ शहरों में कोरोना नियमों का उल्लंघन करने वालों को पुलिस सजा के तौर पर कुछ घंटों के लिए अस्थाई जेल में बंद कर रही है. इंदौर पुलिस ने बस स्टेशन या ऐसी अन्य जगहों पर बैरिकेड लगाकर अस्थाई जेल बनाई है जहां पर नियमों का पालन न करने वालों को बंद किया जा रहा है.

 

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है. ये तस्वीर इंदौर में नहीं बल्कि हाल ही में दिल्ली में खींची गई थी. बच्चे को अस्थाई जेल में बंद करने वाली बात भी झूठ है.

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इस तस्वीर को ट्वीट करते हुए मध्य प्रदेश के एक कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने लिखा है, "इस बच्चे का अपराध सिर्फ इतना है कि यह अपने परिवार के लिए किराना लेने निकला था और उसे अस्थाई जेल ले जाया जा रहा है शर्म करो इंदौर प्रशासन! शर्मनाक". कुणाल के ट्वीट को 5000 से ज्यादा रीट्वीट और लगभग 16,000 लोग लाइक कर चुके हैं. ये भ्रामक पोस्ट फेसबुक और ट्विटर पर तेजी से फैल रही है. पोस्ट में लिखी बात को सच मानते हुए सोशल मीडिया यूजर्स शिवराज सरकार और इंदौर प्रशासन पर जमकर निशाना साध रहे हैं. वायरल ट्वीट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.

कैसे पता की सच्चाई?
वायरल ट्वीट के कमेंट सेक्शन में कुछ लोगों ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट का स्क्रीनशॉट साझा किया है. इस स्क्रीनशॉट में वायरल तस्वीर मौजूद है और लॉकडाउन में मजदूर वर्ग को होने वाली परेशानियों के बारे में लिखा है. स्क्रीशॉट में लिखी बातों से ऐसा लगता है कि तस्वीर दिल्ली की है.  

स्क्रीनशॉट में लिखी बात को हमने फेसबुक पर खोजा. पता चला कि और भी कई लोगों ने इसी तरह की पोस्ट फेसबुक पर शेयर की हैं और क्रेडिट में किसी "Bharat Nbs" का नाम दिया है. "Bharat Nbs" नाम से हमें एक व्यक्ति की फेसबुक प्रोफाइल भी मिली. खोजने पर सामने आया कि इस फेसबुक प्रोफाइल से वायरल तस्वीर 19 अप्रैल को शेयर की गई थी और साथ में उन्हीं बातों का जिक्र किया गया था जैसा कि इंस्टाग्राम पोस्ट के स्क्रीनशॉट में दिखता है. हमें ऐसा कोई सोशल मीडिया यूजर नहीं मिला जिसने "Bharat Nbs" से पहले ये तस्वीर पोस्ट की हो.

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आज रात से दिल्ली में अगले सोमवार तक लॉकडाउन है। इस बच्चे को भी इस बात का इल्म है कि लॉकडाउन लगते ही, कोई सरकार कुछ नही...

Bharat Nbs द्वारा इस दिन पोस्ट की गई सोमवार, 19 अप्रैल 2021

"Bharat Nbs" की एक पोस्ट की मदद से हमें इस प्रोफाइल को चलाने वाले व्यक्ति भारत का फोन नंबर मिला. भारत ने हमें इस बात की पुष्टि कर दी कि वायरल तस्वीर उन्हीं ने दिल्ली में खींची थी. भारत का कहना था कि तस्वीर के साथ सोशल मीडिया पर झूठ फैलाया जा रहा है कि इस बच्चे को इंदौर में अस्थाई जेल में डाल दिया गया है.

भारत का कहना है कि ये तस्वीर उन्होंने 19 अप्रैल को दिल्ली के मधुवन चौक के पास ली थी जब वो इस बच्चे के साथ आरटीवी बस में बैठे थे और कहीं जा रहे थे. 19 अप्रैल की रात से ही दिल्ली में दोबारा लॉकडाउन लगने वाला था और ये बच्चा अपने घर के लिए आटा-तेल ले जा रहा था. भारत का कहना था कि उनकी बच्चे से बात भी हुई थी और बच्चे का घर रिठाला इलाके में था. जानकारी पुख्ता करने के लिए भारत ने हमें उनके फोन से ली गई इस फोटो की कैमरा डिटेल्स भी भेजी.

दरअसल, इस तस्वीर को पोस्ट करने के पीछे भारत का मकसद लॉकडाउन में मजदूर वर्ग की दुर्दशा बताना था कि कैसे काम-धंधा बंद हो जाने पर मजदूरों के खाने-पीने के लाले पड़ जाते हैं. इसको भारत ने वायरल तस्वीर वाली पोस्ट में विस्तार से बताया है. भारत का कहना था कि उनके इस पोस्ट को कुछ लोग तोड़-मड़ोड़ कर पेश कर रहे हैं, वहीं कुछ इसे अपना नाम देकर शेयर कर रहे हैं. भारत दिल्ली में "नौजवान भारत सभा" नाम की एक संस्था से जुड़े हुए हैं.

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इस तरह यहां ये बात साफ हो जाती है कि वायरल पोस्ट में कही जा रही बात झूठ है. ना ही ये तस्वीर इंदौर की है और ना ही इस बच्चे को पुलिस ने अस्थाई जेल में बंद किया. इस बारे में हमें कोई विश्वसनीय न्यूज रिपोर्ट भी नहीं मिली जिसमें इंदौर में बच्चे को अस्थाई जेल भेजने का जिक्र हो. अगर इस तरह का मामला आता तो उसे मीडिया में जरूर कवर किया जाता.

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