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पिछले साल जनवरी में झारखंड के ठगों की कहानी सुनाने वाली ‘जामताड़ा’ नाम की एक वेब सीरीज आई थी. इस साल कमोबेश उसी वक्त सरकारी योजना के नाम पर लोगों का डाटा चुरा रही एक ऐसी फर्जी वेबसाइट की कहानी सामने आई है, जिसके तार झारखंड से जुड़े हैं. इस वेबसाइट पर खुलेआम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर और नाम के साथ बेरोजगारी भत्ते से जुड़ी एक मनगढ़ंत योजना का प्रचार किया जा रहा है.
इस वेबसाइट के जरिये कहा जा रहा है कि कोरोना महामारी को देखते हुए सरकार 15 से 50 साल तक की उम्र के लोगों को बेरोजगारी भत्ता देने जा रही है. इस कथित सरकारी योजना के बारे में एक फेसबुक यूजर ने लिखा, “प्रधानमंत्री बेरोजगारी भत्ता वर्ष 2021. नए वर्ष के साथ आत्म निर्भर भारत का निर्माण. 18 से 50 वर्ष के लोगो को Rs. 3800 तक बेरोजगारी भत्ता.”
इस संदेश के साथ ही एक वेबसाइट का लिंक भी शेयर किया गया है, जिस पर क्लिक करते ही ‘पूछलो डॉट कॉम’ नाम की एक वेबसाइट खुलती है. इस वेबसाइट में ‘वर्ष 2021 बेरोजगारी भत्ता’, ‘कोरोना महामारी राहत’, ‘सरकार एक लाभ अनेक’ और ‘सबका साथ, सबका विकास’ जैसे स्लोगन लिखे हुए हैं. इस वेबसाइट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
जैसे ही आप इस बेरोजगारी भत्ता योजना में आवेदन करने के लिए वेबसाइट पर दिए गए लिंक पर क्लिक करते हैं, आपका नाम, मोबाइल नंबर, उम्र और शिक्षा जैसी जानकारियां मांगी जाती हैं. ये जानकारियां भर कर सबमिट करने के बाद लिखकर आता है, “आपका रजिस्ट्रेशन सफलतापूर्वक हो गया है. आपका रजिस्ट्रेशन नंबर .... है.”
इस फेसबुक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि सरकार ने ‘प्रधानमंत्री बेरोजगारी भत्ता वर्ष 2021’ नाम से कोई योजना नहीं शुरू की है. एक फर्जी वेबसाइट के जरिये लोगों में भ्रम फैलाने और उनका डाटा चुराने की कोशिश की जा रही है. इस किस्म का फर्जीवाड़ा करने वाले आम तौर पर लोगों का डाटा चुराकर उसे अच्छे खासे दामों पर मार्केटिंग कंपनियों को बेचते हैं.
27 जनवरी को जारी एक बयान में सरकार के सूचना विभाग ने साफ कहा है कि बेरोजगारों को हर महीने 3800 रुपये तक का बेरोजगारी भत्ता देने जैसी कोई योजना है ही नहीं.
दावा:- एक मैसेज में दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार बेरोजगारों को प्रति माह ₹3800 तक का बेरोजगारी भत्ता प्रदान कर रही है।#PIBFactCheck:- यह दावा फर्जी है। केंद्र सरकार ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की है। pic.twitter.com/CwedA2UKRB
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) January 27, 2021
तो चलिए जानते हैं कि किस तरह इस फर्जीवाड़े में इस्तेमाल की जा रही वेबसाइट पूछलो डॉट कॉम का कच्चा-चिट्ठा सामने आया.
1. कई बातें पैदा करती हैं शक
अगर ‘प्रधानमंत्री बेरोजगारी भत्ता वर्ष 2021’ नाम की कोई सरकारी योजना सचमुच होती, तो इसके बारे में किसी विश्वसनीय सरकारी वेबसाइट में जानकारी होती. साथ ही, अखबारों और मीडिया वेबसाइट्स में इसके बारे में खबरें भी छपी होतीं. लेकिन हमें ऐसी किसी भी योजना का ब्यौरा किसी विश्वसनीय वेबसाइट पर नहीं मिला.
इस वेबसाइट puchhlo.com में नीचे की तरफ बेहद छोटे अक्षरों में क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन के बारे एक लेख लिखा है. इस लेख का एक वाक्य ‘What Blockchain and Bitcoin Mean for the Protection Business’ हमने इंटरनेट पर सर्च किया. हमें हूबहू यही वाक्य कई दूसरी वेबसाइट्स में भी मिला, जैसे newsbuggi.in और gtechpointindia. किसी सरकारी योजना से जुड़ी वेबसाइट में इस तरह कॉपी-पेस्ट अमूमन नहीं किया जाता है.
साथ ही, इस वेबसाइट में स्पेलिंग से जुड़ी गलतियां भी हैं, जैसे Season की जगह Seasion लिखा है.
2. 2014 में शुरू हुई थी ये वेबसाइट
किसी भी वेबसाइट को बनाने से पहले उसका ‘डोमेन नेम’ यानी वेबसाइट का नाम खरीदा जाता है. डोमेन नेम खरीदने के बाद उसे समय-समय पर रीन्यू कराना पड़ता है और न कराने पर कोई अन्य यूजर उसे खरीद सकता है. किसी वेबसाइट का ‘डोमेन नेम’ बदला नहीं जा सकता और एक वक्त में कोई एक डोमेन नेम किसी एक ही व्यक्ति के पास हो सकता है. domainbigdata.com टूल के जरिये हमें पता लगा कि www.puchhlo.com डोमेन नेम को साल 2014 में ‘पैराग्राफ ट्रेडलिंक प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की एक कंपनी ने खरीदा था.
कंपनियों के बारे में जानकारी देने वाली एक अन्य वेबसाइट zaubacorp से हमें पता लगा कि ये थोक व्यापार करने वाली जोधपुर की एक कंपनी है. इस कंपनी के पूर्व निदेशक मुरारी शर्मा ने आजतक को बताया, “हमने साल 2014 में askme.com वेबसाइट से प्रेरित होकर puchhlo.com नाम का डोमेन खरीदा था. ये डोमेन नेम हमने दो साल तक रीन्यू भी करवाया था. दुर्भाग्य से इस डोमेन नेम को लेकर हमने जो सोचा था, उसे अमली जामा नहीं पहना पाए. वर्तमान में इस वेबसाइट को कौन चला रहा है, इसके बारे में हम कुछ नहीं कह सकते.”
3. गूगल ऐडसेंस अकाउंट से खुला भेद
puchhlo.com वेबसाइट से जुड़ा अगला सुराग हमें मिला गूगल ऐडसेंस अकाउंट के यूनीक आईडी नंबर की मदद से. ये वो नंबर है जिसके जरिये गूगल इस बात की पहचान करता है कि विज्ञापनों से होने वाली कमाई किस व्यक्ति के खाते में जाएगी. सहूलियत के लिए ज्यादातर लोग कई अलग-अलग वेबसाइट्स के लिए एक ही ‘गूगल ऐडसेंस अकाउंट यूनीक आईडी नंबर’ इस्तेमाल करते हैं.
हमने पाया कि ‘प्रधानमंत्री बेरोजगारी भत्ता वर्ष 2021’ नाम की सरकारी योजना की बात करने वाली इस वेबसाइट का ‘गूगल ऐडसेंस अकाउंट यूनीक आईडी नंबर’ ‘2864441705713760’ है.
हमें ये भी पता चला कि puchhlo.com वेबसाइट के साथ ही gangagyan.in नाम की वेबसाइट का भी ‘गूगल ऐडसेंस अकाउंट यूनीक आईडी नंबर’ ‘2864441705713760’ है. इसका मतलब ये हुआ कि इन दोनों ही वेबसाइट्स के विज्ञापनों से आने वाला पैसा एक ही खाते में जाता है.
4. झारखंड की संस्था चला रही है ये वेबसाइट
डोमेन नेम की ताजातरीन जानकारी देने वाली वेबसाइट गोडैडी के जरिये हमें पता लगा कि puchhlo.com डोमेन नेम अक्टूबर 2020 में झारखंड की गंगाटेक नाम की संस्था ने खरीदा था.
गोडैडी से ही हमें पता लगा कि gangagyan.in वेबसाइट भी झारखंड की गंगाटेक संस्था ही चलाती है. gangagyan.in वेबसाइट पर बहुत सारी कथित सरकारी योजनाओं की जानकारी दी गई है. साथ ही तकनीक से जुड़ी जानकारियां भी हैं.
5. प्लेस्टोर और फेसबुक ने बयां किए राज
गूगल प्लेस्टोर में gangagyan नाम का एक ऐप भी है. यहां इसके डेवलपर के रूप में ‘बंशीधर इन्फो’ लिखा है.
हमें बंशीधर इन्फो का एक फेसबुक पेज मिला जिसमें लिखा है कि इस पेज को चलाने वाले का नाम अखिलेश सिंह है और वो झारखंड में रहते हैं. बंशीधर इन्फो के फेसबुक पेज में एक जगह ये भी लिखा है कि ये संस्था हैकिंग करना सिखाती है.
इस बात की पूरी संभावना है कि अखिलेश वो व्यक्ति हो सकते हैं जो वर्तमान में puchhlo.com वेबसाइट चला रहे हैं. हमने अखिलेश का बयान लेने के लिए उनसे संपर्क किया पर उन्होंने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है. उनकी तरफ से कोई जवाब आने पर हम उसे खबर में अपडेट करेंगे.
यानी ये बात साफ है कि कुछ ही महीने पहले झारखंड की एक संस्था द्वारा खरीदे गए puchhlo.com डोमेन नेम के जरिये एक काल्पनिक सरकारी योजना की बात करके भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है. अमूमन निजी जानकारियां चुराने के मकसद से ऐसा किया जाता है.
सरकारी योजनाओं के नाम पर लोगों का डाटा चुराने की कोशिशें पहले भी कई बार हो चुकी हैं. ऐसे ही एक व्यक्ति का पर्दाफाश हमने पिछले साल नवंबर में किया था.