
"ब्राह्मण कौम विदेशी है, इनके घर में एसी है." इस अजीबो-गरीब स्लोगन को लेकर सोशल मीडिया पर एक तस्वीर जमकर वायरल हो रही है. इस तस्वीर में दलितों के किसी प्रदर्शन में लोग नीले झंडे और कुछ पोस्टर पकड़े हुए नजर आ रहे हैं. इनमें से "बहुजन समाज मोर्चा" के एक पोस्टर पर लिखा है, "ब्राह्मण कौम विदेशी है, इनके घर में एसी है." इस तस्वीर को शेयर करते हुए सोशल मीडिया यूजर्स दलित समुदाय के लोगों पर निशाना साध रहे हैं और कह रहे हैं कि ये किस तरह के बेतुके स्लोगन के जरिये दलित समाज के लोग ब्राह्मणों का विरोध कर रहे हैं. एक ट्विटर यूजर ने तस्वीर को पोस्ट करते हुए तंज किया है कि अब एसी-फ्रिज से तय किया जाएगा कि कौन देसी और और कौन विदेशी है? एक पोस्ट में तस्वीर के साथ कैप्शन लिखा गया है, "ब्राह्मण अपने घर मे AC लगाए तो विदेशी दलित के घर मे मर्सेडीज़ भी हो तो आरक्षण".
इसी तरह कई अलग-अलग कैप्शन के साथ इस तस्वीर को फेसबुक और ट्विटर पर शेयर किया जा रहा है. वायरल पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल तस्वीर में छेड़छाड़ की गई है. तस्वीर को रिवर्स करने पर हमें असली तस्वीर मिल गई जिसे पिछले कुछ सालों में कई लोगों ने शेयर किया है. असली तस्वीर में पोस्टर पर लिखा है, "ब्राह्मण कौम विदेशी है, इसका डीएनए यूरेशी है."
पड़ताल में सामने आया कि कई फेसबुक यूजर्स ने असली तस्वीर को जनवरी 2018 में पोस्ट किया था. इन्हीं में से एक व्यक्ति ने मूल तस्वीर शेयर करते हुए लिखा था कि ये हरियाणा के भिवानी की तस्वीर है जहां बहुजन क्रान्ति मोर्चा सहित अन्य दलित संगठनों ने महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के विरोध में प्रदर्शन किया. उस समय इस विरोध-प्रदर्शन के वीडियो भी फेसबुक पर शेयर किये गए थे और इसको लेकर अखबार में खबरें भी छपी थीं.
भीमा कोरेगांव की घटना के विरोध में प्रदर्शन जिला भिवानी हरियाणा। बहुजन क्रान्ति मोर्चा,बामसेफ,भारत मुक्ति मोर्चा,नफ, व अन्य संगठन। pic.twitter.com/cW3sX0uMFD
— वीरेंद्र बौद्ध (@bamsef_) January 14, 2018
क्या है यूरेशी का मतलब?
इस बारे में हमारी बात हरियाणा के रोहतक में बहुजन समाज मोर्चा के एक कार्यकर्ता सुनील महिंद्रा से हुई. उन्होंने हमें बताया कि स्लोगन में ब्राह्मणों का DNA यूरेशी होने वाली बात का संदर्भ 2001 में "द टाइम्स ऑफ इंडिया" में छपी एक खबर से है. इस खबर में 2001 में एक विवादस्पद शोध के हवाले से बताया गया था कि दलित और पिछड़ी जातियों की तुलना में ब्राह्मण सहित कुछ सवर्ण जातियों का डीएनए यूरोपियन्स से ज्यादा मिलता है. इसी कारण से ब्राह्मणों के डीएनए को स्लोगन में यूरेशियन या यूरेशी कहा गया है. यूरेशियन उन लोगों को कहा जाता है जिनकी वंशवाली यूरोप और एशिया दोनों से जुड़ी हुई हो. "द टाइम्स ऑफ इंडिया" की ये खबर इंटरनेट पर मौजूद है जिसे यहां पढ़ा जा सकता है.