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फैक्ट चेक: तालिबानी जुल्म का शिकार महिला पायलट नहीं, छह साल पहले मॉब लिंचिंग में मारी गई युवती की है ये तस्वीर

खून से लथपथ चेहरे और आंखों में उतर आए खौफ के साथ ऊपर देखती एक लड़की की फोटो सोशल मीडिया पर खूब शेयर हो रही है. फोटो में लड़की को कई लोगों ने घेर रखा है जिनमें से एक के हाथ में पत्थर भी नजर आ रहा है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
ये अफगानिस्तान की पायलट कैप्टन साफिया फिरोजी की तस्वीर है जिनकी हाल ही में तालिबान ने हत्या कर दी है.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
ये फोटो साफिया फिरोजी की नहीं, बल्कि फरखुंदा मलिकजादा नाम की अफगानी युवती की है. 2015 में कुरान जलाने के झूठे आरोप के चलते भीड़ ने फरखुंदा की हत्या कर दी थी.

खून से लथपथ चेहरे और आंखों में उतर आए खौफ के साथ ऊपर देखती एक लड़की की फोटो सोशल मीडिया पर खूब शेयर हो रही है. फोटो में लड़की को कई लोगों ने घेर रखा है जिनमें से एक के हाथ में पत्थर भी नजर आ रहा है.

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ऐसा दावा किया जा रहा है कि ये लड़की अफगानी सेना की पायलट थी जिसकी हाल ही में तालिबान के लड़ाकों ने पत्थर मार-मार कर हत्या कर दी.

इस फोटो को शेयर करते हुए एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “साफिया फिरोजी अफगानी सेना में शामिल चार महिला पायलटों में से एक, खबरों के अनुसार आज इन्हें मार दिया गया. वाह रे आजादी की जंग. तालिबानी से ज्यादा घातक वो हैं जो उनका समर्थन कर रहे हैं.”

इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर न तो अफगानिस्तान की पायलट कैप्टन साफिया फिरोजी की है और न ही हाल-फिलहाल की है. ये फरखुंदा मलिकजादा नाम की अफगानी युवती की फोटो है जिसकी 2015 में कुरान जलाने के झूठे आरोप के चलते भीड़ ने हत्या कर दी थी. तालिबान ने साफिया फिरोजी की हत्या की है या नहीं, इसको लेकर 19 अगस्त 2021 तक किसी भी विश्वसनीय न्यूज वेबसाइट में कोई रिपोर्ट नहीं छपी थी.

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क्या है सच्चाई

वायरल तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमें मई, 2015 में छपी ‘द टाइम्स’ की एक ​रिपोर्ट में यही तस्वीर मिली. इस रिपोर्ट के मुताबिक, तस्वीर में दिख रही महिला का नाम फरखुंदा है, जो अफगानिस्तान में मॉब लिंचिंग का शिकार हुई थी. उस पर कुरान जलाने का झूठा आरोप लगा था.

अफगानिस्तान के काबुल शहर में 19 मार्च 2015 के दिन 27 साल की फरखुंदा मलिकजादा को गुस्सायी भीड़ ने पहले तो पत्थरों से मारा. इसके बाद उसके शरीर को कार के नीचे कुचला गया और फिर जला दिया गया. बाद में फरखुंदा पर लगा कुरान जलाने का आरोप झूठा साबित हुआ था.

‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की एक रिपोर्ट में हमें फरखुंदा मलिकजादा की बर्बर हत्या से जुड़ा एक वीडियो मिला. इस वीडियो के कुछ दृश्यों से तुलना करने पर साफ हो जाता है कि वायरल तस्वीर इसी घटना से संबंधित है.

साफिया फिरोजी साल 2016 में अफगानिस्तान की वायुसेना में शामिल होने वाली दूसरी महिला पायलट बन गई थीं. उनका परिवार तालिबान के आतंक की वजह से साल 1990 में काबुल छोड़कर पाकिस्तान चला गया था और तालिबान की सत्ता खत्म होने के बाद ही वापस आया था. उनके पति कैप्टन मोहम्मद जावेद नजाफी भी पायलट हैं.

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हाल-फिलहाल में तालिबान ने साफिया फिरोजी की हत्या की है या नहीं, इससे संबंधित कोई भी विश्वसनीय रिपोर्ट या जानकारी खबर लिखे जाने तक सामने नहीं आई थी.

इसी साल जुलाई में खबर आई थी कि तालिबान अफगानिस्तानी एयरफोर्स के पायलटों को चुन-चुन कर मार रहा है. इसकी वजह ये बताई जा रही थी कि इन पायलटों से तालिबान घबराता था क्योंकि इन्हें अमेरिकी और नाटो बलों ने सैन्य ट्रेनिंग मुहैया कराई थी.

साफ है कि मॉब लिंचिंग की छह साल पुरानी घटना की तस्वीर को तालिबान द्वारा अफगानिस्तानी पायलट साफिया फिरोजी की हत्या की तस्वीर बताया जा रहा है.

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