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हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने एक नए शब्द ‘आंदोलनजीवी’ का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि चाहे वकीलों का आंदोलन हो, छात्रों का आंदोलन हो या मजदूरों का आंदोलन हो- ये ‘आंदोलनजीवी’ हर जगह नजर आते हैं. ये खुद कभी आंदोलन नहीं करते पर दूसरों के आंदोलन को हाईजैक कर लेते हैं.
इस बयान के आते ही सियासी घमासान शुरू हो गया, जो अब तक जारी है. जहां सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तंज कसा कि क्या चंदा लेकर निकल जाने वालों को चंदाजीवी संगठन का सदस्य कहा जाना चाहिए? वहीं वकील प्रशांत भूषण ने इस पर ट्वीट किया कि किसानों को आंदोलनजीवी कहना उन्हें बदनाम करने की कोशिश है.
इस बयानबाजी के बीच सोशल मीडिया पर आंदोलनजीवी हैशटैग के साथ एक शख्स की तीन तस्वीरें शेयर की जा रही हैं. पहली तस्वीर में ये शख्स किसी गिरिजाघर जैसी दिखने वाली जगह खड़े होकर माइक पर कुछ बोल रहा है. दूसरी फोटो में वो किसी टीवी कार्यक्रम में प्रवचन दे रहा है. वहीं, तीसरी फोटो में वो हरा गमछा डाले कुछ अन्य लोगों के साथ खड़ा है और मीडिया को बयान दे रहा है.
ऐसा कहा जा रहा है कि ये व्यक्ति कभी ईसाई पादरी बन जाता है, कभी प्रवचन देने वाला बन जाता है और कभी किसान आंदोलन में शामिल होने आ जाता है.
एक फेसबुक यूजर ने ये तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा, “रविवार = ईसाई पादरी, सोमवार = प्रवचन करता, मंगलवार- शनिवार= किसान आंदोलन करना. वामपंथीयो के साथ इन आंदोलनजीवी से सावधान रहें, #Andolanjivi”.
इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि सोशल मीडिया पर जो तस्वीरें शेयर हो रही हैं, वे तमिलनाडु के फादर जगत कैस्पर की हैं और दो साल से ज्यादा पुरानी हैं. कैस्पर एक ईसाई पादरी हैं और टीवी चैनलों पर अकसर प्रवचन भी देते हैं, लेकिन उनके मौजूदा किसान आंदोलन में शामिल होने का दावा गलत है.
ट्विटर पर ये तस्वीरें काफी वायरल है. फादर जगत कैस्पर के किसान आंदोलन में शामिल होने से जुड़े एक ट्विटर पोस्ट को खबर लिखे जाने तक तकरीबन 1700 लोग शेयर कर चुके थे.
एक ट्विटर यूजर ने इन तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा, “देख लीजिए इन देशद्रोही बहुरूपियों को कैसे देश को बर्बाद कर रहे है रंग बदल बदल कर. इन लोगो से सावधान रहे.”
आइए, एक-एक कर तीनों तस्वीरों की सच्चाई जानते हैं.
हमने पाया कि जिस फोटो में फादर जगत कैस्पर किसी गिरिजाघर जैसी जगह खड़े होकर माइक पर बोलते नजर आ रहे हैं, वो साल 2018 के एक वीडियो से ली गई है. उस वक्त वो मजदूर दिवस के मौके पर एक कैथोलिक टीवी चैनल पर अपने विचार रख रहे थे.
ध्यान से देखने पर पहली वायरल फोटो में ‘Arputhar Yesu’ का वॉटरमार्क नजर आता है.
कीवर्ड सर्च के जरिये तलाशने पर हमें पता चला कि ‘Arputhar Yesu Tv’ नाम के यूट्यूब चैनल पर ये वीडियो 1 मई 2018 को शेयर किया गया था. वीडियो के कैप्शन में लिखा है, ‘मजदूर दिवस के मौके पर फादर जगत कैस्पर का भाषण’. यहां भी माइक पर भाषण देते हुए फादर कैस्पर के पीछे ठीक वैसी ही मूर्ति नजर आ रही है, जैसी पहली वायरल तस्वीर में दिख रही है. ‘Arputhar Yesu Tv’ यूट्यूब चैनल के अबाउट सेक्शन में लिखा है कि ये ‘चेन्नई का पहला कैथोलिक चैनल’ है.
दूसरी फोटो ‘ARRA TV’ नाम के चैनल पर साल 2017 में प्रसारित किए गए जगत कैस्पर के एक प्रवचन से ली गई है. इस फोटो में एक लोगो के नीचे ‘ARRA’ लिखा हुआ है.
फोटो को रिवर्स सर्च करने पर हमें पता चला कि ये ‘ARRA TV’ के यूट्यूब चैनल पर 29 जनवरी 2017 को अपलोड किए गए एक वीडियो से ली गई है.
जिस फोटो में जगत कैस्पर हरे रंग का गमछा पहने मीडिया को इंटरव्यू देते नजर आ रहे हैं, वो साल 2018 की है जब वो ईसाई पादरियों के साथ बदसलूकी की एक घटना पर बयान दे रहे थे.
वायरल फोटो में ‘ANI’ न्यूज एजेंसी का माइक और लोगो साफ देखा जा सकता है. इसे रिवर्स सर्च करने पर हमने पाया कि ये 28 अप्रैल 2018 को छपी ‘ANI’ की एक रिपोर्ट से ली गई है.
इस रिपोर्ट के अनुसार, 22 अप्रैल 2018 को एक मंदिर में बैठे दो पादरियों के चेहरे पर कालिख पोतने की घटना हुई थी. इस घटना के बारे में बयान देते हुए फादर जगत कैस्पर ने कहा था, “आरएसएस और उससे जुड़ी कुछ संस्थाएं तमिलनाडु में रहने वाले ईसाइयों पर हमले करवा रही हैं और उन्हें धमका रही हैं. हम हिंसा का जवाब अहिंसा से देंगे.”
जगत कैस्पर तमिलनाडु के कैथोलिक पादरी हैं जो कन्याकुमारी और चेन्नई में सामाजिक कामों को लेकर काफी सक्रिय रहते हैं.
आजतक से बातचीत में जगत कैस्पर ने बताया कि वे न तो अभी तक दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में शामिल होने गए हैं और न ही उनका वहां जाने का इरादा है. हालांकि, किसानों के संघर्ष का वो समर्थन करते हैं.
इससे पहले ‘द लॉजिकल इंडियन’ वेबसाइट भी इस दावे की सच्चाई बता चुकी है.
पड़ताल से स्पष्ट है कि फादर जगत कैस्पर की पुरानी तस्वीरों को किसान आंदोलन से जोड़कर लोगों में भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है.