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दिल्ली में 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान जमकर हिंसा हुई. पुलिस के मुताबिक, इस दौरान प्रदर्शनकारी किसानों ने 17 सरकारी वाहनों को क्षतिग्रस्त किया और 300 से ज्यादा बैरिकेड्स तोड़ दिए.
इसी बीच, सोशल मीडिया पर जलती हुई कारों और आगजनी की तीन तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं और दावा किया जा रहा है कि ये दृश्य दिल्ली में हुई हिंसा के हैं. एक पोस्ट में कैप्शन लिखा गया, “दिल्ली की ताजा तस्वीरें..”
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि इन तस्वीरों के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है. ये तस्वीरें 2019 की हैं जब जम्मू में पुलवामा हमले के विरोध में प्रदर्शन किया गया था. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने वाहनों में आग लगा दी थी.
ऐसी कुछ वायरल पोस्ट के आर्काइव यहां और यहां देखे जा सकते हैं.
AFWA की पड़ताल
हमने इन तीनों तस्वीरों की अलग-अलग पड़ताल की. आइए देखते हैं कि इनकी सच्चाई क्या है.
रिवर्स सर्च के जरिये हमने पाया कि ऊपर दी गई दोनों तस्वीरें 2019 में “द क्विंट” में छपी थीं. रिपोर्ट के मुताबिक, ये तस्वीरें 15 फरवरी, 2019 को जम्मू में खीची गई थीं. इसके एक दिन पहले पुलवामा में एक आत्मघाती हमले में 40 सीआरपीएफ के जवान मारे थे, जिसके विरोध में लोगों ने हिंसक प्रदर्शन किया था. आर्टिकल में दोनों तस्वीरों के साथ न्यूज एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) को क्रेडिट दिया गया है.
पहली तस्वीर के साथ लिखा गए कैप्शन में बताया गया है, “पुलवामा आतंकी हमले में CRPF जवानों के मारे जाने के विरोध में जम्मू चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (JCCI) ने बंद बुलाया था, इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने वाहनों में आग लगा दी.”
दूसरी तस्वीर के साथ कैप्शन लिखा है, “पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ जवानों के मारे जाने के खिलाफ प्रदर्शनकारियों ने वाहनों को आग के हवाले कर दिया. इसके बाद सड़क पर गश्त करते पुलिसकर्मी.”
वायरल तस्वीरों में से तीसरी तस्वीर में प्रदर्शनकारी जलते हुए टायर के ढेर के आसपास जमा हैं. ये तस्वीर हमें अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस की वेबसाइट पर मिली. ये तस्वीर भी जम्मू में हुए उसी प्रदर्शन की है.
इस तरह पड़ताल से साफ है कि जिन तस्वीरों को दिल्ली की बताया जा रहा है, वे जम्मू की हैं और करीब दो साल पुरानी हैं. इन्हें पुलवामा हमले के खिलाफ एक विरोध-प्रदर्शन के दौरान खींचा गया था. इनका दिल्ली में 26 जनवरी को हुई हिंसा से कोई संबंध नहीं है.