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फैक्ट चेक: यूपीआई के जरिये व्यावसायिक लेनदेन पर लगेगा 30% टैक्स? फर्जी है ये नोटिस

इनकम टैक्स विभाग की ओर से जारी किया गया एक कथित नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल है. इसमें लिखा है कि अब गूगल पे, पेटीएम और फोन पे के जरिये पैसों का व्यावसायिक लेनदेन करने पर 30 प्रतिशत तक इनकम टैक्स देना होगा. ऐसा न करने पर जुर्माना लगाया जाएगा और सजा मिलेगी.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
इनकम टैक्स विभाग ने एक नोटिस जारी किया है जिसमें कहा गया है कि अब गूगल पे, पेटीएम या फोन पे के जरिये पैसों का व्यावसायिक लेनदेन करने पर 30 प्रतिशत तक इनकम टैक्स चुकाना होगा.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा ये नोटिस फर्जी है. इनकम टैक्स विभाग ने ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है.

इनकम टैक्स विभाग की ओर से जारी किया गया एक कथित नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल है. इसमें लिखा है कि अब गूगल पे, पेटीएम और फोन पे के जरिये पैसों का व्यावसायिक लेनदेन करने पर 30 प्रतिशत तक इनकम टैक्स देना होगा. ऐसा न करने पर जुर्माना लगाया जाएगा और सजा मिलेगी. 15 जुलाई 2021 के इस नोटिस में लोगों को चेतावनी दी गई है कि इन एप्स का इस्तेमाल सिर्फ निजी लेनदेन के लिए ही करें.

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एक फेसबुक यूजर ने इस नोटिस को शेयर करते हुए लिखा, “फोन पे, गूगल पे, और पेटीएम से मनी ट्रांस्फर का काम करने वालों से 30% टैक्स वसूल किया जाएगा. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस आ गया.”

 
इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि इनकम टैक्स विभाग के नाम पर वायरल हो रहा ये नोटिस फर्जी है. खबर लिखे जाने तक इनकम टैक्स विभाग ने ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया था कि अब से यूपीआई के जरिये व्यावसायिक लेनदेन करने वालों को 30 प्रतिशत तक इनकम टैक्स जमा करना होगा.
 
हमारी पड़ताल

हमने वायरल हो रहा नोटिस इनकम टैक्स विभाग के एक अधिकारी को भेजा. उन्होंने ‘आजतक’ को बताया कि ये फर्जी है. यूपीआई के जरिये होने वाले व्यावसायिक मनी ट्रांस्फर पर 30 प्रतिशत तक इनकम टैक्स लगाए जाने जैसा कोई भी नियम लागू नहीं किया गया है. लेकिन ये बात सच है कि यूपीआई के जरिये एक लाख रुपये से ज्यादा के लेनदेन पर इनकम टैक्स लगता है.

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वायरल नोटिस में मात्रा की कई अशुद्धियां हैं. इसमें ‘सूचित’ को ‘सुचित’, ‘बरतें’ को ‘बरते’, ऑनलाइन’ को आनलाईन’, गूगल पे’ को गुगल पे’, मनी टांस्फर’ को ‘मनीट्रासफर’, ‘दण्डनीय’ को ‘दण्डनिय’, ‘नहीं’ को ‘नही’, ‘ट्रांजैक्शन’ को ‘ट्रांजिक्सन’, और ‘जाएगी’ को ‘जावेगी’ लिखा हुआ है.

अगर ये नोटिस सचमुच इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से जारी किया गया होता तो इसकी संभावना बहुत कम ही है कि इसमें इतनी सारी गलतियां होतीं.  

वायरल नोटिस की तुलना हमने इनकम टैक्स की वेबसाइट पर मौजूद एक असली नोटिस से की. दोनों के बीच का अंतर साफ पता चल रहा है.

वायरल नोटिस में एस कुमार, ऑफिस इंचार्ज, इनकम टैक्स विभाग के सिग्नेचर हैं. सर्च करने पर हमें इस नाम और पद वाले किसी भी व्यक्ति का ब्यौरा इनकम टैक्स की वेबसाइट पर नहीं मिला. ये बात असंभव तो नहीं, पर इस बात की संभावना काफी कम है कि ‘ऑफिस इंचार्ज’ जैसे पद वाला कोई व्यक्ति इनकम टैक्स विभाग की किसी आधिकारिक नोटिस पर साइन करेगा.

वायरल नोटिस में किए जा रहे दावे के ठीक उलट भारत सरकार डिजिटल पेमेंट और यूपीआई को बढ़ावा दे रही है. इसी साल फरवरी में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए 1500 करोड़ की योजना घोषित की थी.

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साफ है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के नाम पर बनाए गए एक मनगढ़ंत नोटिस के जरिये लोगों में यूपीआई को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है.
 

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