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फैक्ट चेक: याकूब मेमन की फांसी रुकवाने लिए सचिन पायलट ने राष्ट्रपति से नहीं की थी अपील, झूठा है दावा

राजस्थान में कांग्रेस से विधायक और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल होने लगी है. पोस्ट में सचिन पायलट की एक तस्वीर है और दावा किया जा रहा है कि 1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी रुकवाने के लिए जिन लोगों ने राष्ट्रपति को चिट्टी लिखी थी उनमें सचिन पायलट भी शामिल थे.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी रुकवाने के लिए जिन लोगों ने राष्ट्रपति को चिट्टी लिखी थी उनमें सचिन पायलट भी शामिल थे.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
सचिन पायलट ने याकूब मेमन की फांसी टालने के लिए राष्ट्रपति को कोई चिट्टी नहीं लिखी थी और ना ही किसी चिट्टी का समर्थन किया था.

राजस्थान में कांग्रेस से विधायक और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल होने लगी है. पोस्ट में सचिन पायलट की एक तस्वीर है और दावा किया जा रहा है कि 1993 के मुंबई बम धमाकों के दोषी याकूब मेमन की फांसी रुकवाने के लिए जिन लोगों ने राष्ट्रपति को चिट्टी लिखी थी उनमें सचिन पायलट भी शामिल थे.

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गौरतलब है कि जुलाई 2015 में देश की कई जानी-मानी हस्तियों ने एक चिट्टी के जरिये पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से अपील की थी कि याकूब मेमन की फांसी की सजा माफ हो. हालांकि, मेमन की दया याचिका आखिर में खारिज हो गई थी. उस समय ये मामला काफी सुर्खियों में आया था. अब इसी के मद्देनजर सोशल मीडिया पर सचिन पायलट को निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें आतंकवाद समर्थक बताया जा रहा है. 

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल पोस्ट में किया जा रहा दावा गलत है. सचिन पायलट ने याकूब मेमन की फांसी टालने के लिए राष्ट्रपति को ऐसी कोई चिट्टी नहीं लिखी थी और ना ही किसी चिट्टी का समर्थन किया था.

इस पोस्ट को शेयर करते हुए एक फेसबुक यूजर ने कैप्शन में लिखा है, "सिर्फ जाती के नाम पर मैं किसी नीच और आतंकवादीयो की पैरवी करने बाले को  सपोर्ट नही कर सकता और ना ही मेरे गुर्जर समाज को सचिन पायलेट को सपोर्ट करना चाहिए सिर्फ जाती के नाम पर किसी को सपोर्ट करना बुद्धिमानी नही है बल्कि मूर्खता का इससे बडा उदाहरण कोई और नहीं हो सकता".

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फेसबुक और ट्विटर पर ये गलत जानकारी कई सालों से फैल रही है. वायरल पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.

क्या है सच्चाई?

खोजने पर हमें कुछ खबरें मिलीं जिनमें याकूब मेमन के लिए राष्ट्रपति को लिखी गई इस चिट्टी का जिक्र था. 26 जुलाई 2015 को प्रकाशित हुई  "द हिंदू" की एक रिपोर्ट में इस चिट्ठी का पूरा ब्यौरा दिया गया है. इस चिट्ठी में शामिल लोगों में देश के कई कानूनी विशेषज्ञ, पूर्व न्यायाधीश, सांसद, नेता, पत्रकार आदि का नाम था. इन लोगों ने राष्ट्रपति से याकूब मेमन की दया याचिका को स्वीकार करने का निवेदन किया था. खबरों के मुताबिक, 15 पेज की इस चिट्ठी में तकरीबन 300 नाम थे जिन्होंने कुछ तथ्यों के आधार पर मेमन की फांसी रुकवाने की अपील की थी.

"द हिंदू" की इस रिपोर्ट में ये सारे नाम मौजूद हैं. यहां पर कहीं भी सचिन पायलट का नाम नहीं लिखा है. ये चिट्ठी उस समय "हफ पोस्ट" और कानूनी मामलों से जुड़ी एक वेबसाइट "Advocatetanmoy" पर भी प्रकाशित हुई थी. इन खबरों में भी सचिन पायलट के नाम का जिक्र नहीं है.

जानकारी को पुख्ता करने के लिए हमारे राजस्थान संवाददाता ने सचिन पायलट से भी संपर्क किया. सचिन पायलट ने हमें इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि पोस्ट में कही गई बात झूठी है. सचिन का कहना था कि ये दावा कई सालों से इंटरनेट पर फैल रहा है और उन्होंने याकूब मेमन को लेकर ऐसी किसी चिट्ठी को समर्थन नहीं दिया. 

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साथ ही, हमें ऐसी कोई विश्वसनीय खबर भी नहीं मिली जिसमें जिक्र हो कि सचिन पायलट भी याकूब मेमन को लेकर लिखी गई इस चिट्टी में शामिल थे. पायलट 2015 में राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष थे. अगर वे याकूब मेमन की फांसी को माफ करने की अपील करते तो उनका ये समर्थन चर्चा में आता और मीडिया में जरूर कवर होता. यहां साबित हो जाता है कि सचिन पायलट को लेकर पिछले कुछ सालों से वायरल हो रही ये जानकारी झूठी है. (जयपुर से देव अंकुर वाधवा के इनपुट के साथ)

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